गैर आदिवासी व्यक्ति ने जमीन बेचा, पटवारी से फर्जी वंशवृक्ष बनवाया, सरपंच ने आदिवासी जाति प्रमाण पत्र भी बना दिया, अब बिक्री हो चुके जमीन पर दिखा रहा कब्जा
गैर आदिवासी व्यक्ति ने जमीन बेचा, पटवारी से फर्जी वंशवृक्ष बनवाया, सरपंच ने आदिवासी जाति प्रमाण पत्र भी बना दिया, अब बिक्री हो चुके जमीन पर दिखा रहा कब्जा
पत्थलगांव में जमीन हेरा फेरी का मामला थम नहीं रहा, अधिकारी के जानकारी में हो रहा आदिवासी से गैर आदिवासी और गैर आदिवासी से आदिवासी बनाए जाने का खेल
पटवारी पूरी तरह जमीन फर्जीवाड़ा में लिप्त
पत्थलगांव। पत्थलगांव के किलकिला ग्राम पंचायत में एक गैर आदिवासी वर्ग के लोगों द्वारा अपनी जमीन बिक्री किए जाने के उपरांत अब पटवारी और सरपंच से सांठ गांठ कर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए अपना नाम आदिवासी वर्ग में अंकित करवाकर पूर्व में बेचे गए जमीन पर कब्जा जताने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में पुराने समस्त रिकार्ड में सामान्य गैर आदिवासी वर्ग के नाम से दर्ज लोगों का अचानक से आदिवासी वर्ग में नाम अंकित हो जाना कई संदेहों को जन्म दे रहा है इस संबंध में सामान्य वर्ग के विक्रेता द्वारा प्रशासन के समक्ष शिकायत एवं विज्ञापन देकर उचित कार्रवाई की मांग की गई है।शिकायत के अनुसार राजस्व दस्तावेजों में छेड छाड कर झूठा आदिवासी धारा में फंसाने के लिये षडयंत्र करने के संबंध में जांच बाद दोषी लोगों के उपर कठोर कानूनी कार्यवाही करने की मांग की गई है। पत्थलगांव निवासी निपुन अग्रवाल पिता विजय अग्रवाल ने मु० तिजोबाई पति चक्रधर सिंह एवं रामघर प्रधान पिता चकधर सिंह जाति परघनियां, निवासी किलकिला से उनके नाम पर धारित भूमि ख नं0 281/2 रकबा 1.010 हे० भूमि को विधिवत तिजोबाई एवं रामधर प्रधान को नगद प्रतिफल अदा कर 11 फरवरी 2022 को पंजीकृत विक्रय पत्र के आधार पर क्रय कर कब्जा प्राप्त किया था, किन्तु वे लोग आदिवासी होने का झूठा कथन करते हुए फर्जी शिकायत करते नजर आ रहे है।
बता दे कि भूमि को क्रय करते समय विक्रेतागण कि वास्तविक जाति राजस्व अभिलेखों में जाति परघनियां लिखा हुआ है, उसी प्रकार ग्राम किलकिला के वर्ष 1991-1992 के बी-1, किश्तबंदी खतौनी में भी जाति परघनियां अंकित है। मिसल बंदोबस्त वर्ष 1931-32 ई0 में एवं राजस्व दस्तावेज बी-1 किश्तबंदी खतौनी एवं खसरा पांचशाला वर्ष 2003-2004, 2007-2008 2009-2010, 2011-2012, 2012-2013 तक में भी जाति परघनियां अंकित थी एवं ग्राम किलकिला तहसील पत्थलगांव, के मिसल बंदोबस्त वर्ष 1931-32 ई. में भी उक्त विकेतागण के पूर्वजों का नाम परघनियां उल्लेखित है। जिससे स्पष्ट है, कि वे लोग अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति वर्ग समूह के सदस्य नहीं हैं, जाति परघनियां को शासन के द्वारा कभी भी अनुसूचित जन जाति वर्ग समूह में नहीं रखा गया है। आरोप है कि निवर्तमान हल्का पटवारी मुमताज तिर्की के द्वारा उपरोक्त विकेतागण से आपसी सांठ गांठ करके राजस्व दस्तावेजों में छेड छाड करके उनकी जाति परघनियां से जाति गोंड बना दिया गया है, तथा उन्हें फर्जी वंशवृक्ष दे दिया गया है। तथा वर्तमान तात्कालीन सरपंच ग्राम पंचायत किलकिला से रामधर के पुत्र कृष्णा सिंह के द्वारा मेल मिलाप करके सरपंच के द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र में भी अपना फर्जी जाति गोंड लिखवाकर प्राप्त कर लिया गया है।
प्रकरण चला लेकिन स्थिति नहीं सुधरी
इस संबंध में तहसील कार्यालय में चले राजस्व प्रकरण में पारित आदेश में दर्ज के अनुसार हल्का पटवारी के द्वारा प्रस्तुत मौका अभिलेख जांच के अनुसार हल्का पटवारी के द्वारा जांच में यह पाया गया कि भुईयां सॉफ्टवेयर में अनावेदक की जाति ऑनलाईन खसरा पांचशाला एव ‘बी-1 में जाति दर्ज नहीं है। जाति वर्ग अनुसूचित जनजाति तकनीकी त्रुटिवश दर्ज है। एवं पते के स्थान पर सा० देह पर परघनियां दर्ज है, जो कि त्रुटिपूर्ण है। अनावेदक के हस्तलिखित खसरा पांचशाला वर्ष 2003-2004 से 2007-2008 एवं वर्ष 2012-2013 तक जाति परघनियां दर्ज हैं, एवं मिसल बंदोबस्त वर्ष 1931-32 में अनावेदक के पूर्वजों की जाति परगनिहा दर्ज है, जो कि वर्तमान में अनु० जनजाति, अनुसूचित जाति एवं अन्य पिछडा वर्ग की सूची मे परगनिहा जाति दर्ज नहीं है। अतः अनावेदक की जाति मिसल बंदोबस्त के अनुसार वर्तमान भूमि अभिलेखों में परगनिहा दर्ज किया जाना उचित होगा।
आरोप है यह त्रुटि भुईयां सॉफ्टवेयर का नहीं है, बल्कि उस समय पदस्थ हल्का पटवारी मुमताज तिर्की के द्वारा जानबुझकर रामधर एवं उसके पुत्र कृष्णा नेताम को लाभ पहुंचाने फर्जी तरिके से राजस्व अभिलेखों में छेड छाड किया गया है। जिसकी गंभीरता पूर्वक जांच किया जाना आवश्यक है। विदित हो कि अपना जाति बदलना, फर्जी शिकायत करना भी एक अपराधिक प्रकरण के श्रेणी के अंतर्गत आता है। तथा उससे संबंधित सभी व्यक्ति उक्त अपराध को घटित करने के सहयोगी होने के आधार पर भी अभियोजित किये जाने योग्य है।
क्या कहते है अधिकारी
पत्थलगांव तहसीलदार उमा सिंह ने बताया कि प्रकरण उनके संज्ञान में आया था , तकनीकी त्रुटि का मामला है तहसील न्यायालय द्वारा किसी के भी जाति प्रमाण पत्र हम डिसाइड नहीं कर सकते है तहसीलदार सिर्फ जाती को अनुमोदित करते है जाति डिसाइड करने का अधिकार सिविल को है।
पटवारी
मेरे कार्यकाल से पहले ही यह जमीन बिक्री हो गई थी, मै अभी दूसरे हल्के में हु मामला काफी पुराना हो गया है प्रकरण देख कर ही बता सकती हु – मुमताज तिर्की पूर्व पटवारी किलकिला