सूरज सिंह ने नाम वापस लेकर संजय तिवारी की राह आसान कर दी, प्रियंका पटनायक ने भी किया दावेदारी
पत्थलगांव- पार्षद चुनावों को लेकर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों में दावेदारी को लेकर जोर-आजमाइश तेज हो गई है। जहां कुछ दावेदार आपसी सहमति से अपने नाम वापस लेकर पार्टी को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं कई वार्ड ऐसे भी हैं जहां दावेदारों की संख्या बढ़ने से दोनों दलों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
सूरज सिंह ठाकुर ने दिखाई सहृदयता, नाम वापस लेकर कहा- “पार्टी के लिए समर्पित हूं”
वार्ड क्रमांक 14 से कांग्रेस के दो मजबूत दावेदारों, सूरज सिंह ठाकुर और संजय तिवारी के बीच चुनावी प्रतिस्पर्धा थी। लेकिन सूरज सिंह ठाकुर ने सहृदयता का परिचय देते हुए अपना नामांकन वापस ले लिया और संजय तिवारी के लिए राह आसान कर दी।
सूरज सिंह ने अपने इस निर्णय पर कहा, “मेरे लिए पार्टी का हित सर्वोपरि है। व्यक्तिगत दावेदारी से ज्यादा महत्वपूर्ण है पार्टी को मजबूत करना और चुनाव में एकजुट होकर जीत हासिल करना।”
उनके इस कदम से न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच एकता का संदेश गया है, बल्कि यह भी साबित हुआ है कि पार्टी के लिए समर्पण और सामूहिक हित को प्राथमिकता देना ही सच्चे नेता की पहचान है।सूरज सिंह ठाकुर के इस निर्णय की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और स्थानीय कार्यकर्ताओं ने सराहना की है। उनका मानना है कि ऐसे उदाहरण संगठन को मजबूती देते हैं और पार्टी के प्रति जनता का विश्वास बढ़ाते हैं।
प्रियंका पटनायक की दावेदारी से बढ़ी हलचल
वार्ड क्रमांक 11 से प्रियंका पटनायक ने कांग्रेस की ओर से अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर सभी को चौंका दिया। प्रियंका, कांग्रेस के वरिष्ठ कार्यकर्ता मन्नू पटनायक की धर्मपत्नी हैं। प्रियंका पटनायक ने अपनी दावेदारी के साथ क्षेत्र के विकास और महिलाओं के सशक्तिकरण को अपना मुख्य एजेंडा बताया है। उन्होंने कहा, “मैं क्षेत्र की जनता और महिलाओं की आवाज बनकर उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए चुनाव लड़ रही हूं।”
संजय की मुखरता और साहस क्षेत्रीय राजनीति में नई दिशा देगी
वही वार्ड क्रमांक 14 के कांग्रेस पार्षद उम्मीदवार संजय तिवारी एकमात्र एसे उम्मीदावर के रूप में सामने आ रहे है , जो अपने क्षेत्र के मुद्दों को लेकर मुखर और सक्रिय रहे हैं। संजय की ऊर्जा और नए विचारों के चलते जनता में उनके प्रति खासा उत्साह देखा जा रहा है।बता दे की संजय तिवारी की विशेषता यह है कि वे पारंपरिक राजनीति से अलग हटकर स्थानीय समस्याओं को सीधे तौर पर उठाने और उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की बात करते हैं।चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि संजय की मुखरता और साहस क्षेत्रीय राजनीति में नई दिशा दे सकती है। अगर उन्हें जनता का समर्थन मिलता है, तो वे क्षेत्र के विकास में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।