राज्य में पहली बार महिला स्वास्थ्य पर्यवेक्षकों हेतु राज्य स्तरीय प्रशिक्षण का आयोजन, 15 चरणों में पूर्ण होगा प्रशिक्षण

उच्च जोखिम गर्भावस्था में सावधानी तथा मातृ एवं शिशु मृत्यु में कमी लाने में महिला स्वास्थ्य पर्यवेक्षक निभा रही हैं अहम भूमिका

रायपुर,

उच्च जोखिम गर्भावस्था में सावधानी तथा मातृ एवं शिशु मृत्यु में कमी लाने में महिला स्वास्थ्य पर्यवेक्षक निभा रही हैं अहम भूमिका

मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक प्रभावी एवं गुणवत्तापूर्ण बनाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, छत्तीसगढ़ द्वारा राज्य स्वास्थ्य प्रशिक्षण संस्थान (SIHFW) के सौजन्य से महिला स्वास्थ्य पर्यवेक्षक (एलएचवी) हेतु एक दिवसीय राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण के उपरांत महिला स्वास्थ्य पर्यवेक्षक उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) के मामलों को संभालने में पहले से अधिक दक्ष होंगी और इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी। 

राज्य में इस तरह का यह पहला प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिसमें महिला स्वास्थ्य पर्यवेक्षकों के क्षमता संवर्धन को लेकर पहल की गई है। इस अवसर पर सचिव, स्वास्थ्य श्री अमित कटारिया, आयुक्त सह संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला, संचालक महामारी नियंत्रण डॉ एस के पामभोई, संयुक्त संचालक डॉ. निर्मला यादव, उप संचालक (मातृत्व स्वास्थ्य) डॉ. शैलेन्द्र अग्रवाल, उप संचालक (शिशु स्वास्थ्य) डॉ. वी. आर. भगत, यूनीसेफ से डॉ. गजेन्द्र सिंह (स्वास्थ्य विशेषज्ञ) एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

उल्लेखनीय है कि यह प्रशिक्षण का प्रथम बैच था, जिसके पश्चात आगामी चरणों में 14 बैचों के माध्यम से पूरे राज्य की महिला स्वास्थ्य पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

कार्यक्रम के दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में महिला स्वास्थ्य पर्यवेक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे न केवल समुदाय स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की प्रथम पंक्ति में कार्यरत हैं, बल्कि संस्थागत स्वास्थ्य सेवाओं और समुदाय के मध्य एक सशक्त सेतु के रूप में भी अपनी भूमिका निभाती हैं।

प्रशिक्षण के अंतर्गत प्रजनन, मातृ, शिशु, बाल एवं किशोर स्वास्थ्य (RMNCH) सेवाओं पर केंद्रित विषयों जैसे — एएनसी (Antenatal Care), उच्च जोखिम गर्भावस्था (HRP) की पहचान एवं प्रबंधन, पीएमएसएमए (PMSMA) कार्यक्रम, प्रसव पूर्व एवं पश्चात देखभाल, संक्रमण नियंत्रण, नवजात देखभाल तथा रेफरल समन्वय प्रणाली पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया।

प्रतिभागियों को समूह चर्चा, केस स्टडी एवं व्यवहारिक अभ्यास के माध्यम से अपने अनुभव साझा करने का अवसर प्राप्त हुआ। प्रशिक्षण के दौरान नेतृत्व क्षमता, कार्यकुशलता एवं समुदाय से जुड़ाव को सुदृढ़ बनाने पर विशेष बल दिया गया।

कार्यक्रम के समापन सत्र में पोस्ट-टेस्ट एवं फीडबैक प्रस्तुतिकरण आयोजित किया गया। प्रतिभागियों ने इस प्रशिक्षण को अत्यंत उपयोगी बताया तथा मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर परिणाम सुनिश्चित करने हेतु निष्ठापूर्वक अपने दायित्वों का निर्वहन करने का संकल्प व्यक्त किया।

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