CGRDCL के अधीन ठेकेदारों का भुगतान लंबित, असामान्य विलम्ब के कारण ठेकेदारों को व्यवसायिक हानि एवं ठेकेदारों में आक्रोश
CGRDCL के अधीन ठेकेदारों का भुगतान लंबित, असामान्य विलम्ब के कारण ठेकेदारों को व्यवसायिक हानि एवं ठेकेदारों में आक्रोश
रायपुर। बिल्डर्स एसो. ऑफ इंडिया के रायपुर सेंटर चेयरमेन रूपेश कुमार सिंघल ने छ.ग. सड़क विकास कंपनी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक को भुगतान में असामान्य विलम्ब के कारण ठेकेदारों को व्यवसायिक हानि एवं ठेकेदारों में व्याप्त आक्रोश के संबंध में अवगत कराते हुए ज्ञापन सौंपा है उन्होंने बताया कि छ.ग. सड़क विकास कंपनी लिमिटेड (CGRDCL) के अधीन ठेकेदारों को आवंटित कार्यों में कार्य निष्पादन के पश्चात विधिवत माप एवं देयक पारित कर लोक निर्माण विभाग द्वारा आपके कंपनी को भुगतान हेतु प्रस्तुत किया जाता है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के अलग-अलग लोक निर्माण संभागों द्वारा आपको भुगतान हेतु प्रस्तुत किए गए कुल पारित देयकों जिनकी कुल राशि रू. तकरीबन 300 करोड़ हैं, आपके कंपनी में पिछले तीन माह से एक वर्ष की अवधि के लिए भुगतान हेतु लंबित है। इन देयकों में चल देयक एवं अंतिम देयक दोनों शामिल हैं। निर्माण कार्यों की ठेकेदारी एक उच्च जोखिम का पेशा है जिसमें खुली प्रतिस्पर्धा से ठेका आबंटित किया जाता है अतः निजि पूंजी निवेश कर कार्य संपादित करने के उपरांत ठेकेदारों का भुगतान लंबे समय से लंवित रखे जाने से ठेकेदारों द्वारा कार्य संपादन हेतु बैंक अथवा बाजार से ऋण लेकर पूंजी निवेश किया जाता है ऐसी स्थिति में ठेकेदारों द्वारा निष्पादित कार्य का भुगतान असामान्य रूप से लंबे समय तक लंबित रखा जाना ठेके की शर्तों का आधारभूत विखण्डन (Fundamental Breach) है।. शासन द्वारा किसी निजि व्यक्ति अथवा संस्थान को उसके द्वारा प्रदाय की गई सेवा अथवा आपूर्ति की गई सामग्री का भुगतान समय पर किया जाता है, इसी अवधारणा के आधार पर छ.ग. वित्तीय संहिता (Finance Code) के नियम-13 में प्रावधान है (छायाप्रति संलग्न) । ठेकेदारों को देय राशि के भुगतान में असामान्य विलंब होना वित्तीय संहिता (Finance Code) के नियम-13 का उल्लंघन है।. छ.ग. सड़क विकास कंपनी लिमिटेड के कार्यों में नियोजित अधिकांश ठेकेदार एम.एस.एम.ई. (Micro, Small and Medium Enterprises) के अंतर्गत पंजीकृत है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार द्वारा MSME Act लागू किया गया है। ऐसे उद्यमों के संरक्षण हेतु उपरोक्त अधिनियम की धारा-16 में प्रावधान है कि “यदि क्रेता आपूर्तिकर्ता को धारा-15 में दी गई समय-सीमा (45 दिनों के अंदर) भुगतान करने में विफल रहता है तो क्रेता, भले ही क्रेता एवं आपूर्तिकर्ता के बीच अनुबंध में कोई भी प्रावधान हो, आपूर्तिकर्ता को रिजर्व बैंक द्वारा अधिसूचित व्याज के दर से तीन गुना दर पर व्याज का भुगतान करेगा जो कि मासिक चक्रवृद्धि (Monthly Compounded) होगा” । ऐसे अनेक न्यायालयीन दृष्टांत विद्यमान है जहां माननीय न्यायालयों द्वारा विलंबित भुगतान हेतु ब्याज एवं अन्य क्षतिपूर्ति ठेकेदार को भुगतान करने बाबत आदेश पारित किया गया है। छत्तीसगढ़ माध्यस्थम अभिकरण (Arbitration Tribunal) द्वारा भी चल देयकों के भुगतान में विलंब हेतु ठेकेदार को ब्याज भुगतान हेतु आदेश पारित किया गया है । जस्टिस सी. के. चावला द्वारा लिखित पुस्तक Statutory Arbitration in Works Contracts में विभाग / नियोक्ता द्वारा भुगतान में विलंब को संविदा का आधारभूत विखण्डन माना गया है ।, छ.ग. सड़क विकास कंपनी लिमिटेड में प्रदेश के छोटे, बड़े सभी श्रेणी के ठेकेदारों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है एवं लगातार व्यवसायिक हानि उठाने की बाध्यता है। उपरोक्त परिस्थितियों चलते प्रदेश के ठेकेदारों में बेहद आक्रोश व्याप्त है। बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया अनुरोध करता है कि ठेकेदारों के सभी लंबित देयकों का तत्काल भुगतान करने की कार्यवाही करने का कष्ट करें।