Kota-Updete:-सुशासन मुख्यमंत्री के सुशासन को कायम रखने में नाकाम- नकारे-बिलासपुर- वनमण्डल के मातहत अधिकारी।

खनन-माफियाओं के खिलाफ सख्ती…बड़ी कार्रवाई…राजनीतिक दबाव में आए बगैर कानूनी-प्रक्रियाओं का पालन..राजसात करने की कार्रवाई का ढिंढोरा पीटने वाले की हवा निकल गई।

पूरे सवा महीने की कानूनी प्रक्रियाओं में कहा कमी रह गई..?राजसात की कार्यवाही वाले वाहनों को छोड़ना पड़ा..अधिकारियों सहित मनी भाई की भूमिका संदिग्ध।

पूरे मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री/राज्यपाल सहित एसीबी/आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो को शिकायत पत्र प्रेषित करने की तैयारी।

**दिनांक:-24/11/2025**मोहम्मद जावेद खान हरित छत्तीसगढ।**करगीरोड-कोटा:- 03-दिसंबर 2024 को बिलासपुर वनमंडल ने जंगल के अंदर अवैध उत्खनन करने वाले खनन माफियाओं के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए खनन में लगी 10-बड़ी गाड़ियों को राजसात कर लिया है विष्णुदेव साय के सुशासन कायम करने के और माफियाओं के खिलाफ सख्ती के साथ कार्रवाई के निर्देश के तहत यह अब तक की बड़ी कार्रवाई है जिसमें किसी भी राजनीतिक दबाव में आए बगैर समस्त कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए जब्ती और राजसात करने की कार्रवाई की गई है प्रशिक्षु-आईएफएस और प्रभारी डीएफओ अभिनव कुमार ने यह कार्रवाई की है..

ये बिलासपुर वनमंडल की प्रेस विज्ञप्ति है..?30- सितंबर 2024 को रतनपुर वन परिक्षेत्र अंतर्गत वन विभाग की ग़श्ती टीम को धोबघाट में अरपा नदी के किनारे पोकलेन से अवैध रूप से उत्खनन के साथ हाइवा द्वारा अवैध परिवहन की सूचना पर उस वक्त के प्रभारी प्रशिक्षु- डीएफओ रहे अभिनव कुमार जो कि वर्तमान में मुंगेली डीएफओ के पद पर पदस्थ है..

निर्देश पर वन-विभाग की टीम ने छापामार कार्यवाही में मौके पर पोकलेन और रास्ते में रेत से भरी हाइवा गाड़ियां मिली पूरा क्षेत्र संरक्षित वनों से घिरा होने के कारण अवैध खनन व परिवहन- प्रतिबंधित हैं, कार्यवाही के दौरान वन-विभाग की टीम द्वारा वाहन चालकों से खनन के वैध दस्तावेज मांगे जाने पर वाहन चालकों द्वारा कोई वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए जाने पर वाहनों को जब्त कानूनी कार्रवाई की गई, जिसमें वाहनों के कागजात की जांच वाहन मालिकों को नोटिस और सुनवाई जिसमें आरोपी पक्ष का बयान भी दर्ज किया गया वाहन मालिकों द्वारा अवैध खनन और परिवहन की बात लिखित में स्वीकार की गई साथ ही जांच में भी सरंक्षित वन के भीतर अवैध खनन और परिवहन स्पष्ट था।

पूरे सवा महीने चली थी कानूनी प्रक्रिया:–

*पूरे सवा महीने चली कानूनी प्रक्रियाओं के बाद प्रभारी डीएफओ अभिनव कुमार ने भारतीय वन अधिनियम-1927 की धारा-52 के तहत सभी 10-वाहनों को राजसात कर शासकीय-संपत्ति घोषित करने का आदेश पारित किया गया..ये उस समय की वन विभाग की टीम द्वारा कार्यवाही की विज्ञप्ति जारी की गई थी जो कि इलेक्ट्रॉनिक प्रिंट मीडिया वेब-पोर्टल में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी…मीडिया में प्रकाशित खबरों से वन विभाग द्वारा काफी वाहवाही बटोरी गई थी..पर अचानक से ऐसा क्या हुआ जो कि राजसात की कार्यवाही वाले वाहनों को वन विभाग के निचले व उच्च-अधिकारियों के संरक्षण में छोड़ दिया गया..?

