*शिक्षक दिवस पर शिक्षकों की व्यथा*
*शिक्षाकर्मी से शिक्षक बनने वाले सेवानिवृत्ति के बाद हो रहे दाने-दाने को मोहताज*
*प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना नहीं करने का खामियाजा भुगत रहे हैं एल.बी.सवर्ग के शिक्षक*
*मध्य प्रदेश सरकार पुरानी सेवा अवधि को पेंशन योग्य मानते हुए क्रमोन्नत वेतनमान प्रदान कर रही*
*मध्य प्रदेश के जमाने से नियुक्त शिक्षा कर्मी राज्य गठन के पश्चात छत्तीसगढ़ शासन की नीतियों के चलते छले जा रहे*

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खरसिया- पंचायती राज अधिनियम के तहत 1998 से नियुक्त शिक्षाकर्मियों का छत्तीसगढ़ राज्य में 2018 में स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन तो कर दिया गया लेकिन इसके पूर्व की उनकी 20 साल की सेवा शून्य घोषित कर दी गई।अब इस विभाग में नए कर्मचारी माने जाने पर सेवानिवृत्ति में पेंशन नियम के 30 साल की अवधि पूर्ण नहीं किए जाने पर पूर्ण पेंशन के लिए पात्रता नहीं रखने के कारण सेवानिवृत हो रहे एल.बी.संवर्ग के शिक्षक दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं।यह कहना गलत नहीं होगा कि अपना पूरा जीवन काल समाज की सेवा में समर्पित करने वाले शिक्षक स्वयं अंधकार में डूब रहा है और सेवानिवृत्ति के पश्चात न्यून पेंशन राशि के चलते गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों की श्रेणी में आ जाएगा। विडंबना यह है कि पुरानी पेंशन को बंद कर बाजार व्यवस्था पर आधारित नई पेंशन लागू करने वाली भाजपा सरकार सांसदों विधायकों को पुरानी पेंशन ही प्रदान कर रही है पर कर्मचारियों को पुरानी पेंशन के दायरे से बाहर कर दिया गया है।छत्तीसगढ़ राज्य का गठन शिक्षा कर्मियों के लिए वरदान की जगह अभिशाप साबित हो रहा है क्योंकि मध्य प्रदेश की सरकार ने शिक्षा कर्मियों की पुरानी सेवा को मान्य करते हुए उन्हें क्रमोन्नत वेतनमान देने के आदेश जारी कर दिए हैं, वहीं 2018 में सविलियन के पश्चात शिक्षा कर्मियों के इसके पूर्व की गई 20 साल की सेवा शून्य घोषित कर दी गई है।।छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार अगर वास्तव में अपने चुनावी घोषणा पत्र को पूर्ण कर शिक्षकों को सम्मान देना चाहती है तो पुरानी सेवा अवधि को जोड़कर पेंशन योग्य सेवा घोषित करें यही शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों का वास्तविक सम्मान होगा अन्यथा शिक्षक दिवस पर शिक्षक का सम्मान महज आयोजन बनकर रह जाएगा।