पत्थलगांव में चिकित्सा क्षेत्र की बड़ी उपलब्धि – पहली बार लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से पित्त की थैली की पथरी निकाली गई

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नीरज गुप्ता संपादक हरितछत्तीसगढ़

पत्थलगांव।श्री ए. जी. हॉस्पिटल, पत्थलगांव ने चिकित्सा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। जशपुर जिले में पहली बार लेप्रोस्कोपिक सर्जरी (दूरबीन पद्धति) के माध्यम से पित्त की थैली से पथरी सफलतापूर्वक निकाली गई है। यह अत्याधुनिक तकनीक अब संपूर्ण जशपुर जिले के मरीजों के लिए उपलब्ध होगी, जिससे उन्हें कम खर्च, कम पीड़ा और तेज़ रिकवरी जैसी कई सुविधाएं मिलेंगी।लेप्रोस्कोपिक सर्जरी एक आधुनिक शल्य चिकित्सा पद्धति है, जिसमें शरीर में बड़े चीरे की बजाय केवल कुछ मिलीमीटर के छोटे चीरे लगाए जाते हैं। इसके माध्यम से न केवल ऑपरेशन कम जटिल होता है, बल्कि मरीज को अत्यधिक दर्द भी नहीं होता और वह जल्दी स्वस्थ हो जाता है। इस सफल सर्जरी का नेतृत्व किया डॉ. भूपेश भगत (लेप्रोस्कोपिक सर्जन) ने। उनके साथ डॉ. अजीत कुमार गुप्ता (एम.डी. एनेस्थीसिया) की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसके अलावा ऑपरेशन थियेटर के स्टाफ—आशीष, जयप्रकाश, अंजू, प्रकाश, अभिषेक, और अनामिका—का भी विशेष योगदान रहा, जिनके समन्वित प्रयासों से यह ऑपरेशन सफलता पूर्वक संपन्न हो सका।

इस तकनीक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें रक्तस्राव बहुत ही कम होता है और मरीज को सामान्य ऑपरेशन की तुलना में जल्दी छुट्टी मिल जाती है। इस विशेष सर्जरी में भी मरीज को अगले ही दिन अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।श्री ए. जी. हॉस्पिटल की इस उपलब्धि से जशपुर जिले के नागरिकों को अब बड़े शहरों में जाकर महंगे इलाज कराने की आवश्यकता नहीं होगी। यह सुविधा अब स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हो गई है, जिससे जिले के चिकित्सा क्षेत्र को एक नई दिशा मिली है।

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