युक्तियुक्तकरण से विद्यार्थियों को मिलने लगी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
रायपुर,

घने जंगलों के बीच बसे इस गांव तक पहुँचना आसान नहीं, लेकिन यहां के बच्चों में ज्ञान प्राप्त करने की वही उत्सुकता है, जो शहरों के विद्यार्थियों में दिखाई देती है।
कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखंड के सबसे दूरस्थ वनांचल ग्राम पसान के आगे स्थित प्राथमिक शाला तराईमार वर्ष 1997 से शिक्षा की ज्योति जलाए हुए है।
लंबे समय से यह विद्यालय एकलशिक्षकीय के रूप में संचालित हो रहा था। प्रधानपाठक श्री मना सिंह मेश्राम को अकेले ही पढ़ाई, कार्यालयीन कार्य, मध्याह्न भोजन, विद्यालय प्रबंधन और समुदाय से जुड़ी सभी जिम्मेदारियां निभानी पड़ती थीं। अवकाश या बीमारी की स्थिति में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती थी।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देशानुसार शुरू की गई अतिशेष शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की पहल ने इस समस्या का स्थायी समाधान किया। इस योजना के अंतर्गत तराईमार विद्यालय में श्री तुलसीदास कौशिक को शिक्षक के रूप में पदस्थ किया गया। उन्होंने 5 जून 2025 को विद्यालय में कार्यभार ग्रहण किया और उनके आने से विद्यालय में नई ऊर्जा का संचार हुआ।
वर्तमान में विद्यालय में 26 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, जिनमें अधिकांश गरीब एवं आदिवासी परिवारों से हैं। श्री कौशिक बच्चों के साथ शीघ्र ही घुल-मिल गए और अब विद्यालय में नियमित कक्षाएं संचालित हो रही हैं। बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है और शिक्षा का वातावरण उत्साहपूर्ण बन गया है। यह परिवर्तन केवल एक शिक्षक के पदस्थ होने का नहीं है, बल्कि यह राज्य सरकार की संवेदनशील और दूरदर्शी पहल का परिणाम है, जिसने दूरस्थ अंचल के बच्चों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त किया है।
