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Kota-Updete:-मालगाड़ी-इंजन की चपेट में आकर 82-वर्षीय-बुजुर्ग की मौत…मृतक अब्दुल जमील एजे-खान टेलर के नाम से जाने जाते थे।

Kota-Updete:-मालगाड़ी-इंजन की चपेट में आकर 82-वर्षीय-बुजुर्ग की मौत…मृतक अब्दुल जमील एजे-खान टेलर के नाम से जाने जाते थे।

समाज के पदाधिकारियों व परिजनों की उपस्थिति में रेलवे-जीआरपी-पुलिस ने शव का पंचनामा-पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंपा।

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मृतक अब्दुल जमील खान पिछले 17-सालों से कोटसागर पारा में निवासरत थे..अपनो से ज्यादा गहरा रिश्ता यादव परिवार से रहा आकस्मिक-दुर्घटना से यादव परिवार हुआ शोकाकुल।

 

 

*दिनांक:-14/02/2024*

 

*मोहम्मद जावेद खान हरित छत्तीसगढ़।।*

 

 

*करगीरोड-कोटा:-मंगलवार दोपहर 12:45 के लगभग करगीरोड-रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म 01-के अंतिम-सिरे के एक सिग्नल के पास रेल की पटरी पार करते हुए 82-वर्षीय एक बुजुर्ग के मालगाड़ी-इंजन के चपेट में आने से मौत हो गई मृतक का नाम अब्दुल जमील खान था..अब्दुल जमील खान कोटा के कोटसागर-पारा में एक यादव परिवार के घर पिछले 17-सालों से किराये से अकेले रहते थे..अब्दुल जमील खान एजे-खान टेलर के नाम से ज्यादा जाने जाते थे, दुर्घटना की जानकारी के बाद यादव परिवार के संतोष यादव-राजू यादव मौके पर ही मौजूद रहे।*

 

*घटना की जानकारी मिलते ही मुस्लिम-समाज कोटा के अध्यक्ष बशीर बेग, सहित अन्य पदाधिकारी मोहम्मद जावेद खान जब्बार खान, अमजद खान, मोईद कुरैशी घटना-स्थल पर पंहुचे समाज के पदाधिकारियो मृतक के परिजनों की उपस्थिति में रेलवे-व-जीआरपी पुलिस ने मर्ग-कायम करते हुए शव का पंचनामा किया…कोटा-सीएचसी के मेडिकल-ऑफिसर की उपस्थिति में शव के पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया, शाम 06-बजे के बाद मुस्लिम-समाज के पदाधिकारी-समाज के लोगो सहित परिजनो की मौजूदगी में मुस्लिम-रीति-रिवाज से मृतक अब्दुल जमील खान(एजे खान) को कोटा के मुस्लिम-कब्रस्तान में सुपुर्दे-खाक(अंतिम-क्रिया) कर दिया गया।*

 

अपने सगे-संबंधियों से ज्यादा गहरा रिश्ता यादव परिवार से रहा मृतक एजे-खान का:—-

*आज के दौर में जहा एक ओर धर्म के नाम पर आय दिन कुछ कट्टरपंथी-संगठन व राजनीतिक-दल द्वारा धार्मिक-उन्माद फैलाए जा रहे हैं..एक समुदाय को दूसरे समुदाय के खिलाफ करके देश की अखंडता व एकता को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं..देश की गंगा-जमुना तहजीब से बुने इस देश मे संतोष यादव-राजू यादव-व-अब्दुल जमील खान जैसे लोग आज के दौर के उन कट्टपंथी-तत्वों के लिए एक करारा जवाब है..जो कि मोहब्बत के बीच नफरतों के बीज बोने में लगे हुए हैं..अब्दुल जमील खान जो कि पेशे से शूट स्पेसलिस्ट टेलर थे, लोरमी उस पार में पिछले 30/40 सालों से टेलरिंग की दुकान करने के दौरान संतोष यादव के बड़े भाई को टेलरिंग का काम सिखाने जाने के बाद संतोष यादव का पूरा परिवार अब्दुल जमील-खान से जुड़ा रहा, अब्दुल जमील खान ने शादी नही की थी..उनके कुछ रिश्तेदार बिलासपुर में रहते जरूर थे..पर आना-जाना कम था..2007 के बाद लोरमी से संतोष-यादव का कोटा के कोटसागर में रहने के दौरान अब्दुल जमील खान भी कोटा में साथ मे रहने लगे, कुछ वर्ष बाद संतोष यादव अपने परिवार के साथ वापस लोरमी में रहने लगा…कोटसागर वाला मकान अब्दुल जमील खान को बिना किराया निःशुल्क रहने के लिए दे दिया..संतोष के पिता के निधन के बाद अब्दुल जमील खान को पिता की तरह मानते थे..अब्दुल जमील खान भी संतोष यादव को अपने पुत्र की तरह मानते थे, संतोष के दोनों पुत्र अब्दुल जमील खान को दादा भी कहते थे..अब्दुल जमील खान के आकस्मिक-दुर्घटना में मृत्यु के बाद संतोष यादव का पूरा परिवार काफी शोकाकुल है, मृतक के अंतिम संस्कार के दौरान संतोष यादव के आंख से आंसू लगातार बहते रहे..हर वर्ष महाशिवरात्रि पर्व पर कोटसागर में लगने वाले माघी मेले में संतोष यादव व उसका पूरा परिवार घर के सामने गुपचुप-चाट की दुकान लगाता है..जिसमें अब्दुल जमील खान भी मौजूद रहते थे..अगले माह महाशिवरात्रि पर कोटसागर में मेला भरेगा पर दुकान भी लगेगी मगर इस बार अब्दुल जमील खान साथ नही होंगे यह कहते हुए संतोष यादव की आंखे भर आईं।*

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