Chhattisgarh

गुरुदेव के अखंड ज्योति को पढ़कर सद्विचारों को ग्रहण करना सीखा – श्रीमती कौशल्या साय, कोतबा में आयोजित 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ में श्रीमती साय ने सभी के कल्याण की कामना के साथ किया देवपूजन

*गुरुदेव के अखंड ज्योति को पढ़कर सद्विचारों को ग्रहण करना सीखा – श्रीमती कौशल्या साय,

कोतबा में आयोजित 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ में श्रीमती साय ने सभी के कल्याण की कामना के साथ किया देवपूजन*

 

*श्रीमती साय ने डॉ चिन्मय पंड्या को बताया आध्यात्मिक मार्गदर्शक*

जशपुर/कोतबा,04 जनवरी 2024

 

कोतबा में अखिल विश्व गायत्री परिवार के द्वारा आयोजित 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय शामिल हुईं।उन्होंने डॉ चिन्मय पंड्या का भाव भरा अभिनन्दन करते हुए उनसे आशीर्वाद लिया।इस अवसर पर छत्तीसगढ़ का स्नेह पाकर डॉ पंड्या अभिभूत हो गए। डॉ चिन्मय पंड्या ने मंत्र चादर,गायत्री माता की प्रतिमा के साथ गुरुदेव का साहित्य भेंट कर श्रीमती साय का अभिवादन किया।

इस अवसर पर श्रीमती कौशल्या साय ने यज्ञशाला के प्रवचन मंच से याजकों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें सतत गुरुसत्ता का आशीर्वाद मिलता रहा है।मूर्त रुप में डॉ पंड्या का सतत आध्यात्मिक मार्गदर्शन उन्हें मिलता रहता है।श्रीमती कौशल्या साय ने याजकों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें आदिवासी होने पर गर्व है।उन्होंने बताया कि चौबीस वर्षों के कार्यकाल में सतत जनसेवा का कार्य उनके द्वारा किया गया है जिसका परिणाम है कि आज छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेतृत्व के रुप में उनके पति मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मुख्यमंत्री जैसे पद पर आसीन हुए हैं।आदिवासी हमेशा से सनातन संस्कृति के संवाहक रहे हैं जो हिंदुत्व का झंडा हमेशा बुलंद करते आए हैं।

श्रीमती साय ने संदेश देते हुए कहा कि हमेशा हम दूसरों के लिए जीना सीखें।भारतीय संस्कृति के गौरव को उन्होंने बताया और माताओं बहनों से उन्होंने सतत अपनी भारतीय परंपरा के पालन का निवेदन किया।उन्होंने कहा कि आपके स्वयं का व्यक्तित्व आपके बच्चों पर असर डालता है आप ऐसा कर्म करें जिससे आपके बच्चे भी सीखें।समस्याओं को हमेशा पीछे रखें और खुशियों को आगे रखें।

 

*बचपन से सतत अखंड ज्योति पढ़ते हैं – श्रीमती साय*

अपने बचपन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि जब वे चौथी कक्षा में पढ़ती थीं तब से वे अखंड ज्योति पढ़ती आई हैं।गुरुदेव के साहित्य में प्रेरणाप्रद कहानियों से उनमें पढ़ने की ललक जागृत हुई जिसके कारण आज वे देवमंच पर बोलने के काबिल बनीं हैं।उन्होंने गुरुसत्ता के प्रति श्रद्धा भाव से नमन करते हुए डॉ पंड्या से आशीर्वाद लिया।neeraj,harit,

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