Chhattisgarh

कांग्रेस से भाजपा में रामकिशन यादव का प्रवेश: क्या है इसके पीछे की वजह?

कांग्रेस से भाजपा में रामकिशन यादव का प्रवेश: क्या है इसके पीछे की वजह?

adneeraNeeraj

नीरज गुप्ता संपादक
MO NO- 9340278996,9406168350

पत्थलगांव: कांग्रेस के सक्रिय नेता और कांग्रेस नेताओ  के करीबी माने जाने वाले युवा नेता रामकिशन यादव ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थाम लिया है। यह राजनीतिक कदम शहर की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है।

ममता यादव गुडिया

रामकिशन यादव, जो युवा कांग्रेस के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के जिला उपाध्यक्ष रहे हैं, उन्होंने पिछली नगर पंचायत चुनावों में अपने वार्ड से मात्र दो वोट से हार का सामना किया था। इसके बाद, इस बार उनके वार्ड को सामान्य वर्ग महिला सीट के लिए आरक्षित कर दिया गया। यादव अपनी बहन ममता यादव (गुड़िया) को कांग्रेस से टिकट दिलाने के लिए प्रयासरत थे। खबर है कि कांग्रेस में ठीक चुनाव के समय सक्रिय होने वाले स्वयंभू नेताओ  ने उनकी मांगों को अनदेखा कर दुसरे उम्मीदवार को तवज्जो देना शुरू कर दिया, जिससे रामकिशन गहरी नाराजगी महसूस कर रहे थे। इस उपेक्षा के कारण उन्होंने भाजपा का रुख किया और अपनी बहन के लिए वार्ड क्रमांक 11 से भाजपा का टिकट मांगकर सूची में नाम जुड़वां लिया।

नीरज गुप्ता संपादक
MO NO- 9340278996,9406168350

कांग्रेस से दूरी की वजह

रामकिशन यादव का कहना है कि कांग्रेस में लंबे समय से उनकी अनदेखी हो रही थी। उन्होंने पार्टी के लिए निरंतर मेहनत की, लेकिन उन्हें वह सम्मान और स्थान नहीं मिला, जिसकी वे अपेक्षा कर रहे थे वहा सम्मान उन्ही को मिलने लगा जो कांग्रेस का बेड़ा गर्ग करने में जुटे है । यह नाराजगी धीरे-धीरे इतनी बढ़ गई कि उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया।

भाजपा में स्वागत

भाजपा में शामिल होने के बाद रामकिशन ने कहा कि वे अब भाजपा के साथ रहकर अपने क्षेत्र और जनता की सेवा करना चाहते हैं। भाजपा ने भी उनके इस कदम का स्वागत किया है।

नीरज गुप्ता संपादक
MO NO- 9340278996,9406168350

क्षेत्रीय राजनीति पर असर

युवा नेता रामकिशन यादव के इस फैसले से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। उनके भाजपा में जाने से कांग्रेस के अन्य कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी असर पड़ सकता है। वहीं, भाजपा इस मौके को अपने लिए बड़ा लाभ मान रही है।युवा नेता रामकिशन यादव का भाजपा में जाना यह दिखाता है कि राजनीतिक दलों के भीतर नेतृत्व और कार्यकर्ताओं के बीच संवाद की कमी, किसी भी पार्टी के लिए नुकसानदायक हो सकती है। आगामी नगर पंचायत चुनाव में यह कदम क्या प्रभाव डालेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।neeraj,harit,

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!