रायपुर,
छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचलों में बसे पहाड़ी कोरवा और बिरहोर जैसे विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए पक्का मकान कभी एक सपना हुआ करता था। आज यह सपना प्रधानमंत्री जनमन आवास योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के माध्यम से साकार हो रहा है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के सुशासन और संवेदनशील नेतृत्व में इन वंचित समुदायों के चेहरे पर अब न केवल मुस्कान है, बल्कि जीवन में स्थिरता और गरिमा का नया अनुभव भी जुड़ गया है।
मिट्टी की झोपड़ी से पक्के घर तक का सफर
जशपुर जिले के मनोरा विकासखण्ड के कदरना गांव में रहने वाले किसनी बाई और अरविन्द राम कभी ऐसे कच्चे मकान में रहते थे जहाँ बरसात में छत टपकती थी, दीवारें गीली हो जाती थीं और हर रात सांप-बिच्छुओं का डर सताता था। उन्हें पीएम जनमन आवास योजना के तहत दो-दो लाख रुपए की सहायता राशि मिली। इसके बाद उनका पक्का मकान बना और अब वे एक सुरक्षित, मजबूत और स्वाभिमानी जीवन जी रहे हैं। अरविन्द राम कहते हैं, अब मन शांत है। न बारिश का डर, न रात को जागकर बाहर देखने की जरूरत। मेरा परिवार अब सुरक्षित है।
वहीं कदरना की ही रहने वाली कली बाई को वर्ष 2024-25 में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत सहायता राशि मिली। जैसे ही उन्हें स्वीकृति और राशि मिलने की खबर मिली, तो उनके चेहरे की मुस्कान इस योजना की सफलता की गवाही थी। आज कली बाई अपने पक्के मकान में आत्मविश्वास से भरी जिंदगी जी रही हैं। वह कहती हैं, पहले घर जैसी चीज़ बस एक सपना थी, अब वह मेरी असलियत बन गई है। इन कहानियों के पीछे है वह समर्पित प्रशासनिक प्रयास जिसने दूर-दराज के वनांचलों तक सरकार की योजनाएं पहुंचाई। यह केवल घर निर्माण की योजना नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा, सम्मान और समानता की ओर बढ़ता एक ठोस कदम है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में विशेष पिछड़ी जनजातियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का जो प्रयास चल रहा है, उसने इन समुदायों को न सिर्फ मकान दिया है, बल्कि आशा और आत्मनिर्भरता का नया द्वार भी खोला है। छत्तीसगढ़ राज्य में प्रधानमंत्री आवास योजना संवेदनशील प्रशासनिक प्रयासों और दूरदर्शी नेतृत्व के साथ ज़मीन पर उतर रही है। इस योजना के तहत निर्मित आवास केवल ईंट और सीमेंट से बना ढांचा नहीं, बल्कि आवासहीनों के सपनों का महल हैं।