मुखिया के होते हुए आवारा पशु के रूप में सड़को-गली मोहल्लों चौंक चौराहों में फिरते ये बेजुबान।
दूसरे जिले में गौवंश सेवा वाले गमछाधारी-संगठन सक्रिय..बिलासपुर-जिले में निष्क्रिय…पशुओं के देखभाल के लिए बना आयोग भी नदारद..?
दिनांक:-18/07/2025**मोहम्मद जावेद खान हरित छत्तीसगढ।।

करगीरोड-कोटा:-जुबान वाला इंसान हो या फिर बेजुबान पशु आम लोगो के साथ शासन प्रशासन के साथ उसके मातहतो की संवेदन शीलता-इंसानियत- मानवता जैसे भारी भरकम शब्द तभी जागती जब इन दोनों में से किसी की भी आकस्मिक-दुर्घटना या फिर प्राकृतिक आपदा में मौत हो जाए..?रतनपुर बारीडीह में अज्ञात वाहनों द्वारा जिस प्रकार से इंसानियत और मानवता को कुचलते हुए उन 13 बेजुबान पशुओं को मौत के घाट उतार दिया कुछ घायल अवस्था में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे है..पर इन बेजुबानों की जान का क्या..?इन पर बात करेगा भी कौन..? शासन प्रशासन या फिर कोई आयोग..?

मीडिया की हेडलाइन बनने के बाद सिस्टम में शामिल और सिस्टम के हिसाब से चलने वालों की संवेदनशीलता जागी आगे इस प्रकार की दुर्घटना न हो जिसके लिए इन पशुओं के गले में सुरक्षा की दृष्टि से रेडियम का पट्टा पहनाया गया..जब तक इनके गले पर है, तब तक सुरक्षित बाकी आंख वालो अंधों पर निर्भर करता है..पर इतनी बड़ी घटना होने के बाद इन बेजुबान-पशुओं को सुरक्षित रखने सुरक्षित स्थान पर ले जाने की जगह अभी तक तय नहीं हो पाई।

मौजूदा समय में मेड इन इंडिया का नारा समय समय पर काफी बुलंद होता है..पर मांग मेड इन इंडिया की जगह विदेशी चीजों की ज्यादा हो चुकी है..?विदेशी चीजों की परवाह देशी चीजों की अपेक्षा हमारे देश में ज्यादा होती है..अब तो बड़े-बड़े महानगरों बड़े शहरों से निकलकर ये शौंक गांव खेड़ा तक पहुंच चुकी है..विदेशी कुत्तों की नस्ल की मांग मौजूदा समय में तेजी से बढ़ी है..आवारा पशु के नाम से सड़को गली मोहल्लों में घूमने वाले ये पशु अगर विदेशी नस्ल के होते तो इनकी पूछपरख देखरेख भी अच्छे तरीके से होती पालने वाले इनके मुखिया भी बकायदा अपने घरों में इन्हें सुरक्षित रखते।**तत्कालीन भूपेश बघेल की सरकार में नरवा गरुवा घूरवा की चर्चा जोरो से थी जिसमें गरुवा की ज्यादा चर्चा होती थी खासकर गाय-गोबर और गोठांन को लेकर गोठांन को लेकर उस समय विपक्ष में रही मौजूदा बीजेपी की सरकार द्वारा कांग्रेस सरकार के समय भारी भरकम हुए भ्रष्टाचार को लेकर आरोप प्रत्यारोप लगाती रही पर मौजूदा अब इस बारे में कोई बात नहीं होती..?

**तत्कालीन जिला-कलेक्टर द्वारा कोटा ब्लॉक के जोगीपुर में गायों के लिए अभयारण्य बनाने की बात कही थी..जो कि अब तक केवल कागजों में दिखाई में देती है..

तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय बने गोठान पूरी तरह से खाली पड़े हुए हैं..कुछ गोठानो में पौधारोपण की बात कही जा रही है..रतनपुर बारीडीह में भारी संख्या में हुई गायों की दर्दनाक मौत के बाद अज्ञात वाहन चालको के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध कर लिया गया है..

आगे ये भी देखना होगा कि विभागीय मातहत के गौसेवा आयोग के अलावा गमछाधारी गौवंश सेवा की बात करने वाले संगठन के लोग इस बारे कितना संज्ञान लेते है..इस पूरे मामले पर आगे भी हरित छत्तीसगढ अपनी नजर बनाए रखेगा।
