Chhattisgarh

*भू माफिया के चंगुल में तपकरा, दूरदराज की जमीन को सड़क के किनारे दिखा कर दी बेच दी।*

*भू माफिया के चंगुल में तपकरा, दूरदराज की जमीन को सड़क के किनारे दिखा कर दी बेच दी।*

 

*राजस्व अभिलेख होने बाद भी राजस्व अधिकारी मौन।*

 

*अब तो भोलेभाले ग्रामीण भी मानने लगे, कागज नही पैसा बोलता*

फरसाबहार। जशपुर जिले के फरसाबहार तहसील के एक बड़े व्यापारिक ग्राम तपकरा को भूमाफियाओं ने इस कदर अपने चंगुल कर लिया है। अपने मनमुताबिक दूरदराज की जमीन को सड़क के किनारे ला कर ऊंचे दामों में बेच दी रहे है।

ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमे ग्राम तपकरा की एक भूमि जो 70/3 थी जो कि कब्रिस्तान के नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज है। और यह भूमि सड़क के किनारे की भूमि है। उसे 70/12 में दर्ज कर व राजस्व रिकार्ड में हेर फेर कर बेच दी गई। 

लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता निवासी तपकरा के साथ तपकरा अन्य नागरिकों ने मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय बगिया में शासकीय भूमि ( सुरक्षित कब्रिस्तान ) खसरा नंबर 70/3 को भू-माफियाओं से बचाने के लिए एक आवेदन पत्र दिया था। जिस पर कार्यवाही करते हुए मौके पर जाकर तहसीलदार फरसाबहार की उपस्थिति में पटवारी एवं राजस्व निरीक्षक द्वारा नाप जोक कर न्यायालय तहसीलदार कार्यालय फरसाबहार ने अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)फरसाबहार को भू-माफियाओं से मिलीभगत कर शासकीय भूमि पर कब्जा करने के संबंध में में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। जिसमें मुख्यमंत्री समय सीमा क्रमांक 202408202381 ग्राम तपकरा में लिखा कि प्रार्थी लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता निवासी ग्राम तपकरा, तहसील फरसाबहार ने भूमि खा.नं. 70/03, रकबा 3.157 हेक्टेयर, जो वर्तमान में संरक्षित कब्रिस्तान के रूप में राजस्व रिकार्ड में दर्ज है, भूमि सड़क से लगी हुई भूमि जिसका खसरा नं 70/ 12 बनाकर बिक्री किया गया है। जिसके संबंध में आवेदक एवं अनावेदकगण ग्राम पंचायत सरपंच एवं ग्रामवासियों को विधिवत सूचना पत्र तामील किये जाने पश्चात उनकी उपस्थिति में स्थल निरीक्षण किया गया। उक्त वाद भूमि खा.नं. 70/3, रकबा 3.157 हेक्टेयर पूर्व से ही राजस्व रिकार्ड में सुरक्षित कब्रिस्तान के नाम में दर्ज है, जिसे ग्रामवासी भलीभांति जानते हैं कि भूमि रकबा नंबर 70 में से 70/1, रकबा 0.82 एकड़/0.332 हेक्टेयर वर्ष 1975-76 में लादू साय जाति कंवर निवासी तपकरा के नाम से भूमि बंटन में प्राप्त भूमि है। जिसका खसरा नंबर वर्तमान राजस्व रिकार्ड बी-1 एवं नक्शा में 70/12, रकबा 0.332 हेक्टेयर में दर्ज है। भूमि बंटवारा नक्शे की प्रमाणित प्रति की मौके पर जांच की गई तो पाया गया कि लादू साय जाति कंवर की भूमि में खा.नं. 70 में है जो भूमि बंटन से प्राप्त हुआ था जो सड़क से लगा हुआ नहीं था। आवेदित भूमि से लगभग 500 मीटर की दूरी पर है। जिसका नक्शा एवं पंचनामा संलग्न है। वर्ष 2004-05 में लादू साय कंवर की मृत्यु के पश्चात उनकी पत्नी कोली बाई का नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज हुआ। उक्त वाद भूमि में दिनांक 11/05/2010 को श्रीमती कोली बाई बेवा लादू साय का नाम रजिस्ट्री पेपर में ओली बाई बेवा बादू साय राजस्व अभिलेख बी-1 में अपना नाम चढ़नेके पश्चात श्रीमती गायत्री बाई पिता विरेश्वर साय जाति कंवर को भूमि दो गवाहों के समक्ष पंजीयन विक्रय पत्र के आधार पर नामांतरण किया गया। एवं कोली बाई के द्वारा स्वयं बंटन से प्राप्त भूमि जो नदी नहर के किनारे है, को न बताकर रोड़ से लगे हुए कब्रिस्तान ( सुरक्षित ) की गई भूमि को बेच दिया गया एवं क्रेता को कब्जा दे दिया। उक्त वाद भूमि में बेची गई भूमि क्रेता गायत्री के नाम मे किसी भी व्यक्ति द्वारा पहचान नहीं किया गया। एवं 2010 में क्रेता गायत्री के द्वारा क्रय करने के पश्चात उक्त वाद भूमि 70/12 की भूमि पर कभी कब्जा नहीं किया गया। दिनांक 29/03/2018 को लोक सुराज अभियान के अंतर्गत आवेदक लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता के आवेदन पर हल्का पटवारी एवं राजस्व निरीक्षक द्वारा जांच कर वाद भूमि खसरा नंबर 70/3 रुकवा 3.157 हेक्टेयर भूमि का आवेदक एवं समस्त ग्रामवासियों की उपस्थिति में सीमांकन किया गया तो पाया गया कि उक्त वाद भूमि खसरा क्रमांक 70/12 बनाकर वर्ष 2010 में बेचा गया किया गया एवं खसरा नंबर 70/3 का ही हिस्सा बताया गया। जो वर्तमान में बी 1 में सुरक्षित कब्रिस्तान के नाम से दर्ज है। उक्त वाद भूमि 70/12 रकबा 0.332 हेक्टेयर भूमि गायत्री पैंकरा द्वारा क्रय की गई भूमि को आशा मिंज पिता जोसेफ मिंज ग्राम सेमरताल को पंजीयन के माध्यम से विक्रय कर राजस्व अभिलेखों में दर्ज है।

