किलकिला की सूखी नदी में रोजाना जेसीबी से गड्डे खोदकर कर रहे पेयजल की जुगाड़ करने नप कर्मचारी कर रहे लगातार मशक्कत
किलकिला की सूखी नदी में रोजाना जेसीबी से गड्डे खोदकर कर रहे पेयजल की जुगाड़ करने नप कर्मचारी कर रहे लगातार मशक्कत
पत्थलगांव- पत्थलगांव शहरवासियो को पेयजल आपूर्ति हेतु नगर पंचायत किलकिला स्थित सूखे हुवे मांड नदी को जेसीबी से गड्ढा कर पेयजल आपूर्ति करने की मशक्कत कर रही है,बता दे की किलकिला एनीकट पत्थलगांव शहर के लिए जलापूर्ति का प्रमुख स्त्रोत है। यहां मांड नदी पर निर्मित एनीकट से नगर के सभी कनेक्शनों में पानी पहुंचाया जाता है। परंतु इस बार नदी बिलकुल ही सुख गई है ऐसे में पेयजल आपूर्ति लड़खड़ाने लगी है। जिसकी वजह से नगर पंचायत द्वारा प्रतिदिन जेसीबी के माध्यम से सूखी नदी में गड्ढा खोदकर झिरते पानी से नगरवासियों का प्यास बुझाया जा रहा है। कर्मचारी भारी मशक्कत कर गड्ढे खोदकर यहा पानी की जुगाड़ कर रहे हैं. इन दिनों सुबह से लेकर देर शाम तक यही क्रम चलता रहता है। विदित हो की मांड नदी के बिलकुल ही सुख जाने से यहाँ सिर्फ रेत ही रेत दिखाई दे रहे है जिसके कारण यहा से पत्थलगांव शहर को हो रहे पेयजल सप्लाई के लिए पानी की कमी होता देख नगर पंचायत भारी मशक्कत कर जेसीबी से गड्ढे खोदकर प्रतिदिन पानी के लिए संघर्ष कर रही है। जिससे यह कहावत सच होती दिख रही है कि “रोज कुआं खोदो और रोज पानी पियो” कमोबेस यह स्थिति प्रत्येक वर्ष गर्मी के मौषम में देखने को मिल जाती है एसे में अब नदी का जल स्तर बढाने के लिए बड़े पैमाने पर कार्ययोजना बनाने की जरुरत आ गई है नहीं तो यह समस्या प्रत्येक गर्मी सीजन में खड़ी हो जाएगी। गौरतलब हो की सरकार द्वारा जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में हर घर नल योजना संचालित की जा रही है। लेकिन, पत्थलगांव शहरी क्षेत्र में वही चार दशक पुराने संशाधनों के भरोसे पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। दो दशक में शहर की आबादी दोगुना हो चुकी है। पर पेयजल आपूर्ति का वही पुराना मानक किलकिला स्थित मांड नदी पर नगर पंचायत अधिकांशतः आश्रित है।
किलकिला एनीकट भी किसी काम की नहीं
बता दे की शिव मंदिर के समीप जल संसाधन द्वारा किलकिला एनीकट का निर्माण कार्य गया है जिसके कारण यहां जल भराव में सुधार देखा जाने लगा था लेकिन सही समय पर एनीकट का गेट नहीं खोले जाने और बंद किये जाने की वजह से नदी में जल भराव तो दूर पानी की एक बूंद तक नहीं बच रही, एनीकट के जलस्तर में गिरावट के लिए न तो जलसंसाधन विभाग और न ही नगर पंचायत एक दूसरे की जवाबदेही निभा पा रहे हैं। लोगो का कहना है की अनाधिकृत लोगों द्वारा एनीकट के गेट खोल दिए जाने से ऐसी स्थिति बनी है। एनीकट की देखरेख के लिए विभाग के पास कोई व्यवस्था नहीं है।