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  • Kota-Updete:-525 लीटर कच्ची महुआ शराब के जखीरे के साथ 04- आरोपी कोटा पुलिस के हत्थे-चढ़े।

    Kota-Updete:-525 लीटर कच्ची महुआ शराब के जखीरे के साथ 04- आरोपी कोटा पुलिस के हत्थे-चढ़े।

    *Kota-Updete:-525 लीटर कच्ची महुआ शराब के जखीरे के साथ 04- आरोपी कोटा पुलिस के हत्थे-चढ़े।*       

    500-600/किलोग्राम महुआ-लहान बरामद कर मौके पर ही नष्ट किया कोटा पुलिस ने।

    *दिनांक:-03/12/2025*

    *मोहम्मद जावेद खान हरित छत्तीसगढ।।

    *करगीरोड-कोटा:-कोटा थानांतर्गत अवैध महुआ शराब बिक्री का गढ़ बन चुके वार्ड नंबर 01- सूदनपारा में कोटा पुलिस ने एक बार फिर से छापामार कार्यवाही करते हुए 04-आरोपीयो के अलग-अलग ठिकानों से 525 लीटर अवैध महुआ शराब का जखीरा बरामद करते हुए चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया है..साथ ही मौके पर 500/600- किलोग्राम महुआ लहान बरामद कर मौके पर नष्ट किया गया..इससे पूर्व 01-नवंबर 2024 को बिलासपुर एसपी रजनेश सिंह के कोटा प्रवास के दौरान कोटा थाने में आमजनों व जन- प्रतिनिधियों के शिकायत के बाद कप्तान साहब स्वयं वार्ड नंबर 01 सूदनपारा पहुंचकर डीएसपी कोटा नूपुर उपाध्याय को कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे।*

    55-हजार रुपए कीमती 525/लीटर अवैध महुआ शराब जप्त:-

    *गिरफ्तार किए गए आरोपियों में 01-संदीप नेताम/पिता शांतनु उम्र 23/वर्ष पता सुदनपारा वार्ड नंबर 01-कोटा के कब्जे से 150/लीटर कच्ची महुआ शराब जप्त किया गया, 02-विक्रम मरावी/पिता विनोद उम्र 20/वर्ष पता सूदनपारा कोटा के कब्जे से 120/लीटर कच्ची महुआ शराब जप्त किया गया 03 आरोपिया श्रीमती जमीला नेताम पति/नवल नेताम उम्र 27/वर्ष पता सूदन पारा कोटा के कब्जे से 120 लीटर कच्ची महुआ शराब जप्त किया गया..04- श्रीमति पन्ना बाई नेताम पति/दिलीप नेताम उम्र 40/वर्ष पता सूदनपारा कोटा थाना कोटा जिला बिलासपुर के कब्जे से 135/लीटर कुल 525/लीटर कच्ची महुआ शराब जिसकी अनुमानित कीमत 55,000 रुपए जप्त कर चारों आरोपियों के विरुद्ध धारा 34(2) आबकारी अधिनियम के तहत विधिवत‌ कार्यवाही की गई।

    *500/600 किलोग्राम महुआ लहान मौके पर ही नष्ट किया:–*

    *इस दौरान शराब बनाने हेतू प्लास्टिक के डिब्बो में छुपाकर रखे गए करीब 500-600 किलोग्राम महुआ लहान बरामद कर मौके पर नष्टीकरण किया गया..इस पूरी कार्यवाही में थाना प्रभारी कोटा उपनिरीक्षक राज सिंह उनि.मीना सिंह ठाकुर सउनि.एन.आर.साहू हेमंत पाटले, प्रा.आ रविन्द्र मिश्रा, सनत पटेल, प्रेम प्रकाश कुर्रे आर.भोप साहू, संतोष श्रीवास, अजय सोनी सोमेश्वर साहू,जलेश्वर साहू अखिलेश पारकर, विनोद केवट, महिला आरक्षक दिपिका-लोनिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही।*neeraj,harit,

  • राज्य में बीते साल अस्तित्व में आए नौ नए नगरीय निकाय, सात नगर पंचायतों का नगर पालिका में उन्नयन

    राज्य में बीते साल अस्तित्व में आए नौ नए नगरीय निकाय, सात नगर पंचायतों का नगर पालिका में उन्नयन

    राज्य में बीते साल अस्तित्व में आए नौ नए नगरीय निकाय, सात नगर पंचायतों का नगर पालिका में उन्नयन

    रायपुर, 3 जनवरी 2025

    छत्तीसगढ़ में पिछले साल जनवरी से दिसम्बर के बीच नौ नए नगरीय निकायों का गठन किया गया है। राज्य शासन ने इस दौरान सात नगर पंचायतों का नगर पालिका के रूप में उन्नयन भी किया है। स्थानीय रहवासियों की मांगों पर राज्य शासन ने संवेदनशीलतापूर्वक विचार करते हुए जन-आकांक्षाओं को पूरा करने नए नगरीय निकायों के गठन को मंजूरी दी है। इससे उभरते शहरों के रूप में विकसित हो रहे कस्बों में शहरी सुविधाएं जुटाने के कामों को और गति मिलेगी। राज्य में पिछले वर्ष गठित नगरीय निकायों को मिलाकर अब कुल 192 नगरीय निकाय हो गए हैं। इनमें 14 नगर निगम, 54 नगर पालिका और 124 नगर पंचायत शामिल हैं। I

    मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य की कस्बाई आवादी की मांग और उभरते शहरों के अनुरूप अधोसंरचनात्मक विकास को गति देने बीते कैंलेडर वर्ष 2024 में नौ नए नगर पंचायतों का गठन किया गया है। उप मुख्यमंत्री तथा नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री श्री अरुण साव की पहल पर स्थानीय जन-आकांक्षाओं को पूर्ण करने तथा उन्हें मूर्त रूप देने नए नगरीय निकायों के गठन तथा ज्यादा आबादी वाले नगर पंचायतों के नगर पालिकाओं में उन्नयन की त्वरित कार्यवाही की गई है।

    जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों की मांग पर वर्ष-2024 में जनवरी से दिसम्बर के बीच राजनांदगांव जिले के लाल बहादुर नगर और घुमका, मुंगेली के जरहागांव, कोरिया के पटना, बेमेतरा के कुसमी, गरियाबंद के देवभोग, सूरजपुर के शिवनंदनपुर, जांजगीर-चांपा के बम्हनीडीह और बालोद जिले के पलारी को नगर पंचायत बनाया गया है। वहीं जन-आकांक्षाओं को देखते हुए गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के गौरेला नगर पंचायत और पेंड्रा नगर पंचायत का नगर पालिका के रूप में उन्नयन किया गया है। इनके साथ ही मुंगेली जिले के लोरमी नगर पंचायत, रायपुर के अभनपुर नगर पंचायत, बिलासपुर के बोदरी नगर पंचायत, बलौदाबाजार-भाटापारा के सिमगा नगर पंचायत और बलरामपुर-रामानुजगंज के रामानुजगंज को भी नगर पालिका के रूप में उन्नयन किया गया है।

  • राज्य सरकार पर्यटन और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को चिन्हांकित कर पर्यटन स्थल के रूप में कर रहे हैं विकसित

    राज्य सरकार पर्यटन और ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को चिन्हांकित कर पर्यटन स्थल के रूप में कर रहे हैं विकसित

    समुद्र तल से 900 फीट की ऊंचाई पर स्थित है यह पर्वत, वर्षा ऋतु के दौरान पानी 1100 फीट नीचे गिरकर बनाता है घोड़ाधार जलप्रपात

    ट्रैकिंग और एडवेंचर के शौकीन युवाओं के लिए है शानदार डेस्टिनेशन

    •     पोषण साहू, सहायक संचालक
    •     ओ.पी. डहरिया, सहायक जनसंपर्क अधिकारी

    रायपुर, 03 जनवरी 2025

    रोमांच से भरपूर सरायपाली स्थित शिशुपाल पर्वत नए पर्यटन स्थल के रूप में उभर कर आया सामने

    मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार पर्यटन और ऐतिहासिक, धार्मिक व पौराणिक महत्व के स्थलों को चिन्हांकित कर धार्मिक एवं पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रहा है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के अंतर्गत पर्यटन और रोमांच से भरपूर सरायपाली स्थित शिशुपाल पर्वत नए पर्यटन डेस्टिनेशन के रूप में उभर कर सामने आया है। इस पर्वत का ऐतिहासिक, धार्मिक और पौराणिक महत्व भी है। मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां विशाल मेला का आयोजन भी होता है।
    महासमुंद जिले के सरायपाली स्थित शिशुपाल पर्वत ट्रैकिंग और एडवेंचर के शौकीन युवाओं के लिए एक शानदान डेस्टिनेशन है। यह स्थान अपनी अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्त्व के लिए जाना जाता है। राजधानी रायपुर से 157 किमी और सरायपाली से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित यह पर्वत पर्यटकों को प्रकृति के करीब लाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है।
    शिशुपाल पर्वत (बूढ़ा डोंगर) समुद्र तल से 900 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां तक पहुंचने के लिए रोमांचक ट्रैकिंग मार्ग है, जो रोमांचक ट्रैकिंग का नया अनुभव कराता है। यह पर्यटन स्थल साहसिक गतिविधियों के प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। ट्रैकिंग मार्ग घने जंगलों, चट्टानों और प्राकृतिक पगडंडियों से होकर गुजरता है। पहाड़ के ऊपर एक विशाल मैदान है, जहां से वर्षा ऋतु के दौरान पानी 1100 फीट नीचे गिरकर घोड़ाधार जलप्रपात का निर्माण करता है। यह झरना और उसके चारों ओर हरियाली एक अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करता है। पर्यटन की बढ़ती संभावनाओं को देखते हुए, दो साल पहले पर्यटन मंडल ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की पहल की। यहां पहुंचने वाले सैलानियों के लिए आधारभूत सुविधाओं का निर्माण किया गया, जिससे उनकी यात्रा सुखद और आरामदायक हो सके।
    शिशुपाल पर्वत की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण इसे एक आदर्श पर्यटन स्थल के रूप में अपनी पहचान बना रही हैं। यहां का वातावरण, झरने की आवाज, ठंडी हवा एवं प्राकृतिक सुंदरता व शांति का संगम पर्यटकों को मानसिक शांति और सुकून का अनुभव कराती है। यह स्थान फोटोग्राफी और प्रकृति के अद्भुत दृश्यों के लिए भी प्रसिद्ध है। शिशुपाल पर्वत न केवल रोमांचक ट्रैकिंग स्थल है, बल्कि इतिहास और प्रकृति का अद्भुत संगम भी है। यह स्थान ट्रैकिंग, फोटोग्राफी और प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेने के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। यदि आप प्राकृतिक सुंदरता, रोमांच और इतिहास का अनुभव करना चाहते हैं, तो शिशुपाल पर्वत आपकी सूची में होना चाहिए। अपनी ऐतिहासिक महत्व और प्राकृतिक आकर्षण के साथ, शिशुपाल पर्वत आज के दौर में पर्यटन का नया केंद्र बनता जा रहा है।
    शिशुपाल पर्वत पर्यटन स्थल में हर वर्ष मकर संक्रांति और महाशिवरात्रि के अवसर पर भारी संख्या में भक्त दर्शन और पूजन के लिए आते हैं। इस दौरान मंदिर के आसपास भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ मेले की चहल-पहल का आनंद लेते हैं। मकर संक्रांति पर लगने वाला यह मेला इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम है। धार्मिक आस्था, ऐतिहासिकता, साहसिक पर्यटन का अद्भुत अनुभव इसे एक संपूर्ण पर्यटन स्थल बनाता है। यह मेला न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि दूर-दूर से आने वाले पर्यटकों के लिए भी विशेष आकर्षण का केंद्र है। यहां रोजगार के नए अवसर भी सृजित हो रहा है।
    शिशुपाल पर्वत का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्त्व है। इसे लेकर स्थानीय नागरिकों का कहना है कि शिशुपाल पर्वत (बूढ़ा डोंगर) का नाम स्थानीय लोककथाओं से जुड़ा हुआ है। इस संदर्भ में किंवदंती है कि इस पहाड़ पर कभी राजा शिशुपाल का महल हुआ करता था। यहां का गौरवशाली इतिहास रहा है पर्वत के उपर ही अभेद्य दुर्ग, सुरंग एवं शिवमंदिर का निर्माण किया गया है, जिसका भग्नावशेष आज भी अतीत की गौरवगाथा सुनाती है। जब अंग्रेजों ने राजा को घेर लिया, तो उन्होंने वीरता का प्रदर्शन करते हुए अपने घोड़े की आंखों पर पट्टी बांधकर पहाड़ से छलांग लगा दी। इस घटना के कारण इस पर्वत का नाम शिशुपाल पर्वत और यहां स्थित झरने का नाम घोड़ाधार जलप्रपात पड़ा। यह बारहमासी झरना अत्यधिक ऊँचाई से गिरने के कारण अद्भुत सौंदर्य का अप्रतिम उदाहरण है।
    इस क्षेत्र को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किए जाने की पहल शासन द्वारा विश्ेाष प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले दिनों वन विभाग द्वारा पर्यटन और रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए स्थल का निरीक्षण किया गया। चूंकि आसपास के क्षेत्र में बंसोड़ जाति बहुतायत संख्या में पाए जाते हैं, जो बांस की कलाकृति बनाते हैं। उन्हें भी रोजगार से जोड़ा जा सके। साथ ही एक पर्यटन परिपथ के रूप में भी विकसित किया जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि यहां से चंद्रहासिनी देवी मंदिर, गोमर्डा अभ्यारण, सिंघोड़ा मंदिर, देवदरहा जलप्रपात एवं पर्यटन स्थल नरसिंहनाथ को जोड़ा जा सकता है।

  • छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति को प्रदर्शित करने का माध्यम बनेगा राजिम कुंभ कल्प : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय

    छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति को प्रदर्शित करने का माध्यम बनेगा राजिम कुंभ कल्प : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय

    छत्तीसगढ़ के प्रयाग के रूप में प्रसिद्ध  राजिम में 12 फरवरी से 26 फरवरी 2025 तक कुंभ कल्प का भव्य आयोजन किया जाएगा। इस वर्ष यह अद्भुत धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन 52 एकड़ के नए प्रस्तावित मेला स्थल में संपन्न होगा। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने मंत्रालय महानदी भवन स्थित बैठक कक्ष में आज राजिम कुंभ कल्प के तैयारियों के संबंध में उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कर आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने शाही स्नान, गंगा आरती, संत समागम समेत कुंभ कल्प के प्रमुख आयोजनों और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने को कहा।
    मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि राजिम कुंभ कल्प 2025 धर्म, आस्था और संस्कृति का अद्भुत समागम होगा और यह छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराओं और  संस्कृति को प्रदर्शित करने का भी सुंदर माध्यम है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि श्रद्धालुओं को यहां अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त हो और यह आयोजन हमारी गौरवशाली विरासत को देश-दुनिया तक पहुंचाएं।
    मुख्यमंत्री श्री साय  ने राजिम कुंभ कल्प के आयोजन में शामिल समस्त विभागों और प्रशासनिक अमले को आपस में समन्वय स्थापित कर कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने श्रद्धालुओं के आवागमन की व्यवस्था, सुरक्षा संबंधी उपाय और स्वच्छता के लिए विशेष ध्यान देने को कहा। श्री साय ने कहा कि “हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस आयोजन को सफल बनाएं और  छत्तीसगढ़ की पहचान के रूप में इसे स्थापित करें। उन्होंने 12 फरवरी को आयोजित माघी पुन्नी स्नान, 21 फरवरी जानकी जयंती के अवसर पर संत समागम और 26 फरवरी को होने वाले शाही स्नान की तैयारी पर विशेष ध्यान देने को कहा।
    मुख्यमंत्री श्री साय को अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू ने राजिम कुंभ कल्प 2025 के आयोजन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने पीपीटी के माध्यम से आयोजन स्थल में विभिन्न गतिविधियों के लिए निर्धारित स्थानों के बारे में बताया। कुंभ कल्प में नागरिक सुविधाओं, साधु संतों के आवागमन, शाही स्नान और गंगा आरती को लेकर विभाग के तैयारियों के बारे में जानकारी दी।
    उल्लेखनीय है कि 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा के पावन अवसर पर राजिम कुंभ कल्प का शुभारंभ होगा और 26 फरवरी महाशिवरात्रि को इसका समापन होगा। राजिम कुंभ कल्प पैरी, महानदी और सोंढूर नदी के संगम पर आयोजित होगा। श्रद्धालु इन पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे।
    राजिम कुंभ कल्प के संपूर्ण आयोजन के लिए पर्यटन विभाग को नोडल बनाया गया है। 15 दिनों तक चलने वाले इस कुंभ कल्प में पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी साधु संतों का विराट समागम होगा। माघी पुन्नी स्नान, शाही स्नान, जानकी जयंती के अवसर पर संत समागम विशेष रूप से आयोजित होगा। प्रतिदिन सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन, मेला, मड़ई, मीना बाजार और विभागीय प्रदर्शनी भी कुंभ कल्प का विशेष आकर्षण के रूप में शामिल हैं।
    बैठक में विधायक श्री रोहित साहू, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव श्री राहुल भगत, सचिव धर्मस्व श्री अन्बलगन पी., संचालक संस्कृति श्री विवेक आचार्य, आईजी रायपुर श्री अमरेश मिश्रा, कलेक्टर गरियाबंद श्री दीपक अग्रवाल सहित अन्य विभागीय अधिकारीगण उपस्थित थे।

  • बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं की पहचान और उन्हें पकड़ने के लिए विशेष अभियान चलाएगी सरकार ,विगत पांच वर्षों में जनप्रतिनिधियों के माध्यम से बने आधार व राशन कार्डों और अन्य दस्तावेजों को भी अभियान के दौरान जांच के दायरे  में 

    बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं की पहचान और उन्हें पकड़ने के लिए विशेष अभियान चलाएगी सरकार ,विगत पांच वर्षों में जनप्रतिनिधियों के माध्यम से बने आधार व राशन कार्डों और अन्य दस्तावेजों को भी अभियान के दौरान जांच के दायरे  में 

    बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं की पहचान और उन्हें पकड़ने के लिए विशेष अभियान चलाएगी सरकार ,विगत पांच वर्षों में जनप्रतिनिधियों के माध्यम से बने आधार व राशन कार्डों और अन्य दस्तावेजों को भी अभियान के दौरान जांच के दायरे  में 

    नीरज गुप्ता संपादक
    MO NO- 9340278996,9406168350

    RAIPUR-प्रदेश में बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं की पहचान और उन्हें पकड़ने के लिए राज्य सरकार विशेष अभियान चलाएगी। उप मुख्यमंत्री और गृहमंत्री ने विजय शर्मा ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ हुई कार्रवाई का आंकड़ा पेश करते यह जानकारी दी।इसमें संदिग्धों के आधार कार्ड, राशन कार्ड, पैन कार्ड आदि दस्तावेजों की जांच की जाएगी। विगत पांच वर्षों में जनप्रतिनिधियों के माध्यम से बने आधार व राशन कार्डों और अन्य दस्तावेजों को भी अभियान के दौरान जांच के दायरे में लाया जाएगा।राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर अनुशंसा के आधार पर बने आधार कार्डों की जानकारी उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। फर्जीवाड़े में शामिल जनप्रतिनिधियों पर भी कार्रवाई हो सकती है। इसके बाद कानून-व्यवस्था बनाए रखने और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं की पहचान कर उन्हें वापस भेजने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। बताया जाता है कि दूसरे राज्यों के बड़ी संख्या में लोग बिना दस्तावेजों के निवासरत हैं और काम कर रहे हैं।उल्लेखनीय है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसे लेकर सवाल किया था कि कितने घुसपैठियों पर अब तक कार्रवाई हुई है? विजय शर्मा ने तब भी कहा था कि कोई बिना अपनी पहचान बताएं छत्तीसगढ़ में नहीं रह सकता। डिप्टी सीएम ने कहा था कि कवर्धा, दुर्ग–भिलाई के साथ बलौदाबाजार और अन्य जगहों पर कार्यवाही हुई है और आगे भी ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी रहेगी।neeraj,harit,

  • कोतबा 108 कुंडी गायत्री महायज्ञ का शंखनाथ ,एतिहासिक रूप से निकाली गई कलश शोभा यात्रा, विधायक गोमती साय हुईं शामिल ।

    कोतबा 108 कुंडी गायत्री महायज्ञ का शंखनाथ ,एतिहासिक रूप से निकाली गई कलश शोभा यात्रा, विधायक गोमती साय हुईं शामिल ।

     कोतबा 108 कुंडी गायत्री महायज्ञ का शंखनाथ ,एतिहासिक रूप से निकाली गई कलश शोभा यात्रा, विधायक गोमती साय हुईं शामिल ।

    कोतबा – अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वाधान में आयोजित राष्ट्र जागरण 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ की शुरुआत भव्य कलश शोभायात्रा से हुई।पीले वस्त्रों में मातृ शक्ति ने सिर पर कलश धारण कर पूरे कोतबा नगर में गायत्री मंत्रों के साथ शक्ति का संचार किया।

    स्थानीय गायत्री प्रज्ञा पीठ से माताओं बहनों ने विश्व ब्रह्मांड के प्रतीक कलश को धारण किया जहां से सती घाट,बस स्टैंड,कारगिल चौक होते हुए कलश यात्रा यज्ञशाला पहुंची जहां अक्षत पुष्प के साथ मातृशक्ति की आरती उतार कर माताओं बहनों का स्वागत किया गया।शांतिकुंज हरिद्वार से आए प्रज्ञा पुरोहितों ने देव कलश आए बड़े भाग्य हमारे,तृप्त हुए नैनन ये दर्श तुम्हारे गीत से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।कोतबा गायत्री परिवार के द्वारा शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे प्रज्ञा पुरोहितों का तिलक चंदन कर अभिनंदन किया गया।यज्ञ आयोजन समिति के द्वारा कलश यात्रा कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पत्थलगांव विधायक श्रीमती गोमती साय का तिलक चंदन कर स्वागत किया गया।

    प्रज्ञा पुरोहित श्री वीरेंद्र तिवारी ने बताया कि परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने वर्ष 1926 में गायत्री मंत्र रुपी ज्ञान का दीप जलाया था जिसका शताब्दी वर्ष आगामी वर्ष 2026 में मनाया जाना है इसी तारतम्य में उक्त विराट यज्ञ आयोजन किया गया है।कलश धारण करने का महत्व बताते हुए श्री तिवारी ने बताया कि ब्रह्म,विष्णु,महेश के साथ देव शक्तियों को धारण करने की क्षमता सिर्फ नारियों में हैं।विश्व में नारी शक्ति ही है जिसके कारण हर बड़े कार्य सिद्ध होते हैं।आज जिस प्रकार नारी शक्ति ने बड़ी संख्या में कलश धारण कर इस कार्यक्रम में देव शक्तियों को अवतरित करने का श्रेष्ठ कार्य किया है उससे स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में दुष्प्रवितियों का विनाश होगा और सत्प्रवृत्तियों का संवर्धन होगा।

