जब तक शिक्षक एलबी संवर्ग के सभी संगठन एक मंच पर नहीं आएंगे ….. तब तक कोई भी मांग पूरा होना असंभव ही नहीं बल्कि नामुमकिन…. आंदोलन के नाम पर शिक्षको को गुमराह करना बंद करे मोर्चा – जाकेश साहू
जब तक शिक्षक एलबी संवर्ग के सभी संगठन एक मंच पर नहीं आएंगे ….. तब तक कोई भी मांग पूरा होना असंभव ही नहीं बल्कि नामुमकिन….
आंदोलन के नाम पर शिक्षको को गुमराह करना बंद करे मोर्चा – जाकेश साहू
रायपुर //-
वर्तमान समय में प्रदेश में शिक्षक एलबी संवर्ग के अंतर्गत शिक्षको की संख्या लगभग एक लाख अस्सी हजार है तथा इनके अंतर्गत आने वाले संगठनों की संख्या लगभग बीस से ज्यादा है। विभिन्न प्रमुख मांगो की पूर्ति के लिए सभी संगठनों का साझा मंच होना आवश्यक है।
जब तक सभी संगठन एक मंच में आकर अपनी ताकत नहीं दिखाएंगे तब तक कोई भी मांग पूरा होना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। पहले की स्थिति कुछ और थी एवं आज की स्थिति कुछ और है। पहले प्रदेश के सारे शिक्षक दो चार संगठनों के ही सदस्य थे तथा इनके एक आहवान पर आंदोलन में कूद जाते थे। लेकिन आज परिस्थितियां कुछ और है।
आज की तारीख में प्रदेश के अस्सी प्रतिशत शिक्षक स्वतंत्र है, निष्पक्ष है वे किसी भी संघ विशेष के सदस्य नहीं है। साथ ही वे किसी भी आंदोलन के हिस्सा नहीं बन रहे क्योंकि उन्हें पता है कि जब तक प्रदेश के सारे शिक्षक एलबी संवर्ग संगठन एक मंच पर नहीं आएंगे तब तक कोई भी मांग पूरा होने वाला नहीं है।
प्रदेश के शिक्षक व कर्मचारी नेता, छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक फेडरेशन के संस्थापक तथा प्रधान/प्रभारी पाठक मंच छग के प्रदेशाध्यक्ष जाकेश साहू ने प्रदेशभर के एक लाख अस्सी हजार शिक्षको के नाम जारी संदेश में कहा है कि अब ये वक्त आत्मचिंतन का है।
ये समय अब टाइम पास करने या व्यर्थ समय गंवाने का नहीं बल्कि संजीदा होकर सभी संगठनों को एक मंच में लाने का है जिससे कि व्यापक आंदोलन कर सभी प्रमुख समस्याओं के निराकरण करने का है। जिससे कि सहायक शिक्षको की वेतन विसंगति दूर हो सके। सभी का वेतन क्रमोन्नति के आधार पर निर्धारण हो सके तथा रिटायर हो रहे साथियों को प्रथम नियुक्ति तिथि से पुरानी पेंशन मिल सके।
और ये तभी संभव हो सकेगा जब हम टुकड़ों में हो रहे या दो चार तथाकथित संघों के मोर्चा द्वारा किए जा रहे किसी भी आंदोलन का हिस्सा कभी भूलकर भी न बने। क्योंकि टुकड़ों में कभी भी कोई लड़ाई नहीं जीती जाती। बड़ी जंग जीतने के लिए सभी को एक होना पड़ता है। आज की तारीख में न कोई संघ बड़ा है न कोई छोटा बल्कि सभी संगठनों का अपना एक अलग महत्व और उपयोगिता है।
चार संघ मिलकर आंदोलन करना और बाकी लगभग बीस संगठनों को छोड़ देना अर्थात आम शिक्षको को गुमराह करना है। ये लोग आंदोलन के नाम पर सिर्फ अपनी राजनीति चमका रहे है, इससे कोई भी मांग पूरी नहीं होगी बल्कि सरकार को यह मैसेज जाएगा कि प्रदेश के शिक्षक संगठनों में एकता नहीं है। अतः प्रदेश के सभी शिक्षक एलबी संवर्ग साथियों से अपील है कि वे अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ होने से बचे तथा जब तक सभी संगठन एक न हो तब तक किसी भी आंदोलन का हिस्सा न बने।