
पत्थलगांव।औघड़ परम्परा, जो प्राचीन काल से चली आ रही है और जिसे भगवान शिव के पंचमुखों में से अघोर मुख से जोड़ा जाता है, आज भी भक्तों के बीच अपनी विशेष पहचान बनाए हुए है। इसी परम्परा के तहत औघड़ बाबा आश्रम, मां काली मंदिर शेखरपुर (तहसील-पत्थलगांव, जिला-जशपुर) में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी शीतकालीन नवरात्रि का आयोजन 22 सितम्बर से 1 अक्टूबर 2025 तक बड़े ही हर्षोल्लास और भक्तिमय वातावरण में सम्पन्न हुआ।इस पावन अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने आश्रम परिसर में पहुंचकर ज्योत प्रज्वलित की और आरती, हवन-पूजन, “सफल योनी” व “अघोर गुरु संहिता” का सामूहिक पाठ किया।

प्रतिदिन प्रातः व सायं आरती के साथ आश्रम भक्तिभाव से गूंजता रहा।नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर विशेष निशापूजन और विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें इस अंचल के वरिष्ठ शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं व स्थानीय जनों ने हिस्सा लिया।

वहीं नवमीं पूजन पर परंपरानुसार नव कन्याओं व भैरव का पूजन कर उन्हें भोजन, श्रृंगार व भेंट सामग्री अर्पित की गई।इस धार्मिक आयोजन में छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश के बनारस सहित दक्षिण भारत से भी अघोर परंपरा के अनुयायी, संत-महात्मा और भक्त बड़ी संख्या में पहुंचे।

आश्रम से जुड़े औघड़ संत संतोष बाबा ने बताया कि अघोरेश्वर भगवान राम द्वारा दी गई शिक्षाओं और सुधारों के कारण आज यह परम्परा विश्वभर में अपनी पहचान बनाए हुए है और हर वर्ष नवरात्रि का पर्व इस आश्रम में अनोखे भक्तिमय माहौल के साथ सम्पन्न होता है।