    कोतबा नगर में स्वर्ग सा माहौल
    मनुज देवता बनें,यह धरती स्वर्ग समान,विचार क्रांति अभियान,इसी को कहते युग निर्माण, यहीं संकल्प हमारा जैसे सुमधुर प्रज्ञा संगीत की प्रस्तुति ने कोतबा नगरवासियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।गायत्री महायज्ञ की शुरुआत के प्रथम दिवस सायंकालीन प्रवचन में श्री तिवारी ने गायत्री मंत्र की दिव्यता का वर्णन किया।
    गायत्री मंत्र को तारक मंत्र कहा गया है। ग़ से गंगा,य से यमुना और त्र से त्रिवेणी जो तारने का काम करती है।गायत्री मंत्र परम शक्तिशाली मंत्र है।शक्ति प्रभाव से हटकर विज्ञान की प्रयोगशाला में भी गायत्री मंत्र सर्वोपरि है।इस महामंत्र में सबसे अधिक वाइब्रेशन है जिसके कारण यह अत्यंत प्रभावी है।

    सदा मुस्कुराते रहें – श्री तिवारी
    श्री तिवारी ने मातृशक्ति को संबोधित करते हुए कहा कि गायत्री मंत्र हमें हमेशा खुश रहना सीखाता है,सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्रदान करता है।उन्होंने सभी को उल्लासित रहने का संदेश देते हुए कहा कि खुद भी मुस्कुराएं और दूसरों को भी मुस्कुराने का अवसर दें।

    गायत्री मंत्र से हर दुःख संताप से मुक्ति
    शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे प्रज्ञा पुरोहित वीरेंद्र तिवारी ने बताया कि आज मानसिक व्यथा दुःख संताप से हर कोई परेशान है।इसका एकमात्र कारण कि व्यक्ति आज खुश नहीं।जब वह अपने आप में खुश रहना सीख जाएगा तो दुःख की अनुभूति नहीं होगी।

    हरिद्वार स्वर्ग का द्वार है – गोमती साय
    पत्थलगांव विधायक श्रीमती गोमती साय ने नारी शक्ति को संबोधित करते हुए कहा कि यह हम सभी का सौभाग्य है कि परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और माता भगवती देवी शर्मा के सान्निध्य में कोतबा में गायत्री महायज्ञ का आयोजन हुआ है।हरिद्वार नहीं बल्कि स्वर्ग के द्वार से चलकर प्रज्ञा पुरोहित यहां पहुंचे हैं जिनका अभिनंदन उन्होंने किया।समस्त वेदों की जननी गायत्री माता हैं जो नारी शक्ति के साक्षात स्वरूप में विद्यमान हैं।
    कार्यक्रम की तैयारी में जुटे समयदानी,श्रमदानी परिजनों को उन्होंने कर्मवीर बताया और उनका अभिवादन किया।

    कार्यक्रम का संचालन ब्लाक समन्वयक प्रकाश यादव ने किया।प्रथम दिवस के कार्यक्रम में जिले के विभिन्न क्षेत्रों से प्रज्ञा परिजन जुटे।स्थानीय कोतबा वासियों ने बढ़ चढ़ कर कलश यात्रा में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की।

    4 जनवरी को डॉ चिन्मय पंड्या का आगमन
    उक्त यज्ञ आयोजन के देवस्थापना,देव आवाहन कार्यक्रम के लिए देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ चिन्मय पंड्या का आगमन शांतिकुंज हरिद्वार से हो रहा है।4 जनवरी को प्रातः 7:30 बजे से पूजन क्रम शुरु हो जाएगा।जिसमें देव आवाहन के बाद गायत्री मंत्र की आहुति यज्ञ भगवान को समर्पित की जाएगी।

  • *भू माफिया के चंगुल में तपकरा, दूरदराज की जमीन को सड़क के किनारे दिखा कर दी बेच दी।*

    *भू माफिया के चंगुल में तपकरा, दूरदराज की जमीन को सड़क के किनारे दिखा कर दी बेच दी।*

    *भू माफिया के चंगुल में तपकरा, दूरदराज की जमीन को सड़क के किनारे दिखा कर दी बेच दी।*

     

    *राजस्व अभिलेख होने बाद भी राजस्व अधिकारी मौन।*

     

    *अब तो भोलेभाले ग्रामीण भी मानने लगे, कागज नही पैसा बोलता*

    फरसाबहार। जशपुर जिले के फरसाबहार तहसील के एक बड़े व्यापारिक ग्राम तपकरा को भूमाफियाओं ने इस कदर अपने चंगुल कर लिया है। अपने मनमुताबिक दूरदराज की जमीन को सड़क के किनारे ला कर ऊंचे दामों में बेच दी रहे है।

    ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमे ग्राम तपकरा की एक भूमि जो 70/3 थी जो कि कब्रिस्तान के नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज है। और यह भूमि सड़क के किनारे की भूमि है। उसे 70/12 में दर्ज कर व राजस्व रिकार्ड में हेर फेर कर बेच दी गई। 

    लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता निवासी तपकरा के साथ तपकरा अन्य नागरिकों ने मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय बगिया में शासकीय भूमि ( सुरक्षित कब्रिस्तान ) खसरा नंबर 70/3 को भू-माफियाओं से बचाने के लिए एक आवेदन पत्र दिया था। जिस पर कार्यवाही करते हुए मौके पर जाकर तहसीलदार फरसाबहार की उपस्थिति में पटवारी एवं राजस्व निरीक्षक द्वारा नाप जोक कर न्यायालय तहसीलदार कार्यालय फरसाबहार ने अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)फरसाबहार को भू-माफियाओं से मिलीभगत कर शासकीय भूमि पर कब्जा करने के संबंध में में अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। जिसमें मुख्यमंत्री समय सीमा क्रमांक 202408202381 ग्राम तपकरा में लिखा कि प्रार्थी लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता निवासी ग्राम तपकरा, तहसील फरसाबहार ने भूमि खा.नं. 70/03, रकबा 3.157 हेक्टेयर, जो वर्तमान में संरक्षित कब्रिस्तान के रूप में राजस्व रिकार्ड में दर्ज है, भूमि सड़क से लगी हुई भूमि जिसका खसरा नं 70/ 12 बनाकर बिक्री किया गया है। जिसके संबंध में आवेदक एवं अनावेदकगण ग्राम पंचायत सरपंच एवं ग्रामवासियों को विधिवत सूचना पत्र तामील किये जाने पश्चात उनकी उपस्थिति में स्थल निरीक्षण किया गया। उक्त वाद भूमि खा.नं. 70/3, रकबा 3.157 हेक्टेयर पूर्व से ही राजस्व रिकार्ड में सुरक्षित कब्रिस्तान के नाम में दर्ज है, जिसे ग्रामवासी भलीभांति जानते हैं कि भूमि रकबा नंबर 70 में से 70/1, रकबा 0.82 एकड़/0.332 हेक्टेयर वर्ष 1975-76 में लादू साय जाति कंवर निवासी तपकरा के नाम से भूमि बंटन में प्राप्त भूमि है। जिसका खसरा नंबर वर्तमान राजस्व रिकार्ड बी-1 एवं नक्शा में 70/12, रकबा 0.332 हेक्टेयर में दर्ज है। भूमि बंटवारा नक्शे की प्रमाणित प्रति की मौके पर जांच की गई तो पाया गया कि लादू साय जाति कंवर की भूमि में खा.नं. 70 में है जो भूमि बंटन से प्राप्त हुआ था जो सड़क से लगा हुआ नहीं था। आवेदित भूमि से लगभग 500 मीटर की दूरी पर है। जिसका नक्शा एवं पंचनामा संलग्न है। वर्ष 2004-05 में लादू साय कंवर की मृत्यु के पश्चात उनकी पत्नी कोली बाई का नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज हुआ। उक्त वाद भूमि में दिनांक 11/05/2010 को श्रीमती कोली बाई बेवा लादू साय का नाम रजिस्ट्री पेपर में ओली बाई बेवा बादू साय राजस्व अभिलेख बी-1 में अपना नाम चढ़नेके पश्चात श्रीमती गायत्री बाई पिता विरेश्वर साय जाति कंवर को भूमि दो गवाहों के समक्ष पंजीयन विक्रय पत्र के आधार पर नामांतरण किया गया। एवं कोली बाई के द्वारा स्वयं बंटन से प्राप्त भूमि जो नदी नहर के किनारे है, को न बताकर रोड़ से लगे हुए कब्रिस्तान ( सुरक्षित ) की गई भूमि को बेच दिया गया एवं क्रेता को कब्जा दे दिया। उक्त वाद भूमि में बेची गई भूमि क्रेता गायत्री के नाम मे किसी भी व्यक्ति द्वारा पहचान नहीं किया गया। एवं 2010 में क्रेता गायत्री के द्वारा क्रय करने के पश्चात उक्त वाद भूमि 70/12 की भूमि पर कभी कब्जा नहीं किया गया। दिनांक 29/03/2018 को लोक सुराज अभियान के अंतर्गत आवेदक लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता के आवेदन पर हल्का पटवारी एवं राजस्व निरीक्षक द्वारा जांच कर वाद भूमि खसरा नंबर 70/3 रुकवा 3.157 हेक्टेयर भूमि का आवेदक एवं समस्त ग्रामवासियों की उपस्थिति में सीमांकन किया गया तो पाया गया कि उक्त वाद भूमि खसरा क्रमांक 70/12 बनाकर वर्ष 2010 में बेचा गया किया गया एवं खसरा नंबर 70/3 का ही हिस्सा बताया गया। जो वर्तमान में बी 1 में सुरक्षित कब्रिस्तान के नाम से दर्ज है। उक्त वाद भूमि 70/12 रकबा 0.332 हेक्टेयर भूमि गायत्री पैंकरा द्वारा क्रय की गई भूमि को आशा मिंज पिता जोसेफ मिंज ग्राम सेमरताल को पंजीयन के माध्यम से विक्रय कर राजस्व अभिलेखों में दर्ज है।

    श्रीमती कोली बाई के पटटे की भूमि के संबंध में स्थल निरीक्षण किया गया। जो नहर के किनारे पाई गई। पूर्व रिकार्ड नक्शे की प्रतिलिपि का अवलोकन किया गया। ग्रामीणों से पूछताछ की गई, जिन्होंने बताया कि कोली बाई की भूमि सड़क के किनारे नहीं, बल्कि नदी के किनारे है।

    आवेदक लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता द्वारा आवेदित भूमि खा0नं0 70/3, रकबा 157 हेक्टेयर भूमि में से टुकड़ा नक्शा में दुरुस्त कर खसरा नंबर 70/12, रकबा 0.332 20 हे. बनाकर कोली बाई की भूमि बताकर बिक्री निष्पादन कर दिया गया। वाद भूमि खा0नं0 70/3 रकबा 3.157 हेक्टेयर भूमि सुरक्षित कब्रिस्तान भूमि में से है।

    उच्च न्यायालय में याचिका।

    तहसीलदार ने अपने प्रतिवेदन में लिखा कि विवादित भूमि के नक्शे को लेकर दोनों पक्षों में विवाद है। आशा मिंज जोसेफ मिंज ग्राम सेमरताल द्वारा आवेदित भूमि के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका प्रस्तुत की है। चूंकि आवेदित भूमि के संबंध में प्रकरण माननीय न्यायालय में विचाराधीन है, अतः इस न्यायालय से हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

    कागज नही साहब, पैसा बोलता है।

    लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता एवं तपकरा के ग्रामीणों ने कई बार इस सुरक्षित कब्रिस्तान की भूमि खसरा नंबर 70/3 के लिए पटवारी, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, कलेक्टर, मंत्री एवं मुख्यमंत्री के साथ समय समय पर आयोजित राजस्व शिवरों में आवेदन देकर उक्त भूमि को भू-माफियों से मुक्त कराने की मांग की। हर बार भूमि का नापजोख किया गया, पंचनामा बनाया गया, उच्च अधिकारियों को प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। परन्तु परिणाम वंही का वंही रहा। अब तो ग्रामीणों ने भी मान लिया कि कागज नही, साहब पैसा बोलता है।

