*Kota-Updete:-अरपा-पैरी की धार..रेतघाट ठेकेदारों के पोकलेन जेसीबी-मशीनों ने कमजोर की।-
*एनजीटी के मानकों की उड़ती धज्जियां..? तमाशबीन…पर्यावरण खनिज-वनविभाग के प्रशासनिक-मातहत..?
*पर्यावरण-विभाग सहित विभागीय मातहत कुंभकर्णी-नींद में..नगाड़े ढोल-ताशे डीजे-बजवाया जाय कार्यालयों के बाहर।
*पुलिस-विभाग की तरह ड्रोन का इस्तेमाल क्यों नहीं करता जिला खनिज विभाग डीएमएफ-मद का उपयोग कर।*
*दिनांक:-22/03/2025*
*मोहम्मद जावेद खान हरित छत्तीसगढ।।*
*करगीरोड-कोटा:-जल संरक्षण पर्यावरण- संरक्षण की दिशा में पेड़ों को बचाने नदियों को बचाने की मुहिम पर्यावरण प्रेमियों सहित सामाजिक संगठनों द्वारा समय समय पर की जाती रही है..पर मौजूदा डिजिटल इंडिया के दौर में अधिकांश बोल बच्चन सोशल-मीडिया प्लेटफार्म व्हाट्सएप फेसबुक/ट्विटर(X) इंस्टा/टेलीग्राम सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर की जाती है..इन सबके बीच कुछ पर्यावरण प्रेमी अभी भी है..संख्या भले ही कम हो पर सड़को पर उतरकर अपना विरोध जताते हैं..2014 के पहले हुए अन्ना आंदोलन जैसा जनांदोलन मौजूदा दौर में दूर की कौड़ी जैसा बोले तो इतिहास बनकर रह गए हैं..?*
*अरपा-पैरी की धार पोकलेन-जेसीबी मशीनों से उपयोग से कमजोर:—
*अरपा-पैरी की धार गीत छत्तीसगढ़ राज्य का राजकीय गीत है..गीत के शुरुवाती बोल ही अरपा से शुरू होते हुए प्रदेश में बहती अन्य नदिया जैसे इंद्रावती-महानदी के नामों का भी उच्चारण है..नदिया पेड़-पहाड़ खनिज-संपदा के अलावा छत्तीसगढ़ प्रदेश की संस्कृति सभ्यता संस्कार प्रदेश के राजधानी रायपुर न्यायधानी बिलासपुर सहित अन्य जिलों के नाम और उसके बखान गीत में मौजूद है..उसी अरपा पैरी की धार को मौजूदा दौर के रेतघाट ठेकदारों द्वारा पॉकलेन जेसीबी सहित अन्य बड़ी मशीनों से अरपा की बहती धारा को कमजोर करते हुए नदी को बड़े-बड़े गड्ढों-नालों में तब्दील कर चुके है..रेत-विकास कार्यों के लिए आवश्यक है,पर रेत के खेल में एनजीटी के मानकों की खुलेआम धज्जियां..?उड़ाई जा रही है..?और इस तमाशे के बीन के आगे पर्यावरण खनिज वन-विभाग के प्रशासनिक-मातहत नाच रहे हैं..?।
*सबंधित-विभागीय अधिकारी कुंभकर्णी चिर निद्रा में:—
*इस पूरे मामले में न्यायधानी के विभागीय मातहत जिसमें पर्यावरण विभाग खनिज विभाग वन-विभाग सहित अन्य विभागीय मातहत चिरनिंद्रा वाले कुंभकर्णी नींद में सोए हुए है..ये भी कुंभकर्ण महराजा अधिराज की तरह ढोल ताशे नगाड़ों पावर जोन वाले डीजे- इनके कार्यालयों के बाहर बजवाए जाने के बाद ही उठेंगे कलमकारों की कलम से निकली हुई खबरों की आवाज अपने कानों में पड़ने से पहले ही ये अपने कानों में काटन नुमा रुई से आवाज को आने से रोक देते हैं..या फिर डिजिटल इंडिया के इस मौजूदा दौर में ईयरफोन कानों में लगाकर मदमस्त गानों से पूरे दिन मदमस्त हो जाते है।
पुलिस ने ड्रोन की सहायता से अवैध रेत परिवहनकर्ताओं पर की कार्यवाही:–
*08-से 12-मार्च के बीच कोटा-पुलिस के नवपदस्थ थाना प्रभारी ट्रेनी आईपीएस सुमित कुमार सहित पूरे पुलिस महकमें के द्वारा ड्रोन से नजर रखकर अवैध रूप से रेत परिवहन-कर्ताओं पर ताबड़तोड़ कार्यवाही करते हुए दो दर्जन के लगभग रेत से भरे ट्रैक्टरों सहित 03 हाईवा पर कार्यवाही की गई…और अभी भी कार्यवाही जारी है..जिला खनिज विभाग वन-विभाग सहित पर्यावरण-विभाग के मातहतो को पुलिस विभाग की तरह विशेष ड्रोन का इस्तेमाल करते हुए नजर बनाए रखना चाहिए…राशि की कोई कमी हो तो डीएमएफ/मद का उपयोग करते हुए जिले के सभी रेतघाटों में सीसीटीवी कैमरे लगवा देना चाहिए..ताकि कार्यालय में बैठे-बैठे ही निगरानी हो सके जैसे कि जिला यातयात विभाग ट्रैफिक व्यवस्था के लिए सीसीटीवी कैमरे का उपयोग करती है, जैसे ही रेड-सिग्नल पार तुरंत चालन वाहन मालिक के द्वार पर पहुंच जाता है।*
*क्रमशः——*