उद्यानिकी फसल अपनाकर आर्थिक रूप से सशक्त हुए किसान सुरेश सिन्हा
शासन की योजनाओं से मिला संबल, खेती बनी लाभकारी व्यवसाय
रायपुर,


परंपरागत खेती से हटकर नवाचार को अपनाने वाले राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम गातापार खुर्द के प्रगतिशील किसान श्री सुरेश सिन्हा आज कई किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुके हैं। धान के स्थान पर सब्जी की खेती करने के निर्णय ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि उनके जीवन स्तर में भी सकारात्मक बदलाव लाया है।
श्री सुरेश सिन्हा ने 5.5 एकड़ भूमि में खीरे की फसल लगाई, जिससे उन्हें अब तक लगभग 2 लाख 50 हजार रुपए की आमदनी हो चुकी है। खीरे की तोड़ाई का कार्य अभी भी जारी है। उन्होंने बताया कि उनका खीरा उत्तरप्रदेश के प्रयागराज, ओडिशा और कोलकाता जैसे शहरों में भेजा जा रहा है। वर्तमान में खीरे की बिक्री 15 से 20 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से हो रही है।
श्री सिन्हा ने बताया कि परंपरागत धान की खेती की तुलना में सब्जी की खेती अधिक लाभदायक है और इसमें पानी की भी अपेक्षाकृत कम आवश्यकता होती है। शासन की योजनाओं का लाभ लेकर उन्होंने अपने खेतों में पॉली हाउस की स्थापना की, जिसके माध्यम से संरक्षित खेती के अंतर्गत उन्होंने शिमला मिर्च की फसल लेकर 3 लाख 50 हजार रुपए की आमदनी प्राप्त की। पॉली हाउस की कुल लागत 34 लाख रुपए रही, जिसमें से उन्हें 17 लाख रुपए का अनुदान शासन से प्राप्त हुआ।
इसके अतिरिक्त सब्जियों के भंडारण हेतु उन्होंने पैक हाउस का निर्माण किया, जिसके लिए शासन की ओर से 2 लाख रुपए की अनुदान राशि प्राप्त हुई। कृषि यंत्रों की खरीद में भी शासन से सहायता मिली है, जिसमें दवाओं के छिड़काव के लिए स्ट्रिप मशीन पर उन्हें 50 प्रतिशत तक अनुदान प्राप्त हुआ है।
श्री सुरेश सिन्हा ने बताया कि विगत वर्ष जुलाई से मार्च तक 7 एकड़ भूमि में टमाटर की खेती कर 3 लाख रुपए की आमदनी प्राप्त की थी। इस वर्ष भी वे 7 एकड़ भूमि में टमाटर की फसल लेंगे, जिसमें सिजेन्टा कम्पल की मायला वैरायटी का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल का बीमा भी कराया है।
कुल 15 एकड़ कृषि भूमि के स्वामी श्री सिन्हा वर्तमान में 8 एकड़ में धान और 7 एकड़ में सब्जी की खेती कर रहे हैं। वे शासन की किसानहितैषी योजनाओं जैसे राष्ट्रीय बागवानी मिशन, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना आदि का लाभ उठाकर कृषि को लाभ का व्यवसाय बना चुके हैं।
खेती-किसानी से मिली आर्थिक समृद्धि के चलते उन्होंने न केवल अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा सुनिश्चित की, बल्कि अपनी पुत्री का विवाह भी सम्मानजनक ढंग से संपन्न किया। श्री सुरेश सिन्हा का कहना है कि यदि किसान आधुनिक तकनीक और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर खेती करें, तो वे आत्मनिर्भरता की दिशा में निश्चित रूप से अग्रसर हो सकते हैं।