श्रीमती कोली बाई के पटटे की भूमि के संबंध में स्थल निरीक्षण किया गया। जो नहर के किनारे पाई गई। पूर्व रिकार्ड नक्शे की प्रतिलिपि का अवलोकन किया गया। ग्रामीणों से पूछताछ की गई, जिन्होंने बताया कि कोली बाई की भूमि सड़क के किनारे नहीं, बल्कि नदी के किनारे है।

आवेदक लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता द्वारा आवेदित भूमि खा0नं0 70/3, रकबा 157 हेक्टेयर भूमि में से टुकड़ा नक्शा में दुरुस्त कर खसरा नंबर 70/12, रकबा 0.332 20 हे. बनाकर कोली बाई की भूमि बताकर बिक्री निष्पादन कर दिया गया। वाद भूमि खा0नं0 70/3 रकबा 3.157 हेक्टेयर भूमि सुरक्षित कब्रिस्तान भूमि में से है।

उच्च न्यायालय में याचिका।

तहसीलदार ने अपने प्रतिवेदन में लिखा कि विवादित भूमि के नक्शे को लेकर दोनों पक्षों में विवाद है। आशा मिंज जोसेफ मिंज ग्राम सेमरताल द्वारा आवेदित भूमि के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका प्रस्तुत की है। चूंकि आवेदित भूमि के संबंध में प्रकरण माननीय न्यायालय में विचाराधीन है, अतः इस न्यायालय से हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

कागज नही साहब, पैसा बोलता है।

लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता एवं तपकरा के ग्रामीणों ने कई बार इस सुरक्षित कब्रिस्तान की भूमि खसरा नंबर 70/3 के लिए पटवारी, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, कलेक्टर, मंत्री एवं मुख्यमंत्री के साथ समय समय पर आयोजित राजस्व शिवरों में आवेदन देकर उक्त भूमि को भू-माफियों से मुक्त कराने की मांग की। हर बार भूमि का नापजोख किया गया, पंचनामा बनाया गया, उच्च अधिकारियों को प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। परन्तु परिणाम वंही का वंही रहा। अब तो ग्रामीणों ने भी मान लिया कि कागज नही, साहब पैसा बोलता है।

क्या, कब्रिस्तान की भूमि भूमाफियाओं से मुक्त होगी।

तपकरा के ग्रामवासियों ने बताया कि पूरा का पूरा तपकरा व उसके आसपास का क्षेत्र भूमाफियाओं के चंगुल में है। राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी आते है। देख कर चले जाते है। एक ग्रामीण ने बताया कि शासकीय जमीन को अपने नाम राजस्व रिकार्ड में हेरफेर करने के यंहा लगभग 150 मामले है। किसी भी मामले में ठोस कार्यवाही नही होने से सभी गरीब लोग अपने आप की ठगा सा महसूस कर रहे गई। न जाने कब, कब्रिस्तान की भूमि भूमाफियाओं से मुक्त होगी।neeraj,harit,

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