Chhattisgarh

अदम्य साहस की प्रतिमूर्ति बनी पंपशाला की बेटी श्रुति छतरियां

अदम्य साहस की प्रतिमूर्ति बनी पंपशाला की बेटी श्रुति छतरियांneera ad neeraj,harit,

नीरज गुप्ता संपादक
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वैसे तो समझ में दुख परेशानी मानव जीवन के हिस्से होते हैं परंतु कुछ दर्द समय मनुष्य को ऐसा दे जाता है जिसे देखकर आंखों से आंसुओं का बहना स्वाभाविक है और उन लोगों के लिए प्रेरणा भी बन जाता है जो यह सोचते हैं कि मेरे साथ गलत हुआ।

जिस हाथ से भाई को बांधनी थी राखी, वह हादसे में कटकर अलग

कहा गया है नारी शक्ति शक्तिशाली समाजस्य निर्माणं करोति।
नारी सशक्तिकरण ही समाज को शक्तिशाली बना सकता है।
बात है 4 मई 2024 शाम तकरीबन 6:00 बजे की पंपशाला की बेटी श्रुति छतरियां पिता दिलेश्वर छतरियां जो राम भजन राय शासकीय महाविद्यालय जसपुर में कर्मचारी के रूप में पदस्थ है उनकी बेटी श्रुति छतरिया का मामा घर शाकों में है कोतेवीरा  मंदिर में भोलेनाथ का दर्शन कर अपनी मां के साथ स्कूटी में बैठकर अपने मामा घर जा रही थी,,, परंतु कालचक्र ने ऐसा खेल खेल जो मन को द्रवित कर देने वाला था ट्रक ने कांवड़ियों को कुचला, तीन की मौतइस स्कूटी पर सवार इस बच्ची पर पीछे से एक अल्हड़ ट्रक ड्राइवर ने ठोकर मारी और ट्रक के चक्कों में बच्ची के दोनों हाथों पर चढ़ा दियाएक लड़की के पिता से उसका हाथ कैसे मांगे? - Quora पिता दिलेश्वर क्षत्रिय को जब बात पता चला तो हर हाल में बेटी को बचाने के लिए अस्पताल अस्पताल भटक कर  संतान मोह के कारण पिता ने इलाज के लिए किसी भी तरह का कोई कसर नहीं छोड़ा। बच्ची को रायपुर में अंबेडकर हॉस्पिटल में एडमिट किया ।उपचार के दौरान डॉक्टरों द्वारा बच्ची को बचाने की हर संभव प्रयास किया गया आखिरकार बच्ची बच गई ।लेकिन बच्ची के दोनों हाथ काटने पड़े,

इस दर्दनाक घटना को सुनकर तपकरा के समाजसेवी शांतनु शर्मा तथा पत्थलगांव के समाजसेवी कुंदन शर्मा ने रायपुर अंबेडकर हॉस्पिटल जाकर पीड़ित परिवार से मुलाकात कर ढाढंस भी बंधाया था ,

जीवन में छोटी-छोटी परेशानियों से हारकर कुछ लोग अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेते हैं, वहीं यह बच्ची इन परेशानियों को मात देकर लोगों के लिए प्रेरणादायक बनी हुई हैं। जिनके दोनों हाथ एक हादसे में कट जाने के बाद भी आज वे सारे काम कर रही हैं। श्रुति छतरिया का उम्र 11वर्ष है उसके पिता दिलेश्वर छतरिया ग्राम -पेरवां आरा,पोस्ट -अंकिरा, तहसील -फरसाबहार जिला – जशपुर (छ ग ) के निवासी है 

श्रुति छतरियां बचपन से ही हिम्मती  और पढ़ने में तेज रही है। उनके साहस का स्पष्ट उदाहरण देखा जा सकता है कि किस तरह अपने पैरों से अपने भाई को राखी बांधकर आशीर्वाद दे रही है ।निश्चित ही भारत के भविष्य में साहस और हिम्मत की जीवंत उदाहरण बनकर समाज को सिख और नई दिशा प्रदान कर रही है श्रुति छतरियां

क्या कहते हैं युवा समाजसेवी 
तपकरा के  युवा समाजसेवी शांतनु शर्मा का कहना है कि श्रुति छतरियां का जीवन लोगों के लिए एक मिसाल से कम नहीं है। आज लोग छोटी-छोटी परेशानियों से तंग होकर आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते है, उन्हें श्रुति छतरियां बच्ची से प्रेरणा लेनी चाहिए। जो बिना हाथ के हर काम खुद कर रही हैं।

 

 

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