*विषय बाध्यता शिक्षा गुणवत्ता का आधार ,सरकार द्वारा लागू करने मे देरी से सभी वर्गों मे भारी असंतोष और नाराजगी शिक्षा गुणवत्ता को गहरी क्षति* :रायपुर
ज्ञात हो की प्रदेश मे पूर्ववर्ती सरकार मे 11जुलाई 2023 को एक राजपत्र शंसोधन कर प्रदेश के सरकारी मिडिल स्कूलों मे विषय बाध्यता को समाप्त कर दिया गया था यह नियम शिक्षागुणवत्ता को समाप्त करने वाला है ,इससे शिक्षक ,,पालक और अभ्यर्थी संवर्ग मे खासी नराजगी है । शिक्षक नेता ऋषि राजपूत जी ने वार्ता के दौरान कहा कि विषय बाध्यता का विलोप प्रदेश मे शिक्षागुणवत्ता को समाप्त कर देगा प्रदेश के गरीब ,पिछडे आदिवासी और किसान परिवार को जिनके बच्चे सरकारी स्कूल मे बहुत भरोसे के साथ पढते हैं इनके साथ घोर अन्याय होगा
प्रदेश मे नवोदय विद्यालय ,आत्मानंद ,एकलव्य और प्राईवेट स्कूल जहां सक्षम परिवार के बच्चे पढते हैं विषय विशेषज्ञ से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं विषय बाध्यता लागू है शिक्षा का अधिकार अधिनियम ,आर टी ई 2009 मे शिक्षा गुणवत्ता के लिए विषयवार शिक्षक का प्रावधान है ,,वही राज्य के शासकीय माध्यमिक विद्यालयों मे जहां छत्तीसगढ़ के किसान गरीब ,पिछडे ,आदिवासी ,,समाज के अंतिम पाएदान के बच्चे पढ़ते हैं वहां से विषयवार शिक्षक की ब्यवस्था को हटा दिया गया है ,जबकी इन्हे विषय विशेषज्ञ शिक्षक और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की सबसे ज्यादा जरूरत है ।एक ओर सरकार शिक्षा गुणवत्ता के लिए अनेक प्रयास कर रही किंतु विषय बाध्यता को लागू करने के प्रति सजग नही है ऐसा लगता है अन्यथा इतनी देरी नही होती ।
*पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा था विषयवार होगी शिक्षकों की भर्ती पदोन्नति विषय बाध्यता रहेगी*
माननीय बृजमोहन अग्रवाल जी पूर्व शिक्षा मंत्री ने विषयबाध्यता के महत्व को मानते हुए इसे लागू करने की बात कही थी किंतु आज तक राजपत्र संशोधन नही हो पाया है । श्री राजपूत सर का कहना है ,अब गणित वाला संस्कृत और समाजिक विज्ञान वाला गणित ,और संस्कृत पढाएगा ,अंदाजा लगाया जा सकता है शिक्षा गुणवत्ता का स्तर क्या होगा,,कही खिचडी शिक्षा न पैदा हो जाए ,प्रदेश मे न तो विषय विशेषज्ञ पदोन्नति पात्रों की कोई कमी है, न ही विषय वार स्नातक अभ्यर्थियों की ,,फिर इतने गंभीर विषय पर निर्णय लेने मे देरी नही होनी चाहिए विषय बाध्यता शिक्षागुणवत्ता का आधार है ,इसे जल्द से जल्द लागू करने की अपील उन्होंने की है ।