कांग्रेस अपने ही गढ़ में नगर पंचायत चुनाव क्यों हारी? कहां हुई चूक?अपने ही नेताओं के विरोध के बावजूद वार्ड 14 में संजय तिवारी ने रचा इतिहास

 

पत्थलगांव- कांग्रेस अपने ही गढ़ में नगर पंचायत चुनाव क्यों हारी? कहां हुई चूक?पत्थलगांव

नीरज गुप्ता संपादक

पत्थलगांव-नगर पंचायत चुनाव में कांग्रेस को करारा झटका लगा है। पूर्व अध्यक्ष उर्वशी देवी सिंह को 1439 से अधिक मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा। यह हार इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि उर्वशी देवी सिंह, दिग्गज कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक रामपुकार सिंह की बहू हैं।निकाय चुनाव में कांग्रेस को कई वार्डों में डमी उम्मीदवार उतारने पड़े, जो अध्यक्ष की हार की बड़ी वजह माने जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में पार्टी की हार चौंकाने वाली है।

इससे पहले रामपुकार सिंह भी विधानसभा चुनाव मात्र 255 वोटों के अंतर से हार चुके थे।कांग्रेस की कमजोर होती पकड़पत्थलगांव में कांग्रेस धीरे-धीरे कमजोर होती दिख रही है। पार्टी में न तो पुराने चेहरों का प्रभाव बचा है और न ही नए युवा नेता उभर रहे हैं। स्थानीय संगठन भी निष्क्रिय नजर आया, जिससे कई वार्डों में कांग्रेस को योग्य उम्मीदवार तक नहीं मिले। मजबूरी या आंतरिक गुटबाजी के कारण कांग्रेस को डमी प्रत्याशी उतारने पड़े, जिससे कई वार्डों में कांग्रेस उम्मीदवार बुरी तरह हारे।

अंदरूनी राजनीति और गुटबाजी

हालात इतने खराब थे कि कांग्रेस के कुछ बड़े नेता पार्टी उम्मीदवारों की हार के बावजूद निर्दलीय प्रत्याशियों की जीत पर जश्न मनाते नजर आए। वार्ड क्रमांक 13, 04, 05, 11, 12 और 15 में कांग्रेस प्रत्याशियों की 200 से अधिक मतों के अंतर से हार, डमी उम्मीदवारों के प्रभाव और अंदरूनी गुटबाजी की पुष्टि कर रही है।कार्यकर्ताओं में नाराजगी स्थानीय संगठन की विफलता को लेकर अब कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी दिख रही है। चुनावी रणनीति में गड़बड़ियों और संगठनात्मक कमजोरी ने कांग्रेस को उसके ही गढ़ में हार का सामना करवाया। यदि पार्टी ने जल्द ही संगठन को मजबूत करने के प्रयास नहीं किए, तो आने वाले चुनावों में कांग्रेस को और भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

वार्ड 14 में कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ साजिश

वार्ड 14 में कांग्रेस उम्मीदवार संजय तिवारी को सिर्फ भाजपा और निर्दलीय प्रत्याशियों से ही नहीं, बल्कि अपनी ही पार्टी के नेताओं से भी लड़ना पड़ा। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के रिश्तेदार ने खुलकर संजय तिवारी का विरोध किया, जिससे चुनावी मुकाबला और मुश्किल हो गया। बावजूद इसके, जनता का भरोसा संजय तिवारी पर बना रहा, और उन्होंने कांटे की टक्कर में मात्र 1 वोट से जीत दर्ज कर विरोधियों को करारा जवाब दिया।

अपनों ने डाला रोड़ा, फिर भी कायम रहा जनता का भरोसा

नगर निकाय चुनाव में कई वार्डों में कांग्रेस उम्मीदवारों को अपनों के विरोध का सामना करना पड़ा। डमी उम्मीदवारों को उतारने की रणनीति ने पार्टी को भारी नुकसान पहुंचाया। लेकिन वार्ड 14 में जनता ने कांग्रेस के अंदरूनी मतभेदों को नजरअंदाज कर संजय तिवारी पर भरोसा जताया और उन्हें ऐतिहासिक जीत दिलाई।

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