कृषि विज्ञान केन्द्र, जशपुर में भगवान बलराम जयंती को किसान दिवस सह-संगोष्ठी का आयोजन किया गया
कृषि विज्ञान केन्द्र, जशपुर में भगवान बलराम जयंती को किसान दिवस सह-संगोष्ठी का आयोजन किया गया
दिनांक 09 सितम्बर 2024 को कृषि विज्ञान केंद्र डूमरबहार, जिला जशपुर के सेमीनार हॉल में भगवान बलराम जयंती किसान दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री सालिक साय जी के द्वारा भगवान बलराम के चित्र एवं उनके मुख्य अस्त्र हल के सामने द्वीप प्रजवल्लित कर एवं पुष्प समर्पित कर कार्यक्रम का शुरूआत किया गया। यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के कृषि विज्ञान केन्द्रों में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात कहा गया, कार्यक्रम में उपस्थित कृषकों को अपना 10 साल पहले जिस तरह से खेती करते थे तथा वर्तमान में जो खेती के तरीके अपनाएं हैं यह बात सभी कृषकों के सामने विस्तार से बताये साथ ही उनके द्वारा जैविक खेती को अपनाते हुए रासायनिक खेती न करने की सलाह भी दी। तत्पश्चात् भारतीय किसान संघ के सदस्य श्री भावेन्द्र यादव ने जैविक खेती के बारे उपस्थित कृषकों को विस्तार से बताया गया।
कृषि विभाग से अनुविभागीय अधिकारी श्री राकेश कुमार पैंकरा ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, किसान क्रेडिट कार्ड योजना, शाकंभरी योजना एंव किसान समृद्धि योजना की विस्तृत जानकारी दिया। कार्यक्रम में उपस्थित कृषक श्री मोती बंजारा ने बताया कि मैं कृषि विज्ञान केंद्र में 2010 से जुड़ा हूं और कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में श्रीविधि और जैविक खेती करते आ रहा हूं, साथ ही जब से मैं केवीके से जुड़ कर कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में जैविक खेती करना शुरू किया हूं तब से जैविक खेती और रासायनिक खेती से मुझे बहुत ही ज्यादा अंतर देखने को मिला है, रासायनिक खेती से जहा जमीन से लेकर पर्यावरण और मानव जीवन एवम पशु पक्षी में भी नुकसान तो बहुत हैं पर जैविक खेती से लाभ बहुत हैं, जैविक खेती से फ़सल उत्पादन से कोई कमी नहीं होता बल्कि कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में अगर हम खेती करते हैं तो निश्चित ही उत्पादन में बढ़ोतरी तो होता ही है साथ ही, जैविक खेती करने से हमारे ऊपज में रासायनिक खेती की अपेक्षा ज्यादा क्वालिटी रहता है, रासायनिक खाद से तैयार टमाटर हरी मिर्च या साग भाजी को हम मुश्किल से 3 से 4 रख सकते हैं या फ्रिज में ज्यादा से ज्यादा 1 सप्ताह फ्रिज में रख सकते है जबकि जैविक खाद से तैयार फ़सल को हम बिना किसी फ्रिज के लगभग 15 दिन से एक माह से अधिक समय तक रख सकते हैं, मैं एक कार्यक्रम के माध्यम से सभी किसान भाई बहनों से निवेदन करता हूं की ज्यादा से ज्यादा जैविक खेती को अपनाए और हर समय अपने कृषि वैज्ञानिकों का मागदर्शन लेते रहे। इस दौरान जिले के उत्कृष्ठ कृषकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया जिसमें कृषक – श्री मोती बंजारा, शकुंतला पैंकरा, रूकमणी यादव एवं सुंदरमती बाई रहे।
तत्पश्चात् कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी श्री राकेश भगत द्वारा जैविक खेती के कारण मृदा पर प्रभाव एवं रासायनिक खाद के साथ संतुलित उर्वरक का उपयोग कर मृदा की उर्वराशक्ति के बारे में विस्तार से बताया गया। इस कार्यक्रम में कृषि महाविद्यालय कुनकुरी से डॉ हरीशंकर पैंकरा, श्री डी.के. गुप्ता, त्।म्व् प्रेमसाय पैंकरा, सुरेश कुमार सोरेन, नरोत्तम यादव, मनीष लकड़ा, कार्यक्रम में यंग प्रोफेशनल श्री बलराम सोनवानी सहित कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारी/कर्मचारी उपस्थित रहे।