    क्या, कब्रिस्तान की भूमि भूमाफियाओं से मुक्त होगी।

    तपकरा के ग्रामवासियों ने बताया कि पूरा का पूरा तपकरा व उसके आसपास का क्षेत्र भूमाफियाओं के चंगुल में है। राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी आते है। देख कर चले जाते है। एक ग्रामीण ने बताया कि शासकीय जमीन को अपने नाम राजस्व रिकार्ड में हेरफेर करने के यंहा लगभग 150 मामले है। किसी भी मामले में ठोस कार्यवाही नही होने से सभी गरीब लोग अपने आप की ठगा सा महसूस कर रहे गई। न जाने कब, कब्रिस्तान की भूमि भूमाफियाओं से मुक्त होगी।neeraj,harit,

  • पत्थलगांव में राष्ट्रीय सेवा योजना का सात दिवसीय विशेष शिविर का हुआ समापन

    पत्थलगांव में राष्ट्रीय सेवा योजना का सात दिवसीय विशेष शिविर का हुआ समापन

    पत्थलगांव में राष्ट्रीय सेवा योजना का सात दिवसीय विशेष शिविर का हुआ समापन

    नीरज गुप्ता संपादक
    MO NO- 9340278996,9406168350

    पत्थलगांव। गुरुकुल महाविद्यालय पत्थलगांव जिला जशपुर राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा डूडूंगजोर के ग्राम सारसमार में आयोजित सात दिवसीय विशेष शिविर का समापन समारोह बड़े धूमधाम से संपन्न हुआ। समापन समारोह में मुख्य अतिथि बीडीसी प्रतिनिधि अजय सिंह राजपूत ग्राम पंचायत डूडूंगजोर के सरपंच प्रतिनिधि शिवकुमार राठिया , राम भगत प्रधान पाठक शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला सारसमार श्रीमती चंपा यादव प्रधानपाठिका प्राथमिक शाला सारसमार डॉ. अजीत कुमार यादव प्राचार्य गुरुकुल महाविद्यालय पत्थलगांव राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी राजेश्वर प्रसाद यादव एवं डॉ. यादव राकेश पारसनाथ सुश्री सोनू मंडल सुश्री बसंती साहू बैकुंठ राम यादव एवं महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवको की उपस्थिति में संपन्न हुआ।इस अवसर पर मुख्य अतिथि अजय राजपूत ने कहा कि युवा राष्ट्र का भविष्य है। उनमें राष्ट्र की दशा एवं दिशा बदलने की अद्भूत क्षमता होती है। डॉ. अजीत कुमार यादव ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि इस शिविर के माध्यम से आप लोगों ने जो शिक्षा और सेवा प्रदान करने की प्रेरणा ली है, उन्हें अपने जीवन भर न भूले और उनका सदुपयोग करें। कार्यक्रम अधिकारी राजेश्वर प्रसाद यादव ने शिविर के समस्त कार्य का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीय सेवा योजना के उद्ेश्य को अक्षुण्य बनाये रखने की अपील की।neeraj,harit,

  • धार्मिक स्थलों पर विवाद को बढ़ावा देना भारत की एकता के लिए हानिकारक है – मोहन भागवत  (निर्मल कुमार की कलम से)

    धार्मिक स्थलों पर विवाद को बढ़ावा देना भारत की एकता के लिए हानिकारक है – मोहन भागवत (निर्मल कुमार की कलम से)

    धार्मिक स्थलों पर विवाद को बढ़ावा देना भारत की एकता के लिए हानिकारक है – मोहन भागवत

    (निर्मल कुमार की कलम से)

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में पुणे में दिए गए एक प्रभावशाली भाषण में देशवासियों से आग्रह किया कि वे विभाजनकारी बयानों को नकारें और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को अपनाएं। ‘विश्वगुरु भारत’ शीर्षक से आयोजित व्याख्यान श्रृंखला के दौरान उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया के सामने यह उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए कि कैसे विभिन्न धर्म और विचारधाराएं आपस में सौहार्दपूर्वक रह सकती हैं। उत्तर प्रदेश के संभल में स्थित शाही जामा मस्जिद और राजस्थान के अजमेर शरीफ जैसे धार्मिक स्थलों को लेकर उभरे विवादों का संदर्भ देते हुए भागवत ने कहा कि धार्मिक स्थलों पर विवादों को बढ़ावा देना भारत की एकता के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा, “नफरत और दुश्मनी के आधार पर नए मुद्दे उठाना अस्वीकार्य है। हमें इतिहास से सीख लेनी चाहिए और उन गलतियों को दोहराने से बचना चाहिए, जिन्होंने समाज में विघटन को बढ़ावा दिया है।”

    विकास और एकता के बीच संतुलन आवश्यक

    भारत इस समय विकास और विश्व नेतृत्व के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। ऐसे में यह आवश्यक है कि देश अपनी महत्वाकांक्षाओं और आंतरिक असमानताओं के बीच संतुलन स्थापित करे। भागवत ने स्पष्ट किया कि राम मंदिर का मामला एक लंबे समय से हिंदू आस्था से जुड़ा मुद्दा था, जबकि वर्तमान में उठाए जा रहे अन्य धार्मिक स्थलों के विवाद अधिकतर नफरत और वैमनस्य से प्रेरित हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे मुद्दों को उठाने से न केवल धार्मिक समुदायों के बीच दरार पैदा होती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को भी नुकसान पहुंचता है।उन्होंने कहा कि भारत का गौरवशाली अतीत हमेशा से समावेशिता, सहिष्णुता और विभिन्न विचारधाराओं के प्रति सम्मान का समर्थक रहा है। भारत ने अपनी प्राचीन परंपराओं के माध्यम से कट्टरता, आक्रामकता और बहुसंख्यकवाद जैसे विचारों को नियंत्रित किया है। भागवत ने दोहराया कि किसी को भी श्रेष्ठता का दावा नहीं करना चाहिए, बल्कि भारत के सहिष्णु अतीत से प्रेरणा लेकर सभी धर्मों को, विशेषकर अल्पसंख्यकों को, उनके लिए उचित स्थान और सम्मान देना चाहिए।

