
गौकशी पर कानून सख्त क्यों नहीं? सावन में भी नहीं थम रही गोकशी की घटनाएं
पत्थलगांव, 26 जुलाई 2025। सावन जैसे पवित्र माह में जहां एक ओर मांसाहार पर स्वेच्छिक रोक और धार्मिक आस्था का विशेष ध्यान रखा जाता है, वहीं दूसरी ओर कुछ असंवेदनशील लोग गौकशी जैसी अमानवीय और अवैध गतिविधियों से बाज नहीं आ रहे। खबर मिल रही है कि सावन के 15 वे दिन पत्थलगांव के कटंगतराई मोहल्ले में गौकशी कर मांस बांट रहे थे। क्षेत्र में पहले भी कई बार गौकशी की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन कानून की कमजोरी के चलते आरोपी अक्सर कुछ ही दिनों में जमानत पर बाहर आ जाते हैं।

यह एक गंभीर प्रश्न खड़ा करता है — क्या मौजूदा कानून पर्याप्त हैं? क्या यह समाज और प्रशासन दोनों की असफलता नहीं है कि सावन जैसे धार्मिक महीनों में भी गौकशी जारी है?स्थानीय गौभक्तों और ग्रामीणों का कहना है कि जब तक गौकशी के मामलों में कठोर कानून और त्वरित सज़ा की व्यवस्था नहीं होगी, तब तक ऐसी घटनाएं रुकना मुश्किल है। पुलिस की कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन जब आरोपी बार-बार छूट जाते हैं तो यह कानून और न्याय प्रक्रिया दोनों पर सवाल खड़े करता है।

समाज को भी इस मुद्दे पर सजग और संवेदनशील होना होगा, ताकि ऐसे कार्यों को सामाजिक समर्थन न मिल सके।धार्मिक आस्था और कानून व्यवस्था की रक्षा तभी संभव है जब शासन, प्रशासन और समाज तीनों मिलकर स्पष्ट और सख्त रुख अपनाएं।
