मनरेगा से ‘मोर गांव, मोर पानी’ अभियान को मिली नई गति

मनरेगा से ‘मोर गांव, मोर पानी’ अभियान को मिली नई गति
मनरेगा से ‘मोर गांव, मोर पानी’ अभियान को मिली नई गति

कांकेर जिले में जल प्रबंधन एवं ग्रामीण आजीविका सुदृढ़ करने के उद्देश्य से संचालित ‘मोर गांव, मोर पानी’ महाभियान को महात्मा गांधी नरेगा (मनरेगा) के अंतर्गत निजी डबरियों के निर्माण से नई दिशा मिल है। यह पहल ग्रामीण हितग्राहियों को आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर करने में महत्वपूर्ण सिद्ध हो रही है।

    जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री हरेश मंडावी ने बताया कि जल संरक्षण एवं जल संवर्धन को प्रोत्साहित करने के लिए जिले में बड़े पैमाने पर आजीविका डबरियों का निर्माण किया जा रहा है। इन डबरियों का उद्देश्य केवल जल संचयन तक सीमित नहीं है, बल्कि इनके माध्यम से ग्रामीण परिवारों की बहुआयामी आजीविका सुनिश्चित करना भी है।

    डबरी निर्माण हेतु ग्राम सभाओं से प्राप्त प्रस्तावों की वैज्ञानिक परीक्षण पद्धति से स्वीकृति दी जा रही है। उपयुक्त स्थल चयन के लिए वाटरशेड सिद्धांतों, जीआईएस तकनीक एवं अन्य भू-वैज्ञानिक उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है, ताकि पर्याप्त जलभराव सुनिश्चित हो सके और जल आधारित आजीविका गतिविधियाँ प्रभावी रूप से संचालित की जा सकें।

    वर्तमान वित्तीय वर्ष में 2,000 से अधिक निजी डबरियों को स्वीकृति प्रदान की गई है। इनमें से 150 से अधिक डबरियों का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है तथा शेष का निर्माण कार्य प्रगति पर है।  डबरी निर्माण के साथ ही हितग्राहियों को मछली पालन, फलदार वृक्षारोपण और सब्जी बाड़ी विकास के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जिससे उनकी आय में वृद्धि सुनिश्चित हो सके। अभिसरण के तहत अन्य विभागों के सहयोग से अतिरिक्त आजीविका संसाधन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। यह पहल न केवल जल संरक्षण को बढ़ावा दे रही है, बल्कि ग्रामीणों को स्थायी और टिकाऊ आजीविका भी प्रदान कर रही है। 

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