Kota-Updete:-रमजान का 08-वा रोजा..सुबह से लेकर देर रात तक इबादतों में गुजार रहे है…मुस्लिम समुदाय के लोग।-

Kota-Updete:-रमजान का 08-वा रोजा..सुबह से लेकर देर रात तक इबादतों में गुजार रहे है…मुस्लिम समुदाय के लोग।-

*जौनपुर उत्तरप्रदेश के हाफिजे-कुरान मोहम्मद जुबेर-अशरफी तराबीह की नमाज़ अदा करा रहे।

*सुबह की सेहरी शाम के इफ्तार होने तक समाज के लोग मस्जिदो में महिलाएं घरों में इबादते करती है।*

*दिनांक:09/03/2025*

*मोहम्मद जावेद खान हरित छत्तीसगढ़।*

*करगीरोड-कोटा:- मुस्लिम-समुदाय का मुबारक-मुकद्दस अफजल (पवित्र) महीना कहलाने वाला रमजान का महीना जारी है..रमजान महिने का आज 08-वा रोजा हो चूका है..मुस्लिम कैलेंडर के हिसाब से 02-मार्च को पहले रोजे की शुरुवात हुई थी..मुस्लिम समुदाय के लोगो के लिए रमजान का महीना काफी पवित्र माना जाता है इस दौरान मुस्लिम समुदाय के बच्चो से लेकर बड़े-बुजुर्ग नवजवान-घरों में रहने वाली महिलाएं रमजान महीने के पूरे 30 रोजे (उपवास) रखते हैं।*

*सुबह 3:30 बजे से 04 बजे के बीच उठकर सेहरी के रूप में कुछ खाने के बाद से मुस्लिम-समुदाय के लोग पूरे दिन भर बिना कुछ खाए-पिए रोजे (उपवास) रहते हुए शाम 06:15 तक के बीच इफ्तारी के रूप में अपना रोजा (उपवास) खोलते हैं..इस बीच पांचों वक्त की नमाज के साथ सुबह 05-बजे से लेकर रात के 10-बजे तक मुस्लिम समुदाय के लोगो का अधिकांश समय घरों में मस्जिदो में इबादतो (प्रार्थना) में गुजरता है, रात 09-बजे से रात 10 से बजे तक रमजान के महीने में पढ़ाई जाने वाली विशेष तराबीह की नमाज अदा कराई जाती हैं..जिसमे की इस्लाम धर्म की मुकद्दस किताब कुरान शरीफ की आयतों को हाफिजे कुरान द्वारा सुनाया जाता हैं, जिन्हे पूरा कुरान-शरीफ मुखाग्र याद रहता है।*

*मोहम्मद जुबेर अशरफी जौनपुर उत्तरप्रदेश के तराबीह की नमाज अदा करा रहे हैं:—*

 

*कोटा-मुस्लिम समाज के मस्जिद में जौनपुर उत्तरप्रदेश से आए हुए हाफिजे कुरान “मोहम्मद जुबेर अशरफी” द्वारा कोटा मुस्लिम जमात से जुड़े लोगो को तराबीह की नमाज़ अदा करा रहे हैं रमजान के मुबारक महीने में समाज के अलग-अलग लोगो के द्वारा खासकर समाज के नवजवानो के द्वारा रोजा-इफ्तार के साथ समाज के लोगो के लिए लंगर का इंतजाम भी किया जाता है..रमजान के इस महीने में अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति सवाब (पुण्य) के नियत से कार्य करता है..तो उसे 01 के बदले 70-का सवाब (पुण्य) मिलता है, अपने बयानों अपने तकरीरों में मुस्लिम समाज के आलिमेदीन (ज्ञाता) द्वारा समाज के लोगो को बताई जाती है।*

*इस्लाम-धर्म के मानने वालो को जकात-फितरा निकालना अनिवार्य:—* 

 

*इसके अलावा रमजान के महीने में ईद के त्यौहार से पहले इस्लाम धर्म के मानने वाले अपने करीबी रिश्तेदार सहित समाज के कमजोर तबके के लोगो को अपनी कमाई का चालीसवां हिस्सा यानि कि चालीस रुपए में एक रुपया जकात के रूप में दिए जाने का हुक्म इस्लाम धर्म के पैगंबर मोहम्मद साहब ने दिया है..ताकि अपने करीबी रिश्तेदार सहित मुस्लिम-समाज का वो अंतिम कमजोर व्यक्ति भी ईद का त्यौहार की खुशियां अपने परिवार के साथ अच्छे से मना सके..जकात फितरा मुस्लिम समुदाय के उन लोगो के लिए अनिवार्य है..जिनके पास 7/5 तोला सोना या फिर 52/ किलो चांदी या फिर उसके बराबर के रकम उसके पास मौजूद हो साल में एक बार रमजान माह में जकात-फितरा मुस्लिम समुदाय के लोगो के द्वारा अनिवार्य रूप से निकाला जाता है..जो की एक प्रकार से समाज के कमजोर तबके के लोगो को समाज के मुख्यधारा में लाने के लिए होता है।*

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