Chhattisgarh

संकल्प स्कूल जशपुर की छात्रा की संदिग्ध हालात में मौत

संकल्प स्कूल जशपुर की छात्रा की संदिग्ध हालात में मौत

Neerajneeraad

नीरज गुप्ता संपादक
MO NO- 9340278996,9406168350

जशपुर। संकल्प कोचिंग स्कूल जशपुर में कक्षा दस की छात्रा की बीमारी से मौत हो गई। स्टाफ उसे बुखार के साथ उल्टी दस्त होना बता रहे है जबकि परिजनों ने स्कूल स्टाफ पर इलाज में लापरवाही के साथ समय से सूचना न देने का आरोप लगाया। घटना से स्कूल की अन्य छात्राओं में दहशत है। मिली जानकारी के मुताबिक पत्थलगांव तमता निवासी मानसाय सिदार की बेटी सुप्रिया सिदार संकल्प स्कूल जशपुर में कक्षा 10वीं में अध्ययनरत थी। 11 दिसंबर को उसके परिजनों के पास सुबह स्कूल से फोन आया की आपकी बेटी का तबीयत खराब है वह चलने फिरने नहीं सक रही है उसे उसके साथ रहने रुम वाले बाथरूम लाना लेना कर रहे है उसे आप आके ले जाये परिजनों ने हॉस्टल वार्डन को फोन कर बेटी को तत्काल हास्पिटल में भर्ती कराने बोले,परंतु वार्डन के द्वारा पेट दर्द का टेबलेट खिलाकर सुला दिया गया बच्ची फिर भी ठीक नहीं हुई तो परिजनों ने जशपुर निवासरत एक अपने रिश्तेदार को स्कूल देखने भेजा लेकिन रिश्तेदार को वार्डन द्वारा 2 घंटे तक इन्तेजार कराने पर भी मिलने नहीं दिया तथा और बाद में बच्ची को गंभीर हालत में अस्पताल भर्ती कर दिया।सूचना पर  पिता मान साय अपनी बेटी को लेने जशपुर पहुंचा इस दौरान  उसने देखा कि बच्ची को संकल्प के स्टाफ ने हास्पिटल में छुट्टी कराकर ऑटो में बस स्टैंड लाकर बैठा दिया था, परिजन बच्ची को बस स्टैंड से लेकर घर ला रहे थे तो रास्ते में ही डुमरबहार में बच्ची की सांस थम गई। पिता मानसाय का कहना है कि बच्ची के बीमार होने की उन्हें जानकारी नहीं दी गई है। बच्ची को जब अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो उसे देखने ना तो वार्डन अस्पताल आई थी ना ही प्रिंसिपल आया था जबकि बच्ची काफी गंभीर थी और बच्ची की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे अस्पताल प्रबंधन को भी छुट्टी नहीं देना था।परिजनों ने संकल्प स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया है।

नीरज गुप्ता संपादक
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सवाल यह है कि जिला मुख्यालय जैसे जगह में जब बच्ची का इलाज चल रहा था तो उसे वापस इस हालत में पत्थलगांव घर क्यों भेजा गया जबकि उसकी हालत खराब थी जिसकी वजह से आधे रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। सवाल यह भी है कि संकल्प संस्थान जैसे बड़े संस्थान में प्रिंसिपल द्वारा यह कहा जाना की बच्चों के पास कंबल की कमी थी क्या संस्थान बच्ची को ठंड से बचाने कंबल उपलब्ध नहीं करा सकता था।neeraj,harit,

कंबल की कमी नहीं थी

 

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