छतीसगढ़ मे अब सस्ती होंगी शराब.. बीजेपी सरकार ने शराब की FL-10 लाइसेंस व्यवस्था को अब कर दिया खत्म.. 2000 से 2400 रुपए मे मिलने वाली शराब अब 1400 में ! पढ़िए पुरी खबर..
छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार ने शराब की FL 10 लाइसेंस व्यवस्था को खत्म कर दिया है। इस फैसले के बाद सरकार ये दावा कर रही है कि शराब खरीदी में बिचौलियों का रोल पूरी तरह खत्म हो जाएगा। साय सरकार का ये भी आरोप है कि FL 10 लाइसेंस व्यवस्था की वजह से ही पिछली भूपेश सरकार में शराब के कारोबार में 2200 करोड़ का घोटाला हुआ।
सरकार के इस फैसले के बाद इस बात की चर्चा सबसे ज्यादा है कि शराब खरीदने वाले उपभोक्ताओं पर इसका क्या असर होगा?
दूसरे राज्यों से छत्तीसगढ़ आते ही कई गुना महंगी हो जाती थी शराब,दरअसल, मल्टीनेशनल फॉरेन लिकर्स की कंपनियों का बड़ा बाजार है। साथ ही उनकी डिमांड भी ज्यादा होती है। इनकी मैन्युफैक्चरिंग के बाद जल्दी खराब होने का डर नहीं होता। इसलिए बड़ी कंपनियां अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए जल्दबाजी नहीं करतीं। इसके लिए वे कमीशन भी नहीं देती।ऐसे में शराब से कमाई का दूसरा रास्ता निकाला गया। निर्माता कंपनियों से सीधे खरीदी करने की बजाय थर्ड पार्टी अपाइंट की गई, जो निर्माताओं से शराब लेकर सरकार को बेच रही थी। इसमें बिचौलिए बड़ी रकम वसूल रहे थे। आरोप है कि विभागीय मंत्री समेत आबकारी विभाग के अधिकारियों और इस सिंडिकेट के बड़े रसूखदारों के पास इसका कमीशन पहुंचता था।
प्रीमियम ब्रांड की कोई शराब अगर दूसरे राज्यों में 1400 की बिकती है, तब बिचौलियों के जरिए छत्तीसगढ़ की शराब दुकानों में आते ही उसकी कीमत 2000 से 2400 रुपए तक हो जाती थी। इसका नतीजा ये हुआ कि छत्तीसगढ़ में शराब काफी महंगी बिकने लगी। इस दौरान नकली होलोग्राम और मिलावटी शराब बिकने की भी शिकायतें आईं।
पसंद की नहीं मिल रही थी ब्रांड
चालू साल, यानी 2024 25 के लिए पुरानी व्यवस्था के ही तहत #। 10 (6, 8) लाइसेंस धारकों ने 375 ब्रांड का रेट आफर किया था, लेकिन इनमें से केवल 165 ब्रांड की आपूर्ति ही वे कर रहे थे। पसंद की ब्रांड नहीं मिलने के कारण शराब उपभोक्ता भी नाराज थे।
इन लाइसेंस धारकों की ओर से शराब निर्माता कंपनियों से अपनी शर्तों पर शराब की खरीदी की जाती थी। इसका भंडारण छत्तीसगढ़ स्टेट बेवरेजेस कार्पोरेशन लिमिटेड के गोदाम में किया जाता था। लोगों को उसी ब्रांड की शराब मिलती, जिनसे थर्ड पार्टी को बड़ा कमीशन मिलता था।