CREDA दफ्तर में खेल जारी, ठेकेदारों की मजबूरी का फायदा!

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जशपुर नगर। छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (CREDA) यानी क्रेडा विभाग में जैसे ही सौर सुजला योजना का आगाज़ हुआ, वैसे ही विभागीय दफ्तर में ठेकेदारी का खेल शुरू हो गया। सोशल मिडिया में खुलकर लोग आरोप लगा रहे है सहायक अभियंता निलेश श्रीवास्तव और अन्य स्टाफ पर आरोप है कि वे ठेकेदारों पर दबाव बनाकर उनके काम छीन रहे हैं।
देखिये सोशल मिडिया पर किस तरह लग रहे आरोप
ठेकेदारों का आरोप है कि अगर वे अपना काम न सौंपें, तो उनके पेमेंट में अड़चन डाली जाती है। मजबूरी में ठेकेदार अपना सारा काम विभाग को सौंप देते हैं। SSY, पावर प्लांट, SHM और JJM जैसी योजनाओं में ठेकेदारी का खेल खुलेआम चल रहा है।
इतना ही नहीं, सहायक अभियंता श्रीवास्तव पर आरोप है कि काम से पहले ही ठेकेदारों से फोन पे के जरिए पेमेंट मंगाई जाती है, जो पूरी तरह अवैध है। जानकार बताते है कि सूरजपुर जिले में भी उनके ऊपर इसी तरह के आरोप लग चुके हैं — लेकिन “पुरानी आदतें जल्दी नहीं जातीं” कहावत यहां सही बैठती दिख रही है।
सोलर पंप योजना के अंतर्गत जिन किसान हितग्राहियों के प्रकरण किसी कारणवश निरस्त हो गए, उन्हें नियमों के अनुसार जमा की गई डिमांड ड्राफ्ट (DD) राशि वापस मिलनी चाहिए थी। लेकिन विभाग की लापरवाही और अनदेखी के चलते अब तक कई किसानों को उनकी राशि लौटाई नहीं गई है।
आरोप है की किसानों का योजना रद्द होने के बावजूद उन्हें बार-बार दफ्तर के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही। कुछ किसानों का कहना है कि डीडी की राशि लौटाने के लिए विभाग कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे रहा और न ही प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

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यह मामला गंभीर इसलिए भी है क्योंकि यह सीधे किसानों की आर्थिक स्थिति पर असर डाल रहा है। पहले से ही महंगाई और खेती में नुकसान झेल रहे किसानों के लिए यह रकम बहुत मायने रखती है।
अब जशपुर जिले के लोग और हितग्राही ये सवाल कर रहे हैं: आखिर कब तक ये भ्रष्टाचार का खेल चलता रहेगा? क्या इस बार सरकार की तरफ से कोई सख्त कार्रवाई होगी, या फिर यह ड्रामा ऐसे ही चलता रहेगा?