सुशासन तिहार में श्रम कार्ड बना उम्मीद की नई किरण

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा चलाए जा रहे सुशासन तिहार ने आम जनमानस की समस्याओं के समाधान की दिशा में एक सशक्त कदम उठाया है। खासकर श्रमिक वर्ग, जो सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रहा है, अब सीधे इन योजनाओं से जुड़ रहा है। सुशासन तिहार की वजह से श्रम कार्ड बनने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इससे श्रमिकों में एक नई उम्मीद जगी है।

कोटा ब्लॉक की ग्राम कलमीटार की श्रमिक श्रीमती मालती रजक और श्रीमती सोनिया निर्मलकर ने जब सुशासन तिहार में श्रम कार्ड के लिए आवेदन दिया, तो उन्हें यह उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी और आसानी से कार्ड मिल जाएगा। पहले वे जानकारी के अभाव में भटकती रही थीं, लेकिन ग्राम पंचायत से मिली सूचना और त्वरित कार्रवाई ने उन्हें आत्मविश्वास से भर दिया। मालती रजक कहती हैं कि श्रम कार्ड हमारे जैसे लोगों के लिए बड़ा सहारा है। अब हमें योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा। पहले सिर्फ सुनते थे, अब वास्तव में महसूस कर रहे हैं कि सरकार हमारे लिए है।

इसी प्रकार मस्तूरी ब्लॉक के श्रमिक कृष्णा ठाकुर, आनंद पाटनवार, आयुष पाटनवार और रामकली कुर्रे ने भी सुशासन तिहार में आवेदन देकर लाभ उठाया। विभाग ने बिना किसी विलंब के इन सभी को श्रम कार्ड प्रदान किया। इससे उन्हें सिर्फ एक पहचान नहीं मिली, बल्कि सरकारी योजनाओं का लाभ पाने का रास्ता भी खुल गया।

गौरतलब है कि श्रमिकों को शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ हासिल करने के लिए श्रम कार्ड का होना जरूरी है। श्रम कार्ड के माध्यम से श्रमिकों को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलता है, जैसे प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत दुर्घटना में मृत्यु पर 2 लाख रुपए, आंशिक विकलांगता पर 1 लाख रुपए की बीमा राशि, पीएम आवास योजना और उज्ज्वला योजना जैसी योजनाओं में प्राथमिकता, पीएम श्रम योगी मानधन योजना के तहत सेवानिवृत्ति के बाद 3,000 रुपए प्रतिमाह की पेंशन, राशन कार्ड, छात्रवृत्ति और स्वास्थ्य योजनाओं सहित अन्य लाभ मिलते है।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की संवेदनशील पहल ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति हो और प्रशासन सजग हो, तो जनता को त्वरित राहत देना संभव है। सुशासन तिहार अब सिर्फ एक अभियान नहीं, बल्कि सरकार और जनता के बीच के विश्वास का पुल बन चुका है। शासन की योजनाएं अब आवेदको के द्वार पर दस्तक दे रही हैं। श्रम कार्ड बनना केवल एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और आर्थिक सशक्तिकरण का साक्षात प्रमाण है।

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