मरने का जुनून या जिंदगी से हार? — चार बार मौत को मात देने वाला पवियानुस पाँचवीं बार चला गया सदा के लिए

नीरज गुप्ता संपादक मो न-9340278996

पत्थलगांव। यह कहानी है मरने के जुनून और जिंदगी से जंग की। रेड़े (बागबहार) निवासी पवियानुस पिता धरम साय टोप्पो (45 वर्ष) ने आखिरकार कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली। चौंकाने वाली बात यह है कि उसने तीन वर्षों में चार बार आत्महत्या का प्रयास किया था, लेकिन हर बार मौत उसके करीब आकर लौट जाती थी।इस बार किस्मत ने दगा दे दिया। रात को पवियानुस ने जहर खा लिया, जिसकी जानकारी परिजनों को सुबह मिली, जब उसकी हालत बेहद गंभीर हो चुकी थी।

पत्थलगांव सिविल अस्पताल लाए जाने के बाद कुछ ही देर में उसने दम तोड़ दिया।ग्रामीणों का कहना है कि पवियानुस शराब का आदी था, जिसके कारण घर में अक्सर विवाद और कलह की स्थिति बनी रहती थी। मानसिक तनाव और नशे की लत ने उसे भीतर से तोड़ दिया था।गांव में यह घटना चर्चा का विषय बन गई है —“क्या पवियानुस को मरने का जुनून था या जिंदगी से थककर उसने हार मान ली?”लोगों का कहना है कि यह घटना समाज के लिए गहरी सीख है — नशा, तनाव और अवसाद किसी भी मजबूत इंसान को अंदर से खत्म कर सकते हैं।

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