    भारत की ताकत: बहुलतावाद और समावेशिता

    भारत की ताकत इसकी बहुलतावादी संस्कृति में निहित है, जिसने सदियों से देश को विभिन्न धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों के संगम स्थल के रूप में फलने-फूलने का अवसर दिया है। उन्होंने कहा कि भारत की पहचान बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक जैसे द्वैत से परे है। जब हर व्यक्ति भारत की समग्र पहचान को समझेगा, तब बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक की सोच स्वतः समाप्त हो जाएगी। “हम सब एक हैं” का विचार तब एक वास्तविकता बन जाएगा।

    भागवत ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को भय और पूर्वाग्रह से मुक्त होकर अपने धर्म का पालन करने का अधिकार होना चाहिए। भारत का संविधान भी समानता और धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करता है, और यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम इन सिद्धांतों का पालन करें।

    हिंदू-मुस्लिम एकता और संवाद की आवश्यकता

    देश में बढ़ते विभाजनकारी माहौल को देखते हुए हिंदू-मुस्लिम एकता और समाज में सद्भावना को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता है। भागवत ने कहा कि दोनों समुदायों को समानताओं को प्राथमिकता देनी चाहिए और मतभेदों को दूर करने के लिए संवाद और सहयोग का रास्ता अपनाना चाहिए।

    सोशल मीडिया के दौर में, जहां विभाजनकारी विचार तेजी से फैलते हैं, संयम और समझदारी आवश्यक है। उकसाने वाले बयानों को खारिज करना और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के प्रति प्रतिबद्धता बनाए रखना, सामूहिक प्रयासों के मुख्य स्तंभ होने चाहिए।

    शिक्षा और धार्मिक नेतृत्व की भूमिका

    भागवत ने धार्मिक नेताओं और समुदाय के प्रभावशाली व्यक्तियों की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि धार्मिक नेता संवाद और मेल-मिलाप को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा, शैक्षणिक संस्थानों को भी छात्रों में सहिष्णुता, करुणा और आपसी सम्मान जैसे मूल्यों को विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए।

    भारत: विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर

    भागवत ने कहा कि दुनिया भारत की ओर देख रही है, और हमें एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए, जिससे यह सिद्ध हो कि धार्मिक और वैचारिक विविधता संघर्ष का कारण नहीं, बल्कि शक्ति का स्रोत हो सकती है। यदि भारत आंतरिक मतभेदों को सुलझाकर अपनी एकता को मजबूत करता है, तो वह वैश्विक स्तर पर नेतृत्व कर सकता है।

    उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह लक्ष्य केवल सरकार या किसी एक संगठन की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह प्रत्येक भारतीय नागरिक, समुदाय और संस्था का दायित्व है। उन्होंने कहा, “हर व्यक्ति को अपने विश्वास और पूजा-पद्धति का पालन करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।”

    भागवत का भाषण न केवल भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने का आह्वान है, बल्कि यह देशवासियों के लिए एक चेतावनी भी है कि वे विभाजनकारी विचारधाराओं से दूर रहें। यह भाषण भारत के लिए एक दिशा-निर्देश है कि वह अपनी सहिष्णुता और बहुलतावादी परंपराओं के आधार पर विश्वगुरु बनने की अपनी यात्रा को जारी रखे।neeraj,harit,

  • सरकार बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों के सेवा मामले का तत्काल समाधान करे – यू. डी. मिंज*  सरकार चयनित शिक्षकों को दूसरे पदों पर समायोजित करे

    सरकार बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों के सेवा मामले का तत्काल समाधान करे – यू. डी. मिंज* सरकार चयनित शिक्षकों को दूसरे पदों पर समायोजित करे

     

    सरकार बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों के सेवा मामले का तत्काल समाधान करे – यू. डी. मिंज*

    सरकार चयनित शिक्षकों को दूसरे पदों पर समायोजित करे

    कुनकुरी / सरकार बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों के सेवा मामले का तत्काल समाधान करे। पूर्व संसदीय सचिव यू. डी. मिंज ने कहा कि प्रदेश के 2900 बीएड धारी सहायक शिक्षक अपनी नौकरी बचाने के लिये आंदोलनरत है, धरने पर बैठे है अपनी नौकरी बचाने के लिए माँग कर रहे है 

     उन्होंने कहा कि सरकार है कि इस मामले में कोई उचित निर्णय नहीं ले रही है। इन शिक्षकों को सरकार ने भर्ती निकाल कर प्रक्रिया पूरी करने बाद नियुक्ति दिया था। अब अदालत के बाद गतिरोध आ रहा है तो सरकार इस मामले का समाधान निकाल डीएड प्रशिक्षित शिक्षकों के लिये अलग भर्ती निकाले तथा इन पहले से नियुक्ति पा चुके 2900 शिक्षकों की सेवा आगे सुनिश्चित रखने की व्यवस्था करें। 

    उन्होंने कहा कि इन शिक्षकों की भर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान ही हुआ था ऐसा नहीं है भाजपा सरकार बनने के बाद भी तीसरी और चौथी काउंसलिंग 9 फरवरी 2024 तथा 7 मार्च 2024 को हुई थी तथा इनकी नियुक्तियां हुई थी।

    पूर्व संसदीय सचिव यू. डी. मिंज ने कहा कि इस मामले प्रभावित अधिसंख्यक शिक्षक बस्तर और सरगुजा संभाग के है तथा दूरस्थ क्षेत्रों में पदस्थ है। 2900 में से 70 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वर्ग से आते है। यह इन के भविष्य का सवाल है। सरकार इनके मामले में सहानुभूति पूर्वक निर्णय करें।श्री मिंज ने कहा कि सरकार के पास शिक्षा विभाग में ही अनेकों ऐसे पद है जहां समान वेतनमान पर इन शिक्षकों की नियुक्ति की जा सकती है। प्रयोगशाला सहायक, उच्च श्रेणी शिक्षकों के रूप में इनकी नियुक्तियां की जा सकती है। वर्तमान शिक्षा विभाग में 70 हजार पद रिक्त है। 33000 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया सरकार रोक कर रखी हैं। इन पदों पर इन शिक्षकों को समायोजित किया जा सकता है। सरकार इनके मामले में तत्काल निर्णय लेकर इनका समायोजन करे।

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