Kota-Updete:-डॉ.सीवी.रमन-विश्वविद्यालय नैक द्वारा “ए” ग्रेड प्रदान करने वाला प्रदेश का पहला विश्विद्यालय बना।-*
*Kota-Updete:-डॉ.सीवी.रमन-विश्वविद्यालय नैक द्वारा “ए” ग्रेड प्रदान करने वाला प्रदेश का पहला विश्विद्यालय बना।-*
*नई शिक्षा-नीति के कियान्वयन में अग्रणी विज्ञान-कला-टेक्नालॉजी के नवाचारों ने विश्विद्यालय को बनाया सर्वोतम:—डॉ.संतोष चौबे कुलाधिपति।*
*कौशल-शिक्षा को पूर्ण रूप से विकसित करने के साथ भारतीय हिंदी भाषा विस्तार को प्राथमिकता:–कुलाधिपति डॉ. संतोष चौबे।*
*लोकल स्तर पर सीवआरयु ग्लोबल-विश्विद्यालय…40% विश्विद्यालय में 60% भारतीय इंडस्ट्री में:–कुलाधिपति:–डॉ. संतोष चौबे।
*दिनांक:-23/01/2024*
*मोहम्मद जावेद खान हरित छत्तीसगढ़।।*
*करगीरोड-कोटा:-आदिवासी-बाहुल्य इलाका करगीरोड कोटा में सन 2006 से उच्च-स्तर शिक्षा प्रदान करने वाला डॉ.सीवी रमन विश्वविद्यालय-आदिवासी ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी एवं पिछड़े-वर्ग के विद्यार्थियों को विशेषकर छात्राओं को विज्ञान तकनीक-प्रबंधन कला-साहित्य संस्कृति एवं भाषा से जोड़ने का निरंतर प्रयास कर रहा है..इसके अलावा कौशल-विकास में दक्ष करने के बाद उद्यमी बनाकर स्वरोजगार से जोड़ने का कार्य कर रहा है..विश्विद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान की जा रही है..विश्वविद्यालय के प्रयासों को सभी का सहयोग एवं मार्गदर्शन निरंतर प्राप्त होता रहा है..डॉ.सी.व्ही. रमन-विश्वविद्यालय को देश में स्थापित-संस्थाओं द्वारा अपने मूल्यांकन में हमेशा सर्वश्रेष्ठ स्वीकार किया गया है..इसी क्रम में डॉ.सीवी.रमन-विश्वविद्यालय को नैक द्वारा “ए” ग्रेड प्रदान किया गया है..सीवीआरयू को नेक द्वारा “ए” ग्रेड घोषित करने के बाद डॉ. सीवी रमन को प्रदेश का पहला निजी-विश्वविद्यालय बनने का गौरव प्राप्त हुआ है, उक्त बातें डॉ.सी.व्ही.रमन-विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने प्रेसवार्ता में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कही।*
अंचल के विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में विश्वविद्यालय में ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना की गई है:–कुलाधिपति।
*कुलाधिपति ने बताया कि विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों के सर्वांगीण-विकास के लिए संकल्पित है, इसके लिए विश्वविद्यालय ने अपने विद्यार्थियों की आवश्यकता और उनके भविष्य को सुरक्षित करने की मंशा से अनेक विकल्प विकसित किए है, विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को वैश्विक-बाजार से कौम्पिट करने के लिए व आत्मनिर्भर-भारत में योगदान देने के लिए भारत-सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा प्रदत्त-इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किया गया है..जो की नए उद्यमी तैयार करने सहित स्वरोजगार-स्थापित करने के लिए सहायता करता है..इसी तरह भारत सरकार द्वारा विश्वविद्यालय को प्रधानमंत्री कौशल केंद्र भी प्रदान किया गया है..जिसमें विश्वविद्यालय के विद्यार्थी पढ़ाई के साथ-साथ कौशल में भी दक्ष हो रहे हैं..कौशल में दक्षता के अलावा उन्हें नेशनल और इंटरनेशनल जॉब भी विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान किया जाता है..इसके लिए देश और विदेश की विख्यात कंपनियां यहां आकर विद्यार्थियों का चयन करती हैं, कौशल विकास में दक्ष युवा आज भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं..श्री चौबे ने बताया कि अंचल के विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य करते हुए विश्वविद्यालय में ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना की गई है..जो आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ा कदम है..आदिवासी महिलाओं-कृषको और युवाओं को हर्बल-उत्पाद के साथ वन औषधियां और अन्य वनोत्पाद से बाजार के मांग के अनुरूप उत्पादन तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाता है, इसके लिए छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के कई राज्यों से प्रसिद्ध उद्यमी भी प्रशिक्षण देने विश्वविद्यालय आते हैं।
