धान खरीदी व्यवस्था में सुशासन की झलक

सरकार की व्यवस्था से महिला किसान चैती बाई के चेहरे पर मुस्कान 

रायपुर,

खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 की धान खरीदी के शुभारंभ के साथ ही प्रदेश के किसानों में संतोष और विश्वास का माहौल स्पष्ट दिखाई दे रहा है। इसी विश्वास का उदाहरण धमतरी जिले के संबलपुर गाँव की महिला किसान श्रीमती चैती बाई साहू। प्रदेश सरकार की संवेदनशील और किसान हितैषी नीतियों के चलते उपार्जन केन्द्र में सहजता से अपना धान बेचने के बाद चैती बाई के चेहरे पर एक विश्वास भरी मुस्कान देखने को मिली। 

श्रीमती चैती बाई साहू के परिवार में धान विक्रय की जिम्मेदारी वर्षों से उनके पति निभाते रहे हैं, परंतु पति के स्वास्थ्यगत कारणों से इस वर्ष अपना धान बेचने के लिए वह स्वयं 57 क्विंटल धान लेकर उपार्जन केंद्र पहुँचीं। पहली बार इतनी बड़ी जिम्मेदारी संभालने के बावजूद उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार के सुशासन और व्यवस्था पर भरोसा था कि उन्हें उपार्जन केन्द्र में किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि खरीदी केंद्र में बारदाना, हमाल, डिजिटल तौल मशीन, पेयजल, शौचालय, बिजली तथा प्रशिक्षित ऑपरेटर सहित सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध थीं, जिससे धान बेचने की पूर्री  प्रक्रिया सुचारू, पारदर्शी रूप से संपन्न हुई।

धान विक्रय से प्राप्त राशि का उपयोग चैती बाई अपने पति के उपचार हेतु करना चाहती हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में लागू की गई किसान हितैषी नीतियों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि 3100 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य तथा प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी की व्यवस्था किसानों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है। इससे न केवल खेती अधिक लाभप्रद बनी है, बल्कि उनके जैसे अनेक परिवारों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हो रही है।

चैती बाई ने बताया कि धान का प्रति क्विंटल 3100 रूपए मूल्य और धान बेचने की पारदर्शी व्यवस्था से उनके परिवार को आर्थिक स्थिरता मिली है। साथ ही उन्होंने केंद्र के कर्मचारियों, हमालों और प्रशासनिक टीम की कार्यकुशलता की भी प्रशंसा की, जिन्होंने पूरी प्रक्रिया को सहज और किसान-अनुकूल बनाया। चैती बाई का कथन इस बात का प्रमाण है कि सरकार की नीतियाँ जब संवेदनशीलता और सुशासन के साथ जमीन पर प्रभावी रूप से लागू होती हैं, तो उसका प्रत्यक्ष लाभ किसानों तक पहुँचता है। चैती बाई की मुस्कान सरकार की कृषि नीतियों की सफलता और किसानों के बढ़ते विश्वास का प्रतीक है।

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