“ऑनलाइन छुट्टी, ऑफलाइन ड्यूटी – पत्थलगांव स्कूल का नया फार्मूला!”गर्मी छुट्टी से पहले ही पिघल गया स्कूल, बच्चे नदारद, शिक्षक भी ‘अलविदा मोड’ में!

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Haritchhattisgarh
पत्थलगांव। छत्तीसगढ़ सरकार ने स्कूलों को 25 अप्रैल से बंद करने का आदेश तो जारी कर दिया, लेकिन पत्थलगांव के तमता क्षेत्र के शासकीय प्राथमिक विद्यालय घुटरापारा स्कूल ने आदेश से भी एक कदम आगे बढ़ते हुए 24 अप्रैल को ही “इसे ‘अति गंभीरता’ से लेते हुए पहले ही छुट्टी मना बैठा। 24 अप्रैल को जब स्कूल खोला गया, तो बच्चे तो नदारद थे ही, प्रधान पाठिका भी “अर्जित अवकाश” के बहाने से हफ्ते भर से गायब थीं। तीन में से सिर्फ एक शिक्षक स्कूल में दिखा, जो शायद स्कूल की दीवारों को अकेले पढ़ा रहे थे। स्कूल खुला जरूर, लेकिन सिर्फ ताला खोलने के लिए – अंदर न बच्चे थे, न पढ़ाई… और शिक्षकों का तो कहना ही क्या!
तीन में से दो शिक्षक ‘गायब प्रकरण’ में लिप्त पाए गए। प्रधान पाठिका हफ्ते भर से अर्जित अवकाश पर ‘लुप्त’ हैं, और एक सहायक शिक्षक षष्ठी देव प्रधान घर से “स्कूल जाने” के लिए निकले तो थे, पर रास्ते में गर्मी से गल गए या रायगढ़ की बस पकड़ ली, यह रहस्य अब भी बना हुआ है।जब उनकी गैरहाजिरी की जांच की गई तो उन्होंने स्मार्टनेस दिखाते हुए 10:03 पर पोर्टल में छुट्टी की एंट्री कर दी – “आज रायगढ़ जा रहा हूं।” हालांकि छुट्टी स्वीकृत नहीं थी, लेकिन कौन पूछता है साहब!
ऑनलाइन चतुराई का कमाल!
जब पूछा गया कि आखिर शिक्षक साहब कहां हैं, तो पता चला कि उन्होंने 10:03 पर ऑनलाइन पोर्टल में छुट्टी की एंट्री डाल दी। अब भैया, स्कूल तो 7 बजे से चालू है, साढ़े दस तक तो स्कूल बंद होने की तैयारी में लग जाता है — ऐसे में छुट्टी की एंट्री ‘अद्भुत तात्कालिकता’ का उदाहरण बन गई!

बीईओ विनोद पैंकरा जी ने भी कम शब्दों में बड़ा बयान दे दिया ,बताया कि विद्यालय प्रारंभ करने से पूर्व अवकाश हेतु ऑनलाइन आवेदन किया जाना है लेकिन पत्थलगांव तमता क्षेत्र के शासकीय प्राथमिक विद्यालय घुटरापारा के सहायक शिक्षक षष्ठी देव प्रधान दस बजे के उपरांत ऑनलाइन आवेदन कर नदारद है इस मामले में जांच कर उचित कारवाई करेंगे।अब ये कार्रवाई गर्मी में पसीने की तरह बह जाएगी या ठंडी लस्सी की तरह टल जाएगी, ये तो आने वाला वक्त बताएगा।

सब हैं VIP!
चूंकि यह मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी का गृह जिला है, तो यहां का अधिकांश कर्मचारी खुद को ‘ सीएम और उनके करीबियों के बेहद करीबी ‘ समझता है। ड्यूटी? वो तो जनता के लिए है। यहां तो छुट्टी भी मनमानी है, और जवाबदेही भी ‘ऑफलाइन’ है।

संकुल समन्वयक वैष्णो जी का तर्क भी मजेदार है – “परीक्षा हो गई है, बच्चे नहीं आते।” तो क्या अब स्कूल परीक्षा के बाद छुट्टी केंद्र बन चुका है?