Kota-Updete:-नगरीय निकाय-चुनाव 2025:– “उफ्फ क्या चुनाव था” “आह काफी महंगा चुनाव था”…विशेष-टिप्पणी।

Kota-Updete:-नगरीय निकाय-चुनाव 2025:– “उफ्फ क्या चुनाव था” “आह काफी महंगा चुनाव था”…विशेष-टिप्पणी।

 

*क्या आप भी भविष्य में चुनाव लड़ने की तैयारी में है..?अगर सोच रहे हो तो केवल सोचे बस..?*

दिनांक:-13/02/2025*

*मोहम्मद जावेद खान हरित छत्तीसगढ✒️।*

**करगीरोड:-कोटा नगरीय-निकाय चुनाव सहित त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में निर्वाचन-आयोग की भूमिका स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दी..? मतदाता सूची प्रकाशन से लेकर मतदान केंद्रों में मतदान के लिए मतदाता इधर से उधर होते रहे..जिन लोगों ने लोकसभा विधानसभा चुनाव में मतदान किया था..?उनमें से अधिकांश मतदाता मतदान केंद्र से वापस हो गए..?अधिकांश मतदाता मतदान करने से इसलिए वंचित हो गए की उनका नाम दूसरे वार्ड में शिफ्ट हो गया..?*

*निर्वाचन-आयोग व स्वीप के तहत चलाए जा रहे मतदाता जागरूकता अभियान के प्रचार प्रसार में लाखों खर्च के बाद भी शत प्रतिशत मतदान नहीं हो पा रहा है..?दूसरा नगरीय निकाय चुनाव जो कि संपन्न हो चुका है..जिस प्रकार से अगले पांच वर्षों के लिए जनता जनार्दन के बुनियादी सुविधाओं के लिए जूझने वाले भावी उम्मीदवार जनता जनार्दन का प्रतिनिधि बनने के लिए हाथ पांव जोड़ने के साथ ही अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया…?पानी की तरह नगद रुपए शराब से लेकर घरों का राशन का समान भरने से लेकर घर की शोभा बढ़ाने वाले महंगा से महंगा घरेलू समान से लेकर सोने चांदी के सामान खुलेआम खुल्लम खुल्ला बांटा गया पर निर्वाचन आयोग खामोश रहा..?*

*खामोशी की वजह के साथ सवाल होने पर ये जवाब हो सकता है, की हमारे पास ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली या फिर किसी राजनीतिक दल या उसके उम्मीदवार द्वारा शिकायत दर्ज नहीं कराई गई..?राजनीतिक दल व उसके उम्मीदवार भी आपस में समन्वय बनाकर चले कि तू भी बांट ले मै भी बांट लू लोकतंत्र में जनता ही मालिक होती है..? भले ही एक हफ्ते के लिए हो एक दिन के लिए हो पर होती तो है..?उसको भी पता है..अगले पांच सालों तक चुनकर आने वाले जनप्रतिनिधियों के दरवाजे से लेकर विभागीय कार्यालयों में अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए बार बार उनका भी दौड़ना तय है..?इसलिए चुनाव के एक दिन पहले ओर चुनाव वाले दिन बाय द पीपुल्स फॉर द पीपुल्स कहे जाने वाले लोकतंत्र के सबसे बड़े प्रहरी दोनों हाथों से बंटोरते देखे गए…?*

 

 

*कोटा नगर पंचायत अध्यक्ष सहित वार्ड पार्षद के हुए संपन्न चुनाव में लगभग डेढ़ से दो करोड़ रुपए खर्च हुए ये अनुमान उन बुद्धिजीवी-वर्ग के लोगों से मिली सूत्रों के हवाले से है,जिन्होंने इस चुनाव में ये सब अपनी आंखों से देखा भी और कुछ तो शामिल भी रहे..?चुनाव संपन्न होने के बाद उनका रिएक्शन भी सामने आया “उफ्फ काफी महंगा चुनाव था”..पर इस दौरान निर्वाचन आयोग और उनके मातहत कही दिखाई नहीं दिए..?केवल औपचारिकता निभाते रहे निभाना भी जरूरी है..?आखिरकार आचार संहिता खत्म होने के बाद उन्हें वापस मौजूदा सत्ता के मातहत के नीचे ही तो कार्य करना है..? नगरीय निकाय चुनाव है..?विधानसभा चुनाव तो है नहीं..?आने वाले 15 फरवरी को नगरीय निकाय-चुनाव का परिणाम आएगा 15 फरवरी को आने वाले चुनावी परिणाम में ही पता चलेगा…की मौजूदा चुनावी परिणाम में पसीना बहाने वालों के पक्ष में ज्यादा आया या फिर पानी और पसीने की तरह पैसा उपहार बांटने वालो के पक्ष में…?क्रमशः—-✒️*

*पिक्चर अभी और भी बाकी है…?”त्रिस्तरीय पंचायत-चुनाव कोटा जनपद पंचायत 2025..✒️*neeraj,harit,

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