जब स्कूल बना डेयरी फार्म, बच्चे गए और मवेशी आए!मवेशियों का चारागाह बना सरकारी स्कूल

पत्थलगांव: जहां कभी क, ख, ग की गूंज सुनाई देती थी, अब वहां गाय-भैंस की रंभाने की आवाजें आती हैं। पत्थलगांव विकासखंड ग्राम कुकरगांव के शासकीय प्राथमिक शाला मोहनीपूरी में नौनिहालों की जगह अब मवेशियों का राज हो गया है! यहां पढ़ाई-लिखाई तो दूर, अब केवल चारा चबाने और दूध दुहने का काम होता है।करीब आठ साल पहले इस स्कूल को नजदीकी स्कूल में मर्ज कर दिया गया था, लेकिन इसे सील करने के बजाय “ओपन टू ऑल” छोड़ दिया गया।
धीरे-धीरे एक ग्रामीण परिवार ने इसे अपना घर बना लिया, और बाकी जगह पर गाय-भैंसों ने डेरा जमा लिया।
अधिकारी जागे, पर देर से
मामला उजागर होते ही शिक्षा विभाग में हलचल मच गई। विकासखंड शिक्षा अधिकारी विनोद पैंकरा ने कहा कि मामले की जानकारी मिलने के बाद जांच के आदेश दे दिए गए हैं। संकुल समन्वयक से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा, और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।प्रशासन को इस अनोखे स्कूल को फिर से स्कूल बनाने की कोशिश करनी चाहिए, जहां बच्चे पढ़ें, न कि भैंसें बैठें!”अब देखना ये है कि स्कूल में फिर से बच्चे लौटेंगे या दूध-दही का कारोबार ही चलता रहेगा!
शिक्षकों की लापरवाही उजागर
स्कूल बंद होने के बाद नियमानुसार इसे सील कर वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करना था,

लेकिन शिक्षकों की लापरवाही के कारण यह सरकारी भवन न सिर्फ एक परिवार के कब्जे में चला गया, बल्कि मवेशियों के लिए चारागाह भी बन गया।