युक्तियुक्तकरण के नाम पर स्कूल के सेटअप से छेड़छाड़ बर्दाश्त नही : शालेय शिक्षक संघ ने उठाये सवाल- शिक्षकविहीन स्कूलों में शिक्षक की उपलब्धता का विरोध नही,किंतु प्राथमिक शाला के 5 कक्षा में केवल 2 शिक्षक रहने से बच्चों की शिक्षा व सुरक्षा का होगा बुरा हाल: पालकों व शिक्षकों में पनपने लगा आक्रोश

*🌀युक्तियुक्तकरण के नाम पर स्कूल के सेटअप से छेड़छाड़ बर्दाश्त नही : शालेय शिक्षक संघ ने उठाये सवाल- शिक्षकविहीन स्कूलों में शिक्षक की उपलब्धता का विरोध नही,किंतु प्राथमिक शाला के 5 कक्षा में केवल 2 शिक्षक रहने से बच्चों की शिक्षा व सुरक्षा का होगा बुरा हाल: पालकों व शिक्षकों में पनपने लगा आक्रोश🌀*

 

*🌀विभागीय हठधर्मिता का है ये हाल,धरातल का नही है ज्ञान और न ही शिक्षक संगठनों के सुझावों को दिया कोई स्थान – वीरेंद्र दुबे🌀*

*🌀विषय बंधन से मुक्त कर किया मिडिल स्कूलों में भर्ती पर अब विषय के आधार पर शिक्षकों की करेंगे छटाई : व्याख्याताओं के मामले में भी कई अव्यवहारिक नियम : युक्तियुक्तकरण के जारी नियमों पर होगा बवाल🌀*

 

आज स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश के स्कूलों व शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण को लेकर दिशा निर्देश व समय सारणी का आदेश समस्त कलेक्टरों के लिए जारी किया है। जिसको लेकर प्रदेश में फिर से बवाल मचने की संभावना है। स्कूल व शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण हेतु जिन मापदंडों को तय किया गया है वह वही 02 अगस्त 2024 का पुराना आदेश है जिसका मुखर विरोध पालकगण, ग्रामीणजन व शिक्षक संगठनों ने किया था। शालेय शिक्षक संघ ने युक्तियुक्तकरण के इन आदेशों व मापदंडों का तथ्यात्मक रूप से विरोध किया था और बहुत सारे सुझाव भी दिए थे। हालांकि तब यह प्रक्रिया सत्र के मध्य होने से अफरा तफरी मच जाने की आशंका से स्थगित कर दी गई थी,परन्तु यह जिन्न एक बार पुनः बाहर आ गया है।

 

*शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर स्कूलों के सेटअप से छेड़छाड़ किया जा रहा है।शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय शालाओं में शिक्षकों की पदस्थापना अवश्य करना चाहिए पर स्कूलों के सेटअप से छेछड़ कर प्राथमिक की 5 कक्षा के लिए प्रधानपाठक और एक शिक्षक से कैसे शिक्षा में गुणवत्ता आ सकती है ? और पांच अलग अलग कक्षा को जब केवल 2 शिक्षक संभालेंगे तो नौनिहालों व बच्चों की सुरक्षा व निगरानी अहम विषय होगी। युक्तियुक्तकरण हेतु जो मापदंड अपनाने हेतु आदेश जारी हुआ है वह अव्यवहारिक है,बच्चों की उचित शिक्षा व शिक्षकों पर कुठाराघात है। शालेय शिक्षक संघ समेत अन्य शिक्षक संगठनों व पालक संगठनों से पूर्व में जो सुझाव युक्तियुक्तकरण हेतु दिया गया था, उसे लगता है विभागीय हठधर्मिता की वजह उन सुझावों पर कोई कार्यवाही नही की गई है क्योंकि जारी दिशा निर्देश वही पुराना आदेश है जिस पर पहले बवाल मच चुका है।* 

शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा ने कहा कि लगता है शासकीय विद्यालय अब केवल टेबल में बैठकर नियम व दिशा निर्देश बनाने वालों के लिए एक प्रयोगशाला मात्र रह गया है। नवाचार के नाम पर नित नई योजनाएं,नित नए अव्यवहारिक दिशा निर्देशो ने शासकीय विद्यालयों की पढ़ाई और उचित व्यवस्थापन को बाधित कर रखा है। विभागीय सेटअप से इतर युक्तियुक्तकरण करना प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को चौपट करना है। प्राथमिक शाला केवल मध्यान्ह भोजन का अड्डा मात्र बनकर रह जायेगा,क्योंकि 5 कक्षा के लिए प्रधानपाठक और 1 शिक्षक क्या कर पायेगा यह यक्ष प्रश्न है, ऊपर से रोज कइयों कार्य ऑनलाइन करना है, प्रशिक्षण, सर्वे, चुनाव, जनगणना, समेत अनेकों गैर शिक्षकीय कार्य शासकीय शिक्षको से कराए जाते हैं ऐसे में स्कूलों के सेटअप से छेड़छाड़ कर शिक्षको को बेवजह अतिशेष की श्रेणी में लाकर उनको दूसरी जगह पर भेजना उचित नही है।

 

शालेय शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रांताध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी और प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने कहा कि युक्तियुक्तकरण के दिशा निर्देश को जारी करने से पूर्व संगठनों से चर्चा कर लिया जाता तो यह अव्यवहारिक नियम बनता ही नही अपितु प्रदेश के शासकीय स्कूलों तथा उसमें पढ़ने वाले गरीब बच्चों की उचित शिक्षा व शिक्षको सहित सबके लिए गाह्य होता। मिडिल स्कूलों में भर्ती विषय बंधन से मुक्त कर की गई, अब युक्तियुक्तकरण में विषय देखकर अतिशेष करेंगे जो कि उचित नही। हायर सेकेंडरी स्कूलों में यदि अतिथि शिक्षक है तो नियमित व्याख्याता को अतिशेष माना जा रहा है जो कि हास्यास्पद है। ये तो वही बात हो गई कि मकान मालिक को किरायादार घर से बाहर कर दिया। ऐसे कइयों विवादित नियम व दिशा निर्देश युक्तियुक्तकरण के जारी निर्देश में है जिसे विलोपित अथवा संशोधित किया जाना आवश्यक होगा। जिन गांवों के स्कूल बंद होंगे वहाँ ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा। सेटअप के अनुसार शिक्षक होने के बावजूद ,अभी जारी नियमो के आधार पर उस स्कूल के शिक्षक को अतिशेष मानकर हटा दिया तो वहाँ के पालक आक्रोशित होकर विरोध करेंगे। यह नियम न तो बच्चों के हित में है और न ही कर्मचारियों के। अतः विवादित और अव्यवहारिक नियमो व दिशानिर्देशो को हटा कर ही प्रक्रिया को आगे बढाया जाना चाहिए।

शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय पदाधिकारी सुनील सिंह,विष्णु शर्मा,डॉ सांत्वना ठाकुर,सत्येंद्र सिंह,विवेक शर्मा,गजराज सिंह,राजेश शर्मा,शैलेन्द्र सिंह,प्रह्लाद जैन,सन्तोष मिश्रा,सन्तोष शुक्ला,शिवेंद्र चंद्रवंशी,दीपक वेंताल,यादवेंद्र दुबे,नंद कुमार अठभैया,सर्वजीत पाठक,मंटू खैरवार,पवन दुबे,भोजराम पटेल,विनय सिंह,उपेन्द्र सिंह,आशुतोष सिंह,भानु डहरिया,रवि मिश्रा,जितेंद्र गजेंद्र,कैलाश रामटेके,अजय वर्मा,कृष्णराज पांडेय,घनश्याम पटेल,बुध्दहेश्वर शर्मा,प्रदीप पांडेय,देवव्रत शर्मा,अब्दुल आसिफ खान,अमित सिन्हा, विक्रम राजपूत, द्वारिका भारद्वाज,खेमन साहू, सुशील शर्मा,शशि कठोलिया,विजय बेलचंदन, अशोक देशमुख,तिलक सेन आदि पदाधिकारियो ने सरकार से उपरोक्त मांगो पर जल्द से जल्द निर्णय लेने की मांग की है।

 

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