Chhattisgarh

घरजियांबथान में डुबान क्षेत्र का पंजीयन कर पिछले 10 सालों से धान बेच रहे,बार बार शिकायत होने के बाद भी प्रशासन ने चुप्पी साधा

घरजियांबथान में डुबान क्षेत्र का पंजीयन कर पिछले 10 सालों से धान बेच रहे,बार बार शिकायत होने के बाद भी प्रशासन ने चुप्पी साधा

Neerajneera

नीरज गुप्ता संपादक
MO NO- 9340278996,9406168350

पत्थलगांव। पत्थलगांव के घरजियांबथान क्षेत्र में बांध में डुबान का मुआवजा लेने के बावजूद उस डुबान की जमीन का धान रकबा पंजीयन करा कर लगातार धान बेचे जाने की शिकायत को लेकर प्रशासन बिल्कुल भी गंभीर नजर नहीं आ रही है बार-बार शिकायत के बावजूद भी अभी तक इस मामले में किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो सकी है। यहां के ग्रामीण लखेराम,दिलीप लकडा, किशोर बेहरा, दयाराम, जनक, सुकदेव,बितनो, ढादूराम ने शिकायत किया है कि कुछ दबंगों द्वारा जलाशय घरजियांबथान के गेट को तोडने एवं फर्जी डुबान का रकबा को पंजीयन कराकर शासन को चुना लगा रहे है। ग्रामीणों का आरोप है कि जलाशय घरजियांबथान को आदिवासी मछुवा सहकारी समिती मर्यादित तिरसोंठ को शासन द्वारा 115 हेक्टेयर दिया गया है ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि दबंगों ने जलाशय का गेट को तोडकर पानी को बहा देते है जिसे समिती द्वारा मना करने पर झुठा केश में फसाने की धमकी दी जाती है क्योकि जलाशय के उपर तरफ पवित्रो मोहन बेहरा पिता गणेश्वर बेहरा का डुबान एरिया है। जिसे मुआवाजा प्राप्त करने के बाद भी शासन को गुमराह कर के पटवारी से मिली भगतकर पुनः उसे अपने पिता के नाम से धान पंजीयन कर डुबान की रकबा को बढवा लिया है। जबकी अभी भी वहा 20 फीट पानी है। परंतु पटवारी से मिलकर धान का रकबा बढवाकर धान खरीदी केन्द्र घरजियांबथान पंजीयन क0 62 में गरमी में उगाया हुआ पुराना धान को अवैध रूप से विक्रय किया जाता है। अभी भी जांच करने पर उसके पास 500 बोरी पुराना धान प्राप्त होगा इसलिए दबंग द्वारा जलाशय के गेट को तोडकर पानी को बहा दिया जाता है। चुकि आदिवासी मछुवा सहकारी समिती तिरसोट को 10 वर्षीय पटटें में दिया गया है। 115 हे0 के लीज राशी शासन द्वारा ली जाती हैं। जबकी इनके द्वारा पानी बहा देने के कारण 20 एकड पानी बच पाती है। जिससे समिती को भारी नुकसान का सामना करन पडता है। साथ ही उनके द्वारा धान टोकन कटाकर शासन को गुमराह करते हुए धान बिना लाये खरीदी करवा लेने का आरोप है। 

neeraj,harit,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!