चन्दन की खेती से समृद्धि की ओर बीजापुर का युवा किसान गुलशन

मनरेगा बनी आत्मनिर्भरता का संबल

रायपुर,

मनरेगा बनी आत्मनिर्भरता का संबल

मनरेगा बनी आत्मनिर्भरता का संबललाल चन्दन की मूल्यवान लकड़ी की माँग आज सम्पूर्ण विश्व में निरंतर बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत लाखों रुपये प्रति टन तक पहुँच चुकी है। बस्तर जिले के भैरमगढ़ विकासखण्ड के ग्राम पंचायत तालनार के युवा किसान श्री गुलशन कश्यप ने अपनी डेढ़ एकड़ भूमि पर 140 लाल चन्दन के पौधों का रोपण कर एक अनकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।

इस अभिनव पहल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। योजना के अंतर्गत पौधों की गड्ढा खुदाई, ट्री गार्ड की स्थापना तथा तीन वर्षों तक देखरेख एवं रखरखाव की स्वीकृति प्रदान की गई है। दो वर्ष पूर्व लगाए गए ये पौधे अब 10 से 12 फीट ऊँचे हो चुके हैं और किसान गुलशन के परिश्रम का प्रत्यक्ष प्रमाण बन गए हैं।

श्री गुलशन कश्यप का कहना है जैसे-जैसे लाल चन्दन के वृक्ष बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे मेरी संपत्ति और आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है। वे अब वृक्षों के मध्य की भूमि में अरहर की खेती करने का भी विचार कर रहे हैं, जिससे भूमि की नमी और उर्वरता बनी रहे तथा प्राकृतिक रूप से वृक्षों को पोषण प्राप्त हो सके। कार्यक्रम अधिकारी श्री खेम चन्द साहू ने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत किसानों की निजी भूमि पर वृक्षारोपण हेतु विशेष प्रावधान किया गया है, जिससे ग्रामीणों की आजीविका में दीर्घकालीन सुधार संभव हो सके। श्री गुलशन कश्यप को तीन लाख रुपये की लागत से तीन वर्ष की अवधि हेतु “ब्लॉक प्लांटेशन कार्य” की स्वीकृति दी गई है।

इस कार्य के क्रियान्वयन हेतु उद्यानिकी विभाग से प्रशिक्षित भैरम बाबा क्लस्टर संगठन को एजेंसी के रूप में चयनित किया गया है, जो पौधों की सिंचाई, खाद, निंदाई-गुड़ाई और देखरेख की जिम्मेदारी निभा रहा है। लाल चन्दन की खेती की सफलता को देखकर क्षेत्र के अन्य किसान भी इस दिशा में अग्रसर हो रहे हैं।

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