चिरोंजी यहा मिलता है बेहद ही सस्ते में देखे वीडियो

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चिरोंजी का पेड़ जशपुर रायगढ़ और सरगुजा के सरहद के जंगलों में पाया जाता है । इसका मूल फल गोल और काले कत्थई रंग का एक फल लगता है। यह फल पकने पर मीठा और स्वादिष्ट होता है जिसे ग्रामीण इलाकों में चार पाका  के नाम से जाना जाता है
चार पाका फल अप्रैल ,मई एवं शुरू जून में ग्रामीण इलाकों में बेचा जाता है तथा बच्चे इसे बड़े चाव से खाते हैं और उसके अन्दर से बीज प्राप्त होता है।
बीज या गुठली का बाहरी आवरण मजबूत होता है। इसे तोड़कर उसकी मींगी निकलते है। यह मींगी ही (Chironji) चिरौंजी कहलाती है और एक सूखे मेवे (dry fruit ) की तरह इस्तेमाल की जाती है। चिरौंजी के अतिरिक्त, इस पेड़ की जड़ों (roots), फल (fruits) , पत्तियां (leaves) और गोंद (Gum ) का भारत में विभिन्न औषधीय प्रयोजनों (medicinal uses) के लिए उपयोग किया जाता है। चिरौंजी का उपयोग कई भारतीय मिठाई बनाने में एक सामग्री की तरह इस्तेमाल किया जाता है। चिरौंजी के छोटे-छोटे बीज पोषक तत्वों से भरे होते हैं ।
चिरोंजी निकालने की प्रक्रिया
• ग्रामीण / संग्राहक पहले चार पाका के बीज को जंगल में जाकर इकठ्ठा करते हैं जिसे अचार गुठली या चिरोंजी गुठली भी कहा जाता है ।
• इकठ्ठा बीज को पहले छांट कर खर एवं पत्ते को अलग कर दिया जाता है ।
• साफ़ करने के बाद बीज को कड़ी धुप में सुखाया जाता है क्योंकि इसका बाहरी आवरण काफ़ी कठोर होता है
• सुखाने के बाद सभी इकट्ठा चिरोंजी गुठली आवश्यकतानुसार स्थानीय हाट में बेचा जाता है ।
• चिरौंजी (मेवे के रूप में), एक टॉनिक है। यह मदुर, बलवर्धक, वीर्यवर्धक, वाट और पित्त को कम करने वाली, दिल के लिए अच्छी, विष को नष्ट करने वाली और आम्वर्धक है।
• इसका औषधीय प्रयोग सांस की समस्याओं के उपचार में भी किया जाता है। यह श्लेष्मा को ढीला करने में भी मदद करता है और नाक और छाती की जकडन में राहत देता है। यह एंटीऑक्सिडेंट है। चिरौंजी की बर्फी खाने से शरीर में बल की वृध्धि होती है और दुर्बलता जाती है ।
• चिरौंजी पित्त, कफ तथा रक्त विकार नाशक है ।
• चिरौंजी भारी, चिकनी, दस्तावर, जलन, बुखार और अधिक प्यास को दूर करती है ।
• चिरौंजी को खाने से शरीर में गरमी कम होती और ठंडक मिलती है। इसके १०-२० ग्राम दाने चबाने से शीत-पित्त या छपाकी में राहत मिलती है।

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