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Kota Updete:-भगवान शिव-पार्वती के प्रेम विवाह का प्रतीक है…गणगौर त्यौहा

*Kota Updete:-भगवान शिव-पार्वती के प्रेम विवाह का प्रतीक है…गणगौर त्यौहार।*

 

*दिनांक:11/04/2024*

*मोहम्मद जावेद खान हरित छत्तीसगढ।।*

 

 

*करगीरोड कोटा: गणगौर त्यौहार एक ऐसा त्योहार है..जो की अग्रवाल समाज की अविवाहित महिला हो या विवाहित महिला हर कोई मनाता है..इस दौरान अविवाहित व विवाहित महिलाएं दोनों ही पूरे रीति रिवाजों के साथ भगवान शिव और माता पार्वती के एक रूप गणगौर की पूजा करती हैं..इस पूजा में पांच मूर्तियां की पूजा की जाती है..गणगौर माता ईसर कनीराम रोवा बाई सोवा बाई की पूजा की जाती है।*

 

 

*अग्रवाल समाज की महिलाओं के द्वारा गणगौर की पूजा 16-दिन पूर्ण होने पर विसर्जन बंधवा तलाव में किया गया..यह राजस्थान की वर्षों से परंपरा पुरानी चली आ रही है..जिसमें होली के दूसरे दिन से जिस कन्या का विवाह होली के पहले हुआ होता है..वह कन्या अपने मायके में कुंवारी-कन्याओं के साथ गणगौर की पूजा विधि विधान से करती हैं, होली के दूसरे दिन से पूजा प्रारंभ होकर चैत्र-नवरात्रि के तीसरे दिन सुबह से पूजन किया जाता है..उसी दिन शाम को गणगौर माता-पूजन कर विसर्जन गाजा-बाजा मारवाड़ी गीतों के साथ हर्षोल्लास के साथ गणगौर का त्यौहार मनाया जाता है..एवं गणगौर-माता का विसर्जन किया जाता है।*

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