यूजीसी के निर्देशानुसार भारतीय ज्ञान-परंपरा से युवाओं को परिचित कराने और पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए कार्य कर रहा है:–कुलाधिपति।
*आत्मनिर्भरता का जीवंत रूप आपको सीवीआरयू में छत्तीसगढ़ की संस्कृति और जीवन शैली को संरक्षित एवं संवर्षित करने की दिशा में भी विश्वविद्यालय अनूठा कार्य कर रहा है..इसके लिए राष्ट्रीय शिक्षा-नीति-2020 के अनुरूप छत्तीसगढ़ी-संजोही एवं छत्तीसगढ़ी कला एवं संस्कृति केंद्र स्थापित किया गया है, यहां पर छत्तीसगढ़ की जीवन शैली और ग्रामीण-क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को जीवंत रूप में दर्शाया गया है..ताकि हम आधुनिकता से दूर भी ग्रामीण क्षेत्रों में एक आदर्श जीवन शैली को समझ सके और उसे स्वीकार भी करें, इसका एक उद्देश्य यह भी है, कि हम भावी युवा-पीढ़ी को अपने प्रदेश की संस्कृति व जीवन-शैली का मूल रूप में हस्तांतरित कर सके, एक तरह से यह एक नॉलेज-सेंटर के रूप में भी कार्य कर रहा है..भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र स्थापित-इसी क्रम में यूजीसी के निर्देशानुसार भारतीय ज्ञान-परंपरा से युवाओं को परिचित कराने और पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए कार्य कर रहा है, इसके लिए विश्वविद्यालय में एक भारतीय ज्ञान परंपरा केंद्र स्थापित किया गया है, जिसमें की भारतीय ऋषियों के आविष्कार की जानकारी के साथ एक समृद्ध लाइब्रेरी भी स्थापित की गई हैं।*
*विश्वरंग से वैश्विक मंच-विश्वविद्यालय में रविंद्रनाथ-टैगोर विश्वकला एवं संस्कृति-केंद्र की स्थापना की गई है:–कुलाधिपति।*
*कला संस्कृति साहित्य और भाषा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय स्थानीयता से लेकर वैश्विक स्तर तक कार्य कर रहा है, विश्वरंग से वैश्विक मंच-विश्वविद्यालय में रविंद्रनाथ-टैगोर विश्वकला एवं संस्कृति-केंद्र की स्थापना की गई है, जिसमें कि कला-संस्कृति और साहित्य के साथ-साथ भाषा के लिए स्थानीय-स्तर से लेकर वैश्विक-स्तर तक विद्यार्थियों को मंच दिया जाता है, स्थानीय स्तर पर जमीनी-कलाकारों को मंच देने के लिए रमन-लोककला महोत्सव-आयोजित किया जाता है, साथ ही साथ विश्वरंग में हम 50 से भी अधिक देशों के साथ कला-संस्कृति, साहित्य और भाषा के आदान-प्रदान के लिए कार्य कर रहे हैं..हिंदी को एक वैश्विक-स्वीकार्यता मिले इस दिशा में भी विश्वविद्यालय निरंतर कार्य कर रहा है..रामन लोककला में कलाकारों को मंच-नवोदित साहित्यकारों को मंच देने और उन्हें साहित्य की विधाओं के गुण ज्ञान को बताने के लिए वनमाली सृजन-पीठ की स्थापना की गई है, यहां हर वर्ग के रचनाकार को एक स्थान मिलता है..वनमाली सृजनपीठ के केंद्रो की स्थापना छोटे शहरों के साथ-साथ अब ब्लॉक स्तर पर भी की जा रही है, जिससे कि इन जगहों में भी साहित्य को लेकर रुचि जागृत हो केंद्र सरकार द्वारा विश्वविद्यालय में स्थापित रेडियो रामन् 90.4 में लोक-कलाकारों एवं विद्यार्थियों को कार्यक्रम का प्रसारण कर उन्हें मंच दिया जा रहा है..हाईटेक लायब्रेरी एवं खेलों में भी अपना परचम लहराने वाला सीवीआरयू में प्रदेश की सबसे हाईटेक और समृद्ध सेंट्रल लायब्रेरी है..युवाओं को ऑनलाइन पुस्तक की उपलब्धता की जानकारी मिलती है,और पूरी प्रकिया ऑनलाइन है, खेल में भी विश्वविद्यालय अनेक कृतिमान रथे हैं, हमारे विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक और मेडल जीतकर पूरे प्रदेश ही नहीं पूरे देश को गौरांवित किया है..भारतीय विश्वविद्यालय-संघ में सीवीआरयू के विद्यार्थी भाग लेकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं, खेलो-इंडिया-खेलो में विद्यार्थियों ने दो बार अपना विजन-परचम लहराया है..विश्व योगा चौंपियनशिप में हमने नेपाल में गोल्ड मेडल प्राप्त कर भारत का गर्व दुनिया के सामने बढ़ाया है, इसके साथ-साथ इंजीनियरिंग फार्मेसी सहित सभी विभागों में विश्व-स्तरीय और योग्य एवं अनुभवी शिक्षक निरंतर युवाओं को गढ़ रहे हैं।*