तहसीलदार कोर्ट में था मामला, फिर भी विवादित जमीन की हुई रजिस्ट्री,आदिवासी जमीन मालिक दर दर भटक रही
तहसीलदार कोर्ट में था मामला, फिर भी विवादित जमीन की हुई रजिस्ट्री,आदिवासी जमीन मालिक दर दर भटक रही
पत्थलगांव- नाम विलोपित होने पर नाम जोड़ने हेतु तहसीलदार कोर्ट में चल रहे एक जमीन मामले में आदेश आने से पहले ही विवादित जमीन की रजिस्ट्री हो गई है। वर्तमान में खाते में दर्ज खातेदारों की भूमि की बिक्री के लिए दूसरे पक्ष को सूचित किए बिना ही रजिस्ट्री कर दी , जिसके बाद पीड़ित ने शिकायत कर जांच की मांग की है।मामला पत्थलगांव के ग्राम पंचायत तिलडेगा पंचायत का है जहा वर्ष 2008-9 में खसरा नंबर 793/1 रकबा .352 हे सुखराम गोंड के नाम पर दर्ज थी, वर्ष 2012-13 में सुखराम का फौत कटकर उसके वारिशान मनियार, धनियार,धनेश्वरी के नाम पर दर्ज किया गया परन्तु उसके बाद अचानक ही खाते से धनियार का नाम विलोपित हो गया। जिसके बाद 20 सितम्बर को उक्त खाते में दर्ज महेंद्र पिता विराट सिंह ,सुरेन्द्र ,उर्मिला आदि ने उसी जमीन की आनन् फानन में प्रमोद कुमार सिदार के नाम से बिक्री रजिस्ट्री कर दिया,जबकि उसी खाते से विलोपित हो चुकी धनियार ने अपना नाम जोड़ने पत्थलगांव तहसीलदार के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था,जिसका प्रकरण चल रहा था रजिस्ट्री दिनाक 20 सितम्बर के बाद तहसीलदार ने 25 सितम्बर को उसी जमीन में धनियार का नाम जोड़ने का आदेश दिया अब सवाल यह उठता है की जिस जमीन की धनियार भी खातेदार थी। साजिश पूर्वक उसका नाम विलोपित हो जाने से खाते में नाम जुड़ने से वंचित रह गयी। धनियार अब अपने हक़ की जमीन जिसे धोखे से अन्य खातेदारों ने आन्ना फानन में बेच दिया उस जमीन में रजिस्ट्री के बाद तहसीलदार ने धनियार का नाम जोड़ने का आदेश दिया है वह कैसे जुड़ेगा।,इस मामले में एक पहलु यह भी उभरकर सामने आया है की रजिस्ट्री वाले दिन विक्रेता महेंद्र पिता विराट सिंह को अपनी गलती किये जाने का अहसास भी हुवा लेकिन तब तक उसने रजिस्ट्री बिक्री में अपना हस्ताक्षर कर दिया था, हस्ताक्षर किये जाने के बाद महेंद्र ने मौखिक रूप से अपने किये का पछतावा जताकर धोखे से रजिस्ट्री करने पर आपत्ति भी जताया था उसने बताया था की उसे रजिस्ट्री का हस्ताक्षर दलालों ने दबाब डालकर करवाया है। लेकिन तब तक तो पूरा खेल ही हो चूका था अब इस विवादित रजिस्ट्री को लेकर पुरे तहसील क्षेत्र में चर्चा व्याप्त है। सवाल यह उठ रहे है की विवादित जमीन का चौहद्दी देने के दौरान पटवारी को क्या पुरे मामले का ज्ञान नहीं था सवाल यह भी है की विक्रेता आखिर किस लालच में विवादित जमींन को आनन् फानन में बेचने के लिए जमीन दलालों के साथ फोर व्हीलर में तहसील कार्यालय का चक्कर लगा रहा था। बता दे की धनियार के पास मौजूद ऋण पुस्तिका में उक्त विवादित जमीन खसरा नंबर 793/1 रकबा .352 हे में मनियार, धनियार,धनेश्वरी का नाम दर्ज है जिसे जमीन दलालों ने साजिश करते हुवे सम्बन्धित पटवारी से मिली भगत कर धनियार का नाम ही विलोपित करवा दिया इस मामले की गहराई से जाँच किये जाने की आवश्यकता है। चर्चा है की विक्रेता महेंद्र को जमीन दलालों ने इस कदर अपने चंगुल में फंसाया था की विक्रेता महेंद्र को पता था की यह जमीन विवादित है इसका केस चल रहा है फिर भी जमीन दलालों के झांसे में आकर पटवारी से चौहद्दी प्रस्तुत करवाकर आनन फानन में कोर्ट के आदेश आने से पहले ही इस भूमि को ने बेचने धोखे से रजिस्ट्री कर दिया। इस मामले मे पत्थलगांव तहसीलदार उमा सिंह ने बताया की रिकार्ड में खातेदार का नाम दर्ज है पटवारी के डरा प्रस्तुत किये गये चोह्द्दी एव बी वन के आधार पर जांच कर रजिस्ट्री कारवाही की गयी हैं तहसीलदार ने बताया की रजिस्ट्री दिनांक 20 सितम्बर के बाद 25 सितम्बर को एक प्रकरण में धनियार का नाम जोड़ने का आदेश दिया गया है।अब देखना होगा की इस विवादित जमीन की धोखे से हुयी रजिस्ट्री के मामले में प्रशाशन इसमें खेल में स्लिम्प्त जमीन दलाल,विक्रेता एव पटवारी पर किस प्रकार की कारवाई करती है।