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कोर्ट से नहीं, संगठित आंदोलन से निकलेगा शिक्षको की समस्याओं का हल….. न्यायालयीन फीस के नाम पर चंदा वसूलने वालो से सावधान – जाकेश साहू

कोर्ट से नहीं, संगठित आंदोलन से निकलेगा शिक्षको की समस्याओं का हल…..

न्यायालयीन फीस के नाम पर चंदा वसूलने वालो से सावधान – जाकेश साहू

रायपुर //-

        शिक्षिका सोना साहू द्वारा क्रमोन्नत वेतनमान का केश हाईकोर्ट में जितने के बाद राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की जा रही है। इसके बाद प्रदेश के एक शिक्षक संगठन द्वारा उक्त मामले में सुप्रीम कोर्ट में केश लड़ने हेतु एक समिति का गठन कर राज्य के शिक्षक एलबी संवर्ग साथियों से चंदा वसूलने की बात कही जा रही है।

      उपरोक्त मुद्दे पर प्रदेश के आम शिक्षक एलबी संवर्ग साथियों के नाम जारी अपील एवं निवेदन में प्रदेश के शिक्षक व कर्मचारी नेता एवं “छत्तीसगढ़ प्रधान पाठक मंच” के प्रदेशाध्यक्ष जाकेश साहू ने कहा है कि सहायक शिक्षको की वेतन विसंगति, प्रथम सेवा गणना कर क्रमोन्नति वेतनमान एवं पेंशन तथा समस्त लाभ आंदोलन, हड़ताल और धरना प्रदर्शन करने से मिलेगा न कि कोर्ट में अपील करने से।

       जाकेश साहू ने कहा कि कर्मचारियों को सामूहिक रूप से आर्थिक लाभ देने के मामले कोर्ट द्वारा कर्मचारियों के पक्ष में निर्णय तो होता है परन्तु इसे राज्य सरकार नहीं मानती और इसका पालन भी नहीं करती है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से भी जीत मिल जाएगी। परंतु इसे राज्य सरकार नहीं मानेगी। और न ही इसका लाभ देगी।

        चूंकि पहले भी सैकड़ों बार ऐसा घटनाक्रम हो चुका है। न्यायालय द्वारा अनेकों बार कर्मचारियों के हित में फैसला दिया जा चुका है लेकिन इसे सरकारों द्वारा अमल में नहीं लाया गया है। वर्ष 1995 में मध्यप्रदेश के तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने शिक्षाकर्मियों की भर्ती की और तीन साल में नियमित करने का वादा किया था। तीन साल बाद शिक्षाकर्मियों को रेगुलर शिक्षक नहीं बनाया गया।

        तब प्रदेश के शिक्षकों का समूह हाईकोर्ट गया। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह आदेश दिया कि शिक्षाकर्मियों को रेगुलर शिक्षक बनाया जाए। तब राज्य सरकार केश को सुप्रीम कोर्ट ले गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कहा कि इन्हें नियमित करो… तब राज्य सरकार ने अपनी कमजोर वित्तीय स्थिति का हवाला दे दिया। इतने में शिक्षाकर्मियों को कम वेतन में ही काम करने का बांड भरवाया गया। 

       इस प्रकार कोर्ट जाकर शिक्षक साथी उल्टे फंस गए थे। जिसका दुष्परिणाम बीस सालों तक भुगतते रह गए। पुराने शिक्षाकर्मी साथी गण कई बार सेवा शर्तों को लेकर अनेकों बार कोर्ट गए लेकिन सामूहिक रूप से ऐसा कोई लाभ कोर्ट से नहीं मिला।

       मध्याह्न भोजन रसोइया संघ और स्कूल सफाई कर्मचारी संगठन भी हाईकोर्ट से नियमितीकरण और कलेक्टर दर पर वेतन हेतु आदेश करवा चुके है लेकिन राज्य सरकार ने उक्त फैसले पर कोई अमल नहीं किया।

       प्रांताध्यक्ष जाकेश साहू ने प्रदेश के आम शिक्षक साथियों से कहा है कि कोर्ट का चक्कर कतई उचित नहीं है। यह कुछ संगठनों का सिर्फ चंदा चकोरी का धंधा है। अतः ऐसे किसी संगठनों के झांसे में आकर किसी को भी कोर्ट में केश लड़ने के नाम पर चंदा न देवें।

        जो भी लाभ लेना है वो सभी संगठनों के संगठित आंदोलन से होगा। अतः सभी साथी सावधान रहें किसी के बहकावे में बिल्कुल भी न आवे।

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