आम की गुठली को कचरे में फेंकने की गलती न करें वरना पछताते रह जाओगे
आम की गुठली को कचरे में फेंकने की गलती न करें वरना पछताते रह जाओगे
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आम फलों का राजा यूं ही नहीं कहा गया है। मीठे आम के स्वाद ,सुगंध और गुणों की बराबरी करना किसी भी फल के लिए संभव नहीं है। आम की किस्में जैसे दशहरी , लगड़ा , केसर , अलफांसो , सफेदा , नीलम , तोतापुरी , बंगनपल्ली , रसपुरी, हिमसागर आदि का नाम सुनकर ही मुँह में पानी आ जाता है। शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जिसे आम खाना पसंद ना हो।
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आम के गुठली के बीजों को सुखाकर उसका पाउडर बना लें । 1-1.5 चम्म्च इस पाउडरका सुबह शाम पानी के साथ सेवन करने से कई बिमारियों में फायदा मिलता है।
बच्चों के दस्त में 7 से 15 ग्राम आम की गुठली की गिरी और बेल के कच्चे फल के गूदे का काढ़ा बना लें। इसका प्रयोग दिन में तीन बार करना चाहिए। आम की गुठली की गिरी को भूनकर शहद मिलाकर चटावे तो बच्चों के दस्त ठीक हो जाते हैं।
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गले में टॉन्सिल्स हो और साथ में बहोत खांसी हो तो बीजों को पानी में घिसकर लेप बनाये। आराम मिलेगा।
आम नियमित खाने से स्किन का रंग निखरता है। इससे त्वचा स्वस्थ और कोमल हो जाती है। झुर्रिया , दाग धब्बे व झाइयाँ ठीक होते है।
सुखी गुठली के पाउडर से सुबह – शाम मंजन करने से दांत मजबूत बनते है, दांतों से खूनरिसना भी बंद हो जाता है साथ ही मुहं की दुर्गंद भी गायब हो जाती है।
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