Chhattisgarh

14 अगस्त को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय किलाकिला आयेंगे,, महानायक की पुण्यतिथि संत समागम के सानिध्य में किलकिला धाम में होगी आयोजन- सीएम होंगे शामिल 

adneeraneeraj,harit,14 अगस्त को महानायक की पुण्यतिथि संत समागम के सानिध्य में किलकिला धाम में होगी आयोजन- सीएम होंगे शामिल 

नीरज गुप्ता संपादक
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रायपुर – शिवम बेहरा///दिलीप सिंह जूदेव एक ऐसा नाम जो बच्चे से लेकर बुजुर्गों के जुबां पर एकाएक सा घर कर जाना हर किसी के किस्मत में नहीं होती । स्व कुमार साहब युँ कहें तो छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माता इससे भी ज्यादा ओहदा वनवासी आदिवासी के क्षेत्र में मिशनरी धर्मांतरण को चुनौती देना घरवापसी का अभियान चलाना, राज्य से लेकर केंद्र तक कि राजनीति में एक वजूद बनाना इतना आसां नहीं था। छत्तीसगढ़ राज्य के जशपुर में जन्मे स्व दिलीप सिंह जूदेव देश में किसी परिचय के मोहताज नहीं थे खुद के वजूद से अपना वजूद बनाना राजा होकर प्रजा से कंधे मिलाकर चलना इनके स्वभाव में इतना कुछ था कि लिखकर उसे बंया नहीं किया जा सकता। जशपुर राजवंश के राजकुमार जी दिलीप सिंह जूदेव का जन्म 8 मार्च 1949 को जशपुर में हुआ था इन्होंने अपनी जीवन आदिवासियों और वनवासियों के उत्थान में समर्पित कर दी यही नहीं झारखंड ओडिसा और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में उस समय मिशनरी द्वारा जोरों से धर्मांतरण का काम किया जा रहा था भोले भाले आदिवासियों को लालच देकर उन्हें मिशनरी ईसाई बनाने में अपना पूरा नेटवर्क फैला रखा था जिसके लिये स्व जूदेव बहुत चिंतित हुए और खुद ही मुहिम शुरू कर दी नाम दिया मिशन घरवापसी। स्व जूदेव ने अपने दम पर लंबे कद के मूंछों पर ताव और मिलिट्री ड्रेस और निकल गए अपने धर्म की रक्षा करने । जशपुर , सिमडेगा, सुंदरगढ़, बलरामपुर, सहित समूचा भारत में इन्होंने घरवापसी महाअभियान के तहत हजारों लोगों को अपने मुलधर्म में जोड़कर सनातन की रक्षा की है। जशपुर राजकुमार होने के नाते और प्रदेश में अच्छी लोकप्रियता के कारण इन्होंने अपने दम पर पहली बार छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनाकर अटल जी को भेंट की। पूरा प्रदेश जूदेवमय था कोई तोड़ नहीं था विपक्ष के पास उस समय जूदेव नाम ही काफी था सांसद बनकर लोकसभा गए वहाँ दिलीप सिंह जूदेव की नाम सुनकर देश के कोने कोने से आये सांसद सदस्य और मंत्री एक मुलाकात के लिये बेताब थे वही शेरों शायरी से लोगों का दिल जीतना लोगों से मिलना जुलना इनका एक अलग अंदाज था लोग जुड़ते गए कारवाँ बनता गया । और एक लंबे अंतराल के बाद पारिवारिक परिस्थितियों में घिर गए बड़े बेटे स्व शत्रुंजय प्रताप सिंह जूदेव के निधन से पूरी तरह टूट गए फिर इस पीड़ादायक दुःख से संभल नहीं पाए और कुछ समय बाद 14 अगस्त 2013 को दिल्ली में इन्होंने अंतिम सांस ली । निधन की खबर आग की तरह फैल गई सरकार ने राजकीय शोक घोषित किया चाहने वालों के आंखों में स्व कुमार साहब के एक झलक पाने की होड़ मच गई लाखों लोग इनके पंचतत्व में शामिल हुए पूरा जशपुर नेता, राजनेता, कार्यकर्ता, पक्ष- विपक्ष , और पूरे देश से आये इनके चाहने वालों के हुजूम में पट गया।

इस पुण्यतिथि पर होगा विशेष आयोजन 

स्व दिलीप सिंह जूदेव जी का यह 11 वाँ पुण्यतिथि तिथि है । 14 अगस्त को जशपुर जिले के पत्थलगांव स्थित किलकिला धाम में उनका 11 वाँ पुण्यतिथि का आयोजन किया गया है । कार्यक्रम की तैयारी अभी से शुरू कर दी गई है। संत समागम के द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों की प्रस्तुति होगी । संतों के मुखारविंद से प्रदेश फिर से जुदेवमय होगा । धर्म ध्वज वाहक हिन्दुकुल तिलक स्व दिलीप सिंह जूदेव का स्मरण होगा । कार्यक्रम को खुद स्व दिलीप सिंह जूदेव के द्वितीय पुत्र प्रबल प्रताप सिंह जूदेव मोनिटरिंग कर रहे हैं। यह एक ऐतिहासिक कार्यक्रम होगा । जिसमें मुख्य रूप से श्री श्री 1008 स्वामी कपिलदास जी महाराज के साथ मुख्यअतिथि प्रदेश के मुखिया विष्णु देव साय , वित्त मंत्री ओपी चौधरी, राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह, सांसद राधेश्याम राठिया, विधायक गोमती साय, रायमुनि भगत सहित कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधी शामिल होंगे । वहीं प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने सबसे निवेदन किया है इस कार्यक्रम में शामिल होकर आयोजन को सफल बनाने के लिये ।neeraj,harit,

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