क्या वन विभाग के कानून में भी संशोधन किया गया है..?भारतीय वन अधिनियम-1927 की धारा-52 के तहत सभी 10-वाहनों को जब राजसात कर शासकीय संपत्ति घोषित करने का आदेश पारित कर दिया गया था..तो अचानक से कोई आकाशवाणी हुई क्या वन-विभाग के अधिकारियों को..हे पार्थ वाहनों को बाइज्जत छोड़ दो…ये कार्यवाही आप लोगों ने गलत तरीके से की..? इस पूरे मामले को लेकर “हरित छत्तीसगढ” ने अपनी पड़ताल शुरू की अपनी खोजी रिपोर्ट में विश्वस्त-सूत्रों से मिली जानकारी चौंकाने वाली रही..?इसके अलावा इस बारे में मौजूदा वन-विभाग के एपीसीएफ छत्तीसगढ श्रीनिवास राव सहित बिलासपुर सीसीएफ प्रभात-मिश्रा उस वक्त के प्रशिक्षु-आईएफएस रहे अभिनव कुमार से बात की।**इस मामले में उस वक्त के प्रशिक्षु-डीएफओ अभिनव कुमार जो कि इस समय मुंगेली जिले के डीएफओ के रूप में पदस्थ है..उनसे हरितछत्तीसगढ ने बात की तो उन्होंने बताया कि जिन लोगों पर कार्यवाही हुई थी उनको सीसीएफ के पास अपील का अधिकार होता है..इस बारे में ज्यादा जानकारी सीसीएफ ही दे पाएंगे…?**हरितछत्तीसगढ ने इस मामले को लेकर सीसीएफ बिलासपुर प्रभात मिश्रा को फोन लगाया तो पहले उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया..?उसके बाद हरितछत्तीसगढ ने एपीसीएफ छत्तीसगढ श्रीनिवास राव को फोन लगाकर जानकारी चाही तो, उन्होंने जानकारी नहीं होने की बात की उसके बाद उन्होंने पूरी जानकारी उनके नंबर पर व्हाट्सएप करने की बात कही..उसके कुछ देर बात मौजूदा बिलासपुर सीसीएफ प्रभात मिश्रा जी का हरितछत्तीसगढ को कॉल आया..जिस पर उन्होंने बताया कि मामले में अपील का अधिकार होता है, जिसके बाद वाहनों को छोड़ा गया है..पर सीसीएफ द्वारा ये नहीं बताया गया कि उस वक्त के प्रशिक्षु- आईएफएस अभिनव कुमार की पूरे सवा महीने तक चली कानूनी प्रक्रिया में कहा पर चूक हो गई थी..? कार्यवाही में ऐसी कौन सी कमी रह गई थी..?कौन सी धारा नहीं लग पाई थी..?पूरे कानूनी प्रक्रियाओं के बाद ही प्रशिक्षु-डीएफओ अभिनव कुमार ने भारतीय वन अधिनियम-1927 की धारा-52 के तहत सभी 10-वाहनों को राजसात कर शासकीय संपत्ति घोषित करने का आदेश पारित किया था..तो अचानक से वन विभाग के जिम्मेदार उच्च अधिकारियों ने कानून में ऐसा कौन सा संशोधन पास कर दिया की राजसात की कार्यवाही के बाद इन वाहनों को छोड़ दिया गया..?**विश्वस्त सूत्रों के हवाले से जानकारी प्राप्त हुई है की इस पूरे मामले में उस वक्त के तत्कालीन एसडीओ और सीसीएफ की भूमिका संदिग्ध है..?इस पूरे मामले में मनी भाई की तगड़ी भूमिका बताई जा रही है..?सूत्रों के हवाले से तत्कालीन एसडीओ व मौजूदा सीसीएफ का रिटायरमेंट भी करीब है..?हो सकता है, भविष्य सुरक्षित की दिशा में दोनों अधिकारी अग्रसर दिखाई दे रहे हैं..?**👉इन वाहनों को किया गया था राजसात:—* *हाइवा क्रमांक CG 10-AE 9073 मालिक प्रतीक गुप्ता,धनेश्वर कोटा, हाइवा क्रमांक CG-10 BG 9028 मालिक चित्रांशु वर्मा, सुशील बिलासपुर, हाइवा क्रमांक CG-10 BT 7814 मालिक चित्रांशु वर्मा, सुशील बिलासपुर, हाइवा क्रमांक CG-10 AD 8456 मालिक शिवम दुबे,रंजन दुबे कोटा, हाइवा क्रमांक CG-10 BT 6694 मालिक सतीश साहू नंगोई, हाइवा क्रमांक CG-28 N 7924 मालिक रवि गुप्ता ट्रेक्टर क्रमांक CG-10 BT 1627 मालिक मोनू जायसवाल रोहित ट्रेक्टर क्रमांक CG -10 BH 3157 मालिक सावन कुमार,रमेश एक पोकलेन क्रमांक SANY22SY 140 Q 000/51 मालिक पिंटू केशरवानी बेलगहना और एक बाइक क्रमांक CG 10 BO 0764 मोनू जायसवाल इन सभी दस वाहनों को जब्त कर राजसात कर लिया गया था।क्रमश:———-* *✒️हरितछत्तीसगढ✒️

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