पुलिस की डिक्शनरी से हटेंगे फौत…बेवा…साकीन जैसे उर्दू-फारसी के शब्द, जानें वजह
पुलिस की डिक्शनरी से हटेंगे फौत…बेवा…साकीन जैसे उर्दू-फारसी के शब्द, जानें वजह
रायपुर: छत्तीसगढ़पुलिस अब एफआईआर लिखते समय उर्दू और फारसी के शब्दों की जगह हिंदी के शब्दों का इस्तेमाल करेगी. दरअसल विष्णुदेव साय सरकार ने सरकारी कामकाज को आम जनता के लिए सरल बनाने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं। इसी कड़ी में उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री विजय शर्मा ने छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यप्रणाली से उर्दू और फारसी शब्दों को हटाने के लिए अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा है। बताया गया कि अब छत्तीसगढ़ में कानूनी कार्रवाई में हिंदी शब्दों का प्रयोग किया जाएगा। गृह मंत्री शर्मा के इस फैसले से आम जनता को बड़ी राहत मिलने वाली है। ऐसा इसलिए क्योंकि आम जनता को कानूनी की भाषा समझने में आसानी होगी।बता दें कि पुलिस की आम शब्दावली में फौत…बेवा…साकीन जुर्म, कत्ल, हस्ब जेल, अदालत, हमराह, दस्तयाब, आमद, इस्तगासा, तफ्तीश, इरादतन, गैर इरादतन, गिरफ्तार, हलफनामा, तामील, मुलजिम, मुजरिम, गवाह, बयान, खैरियत, माकूल सहित कई उर्दू और फारसी के शब्दों का इस्तेमाल हो रहा था। अब इनकी जगह हिंदी शब्दों का प्रयोग किया जाएगा।छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 24 साल बाद व्यापक जनहित यह अच्छी पहल होगी। हमारे पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश की पुलिस ने अब अपनी कार्य प्रणाली में उर्दू के शब्दों का प्रयोग नहीं करने का निर्णय लिया है। वहां पुलिस की लिखा-पढ़ी और बोलचाल की भाषा में उर्दू, फारसी और अन्य भाषाओं के 69 शब्दों का प्रयोग बंद करके इनकी जगह हिंदी के शब्दों का उपयोग किया जाने लगा है। यह अच्छा उदाहरण है।