
नागपंचमी के अवसर पर जशपुर जिले के पत्थलगांव कुमेंकेला सतनामी समाज द्वारा निभाई जा रही अनोखी परंपरा समाज के लोगों ने प्रतीकात्मक रूप से बांस के डंडे को भोलेनाथ स्वरूप नागदेवता मानकर विधि-विधान से उसकी स्थापना की।इस विशेष पूजन की शुरुआत नागपंचमी से एक सप्ताह पहले हुई, जब भक्तों ने गांव में बांस से बने प्रतीकात्मक नाग की स्थापना कर सात दिनों तक विशेष अनुष्ठान, भजन, कीर्तन और पूजा-पाठ का आयोजन किया।सप्ताह भर चले इस धार्मिक अनुष्ठान के अंतिम दिन, भक्तों ने पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ प्रतीकात्मक नागदेवता को तालाब में विसर्जित किया। ग्रामीणों का विश्वास है कि इस परंपरा से नागदेवता प्रसन्न होते हैं और गांव में सर्पदंश जैसी घटनाओं से राहत मिलती है।
सांपों के आतंक के बीच आस्था बनी सहारा

जशपुर जिला विशेषकर पत्थलगांव क्षेत्र इन दिनों विषैले सांपों की बढ़ती संख्या से प्रभावित है। सर्पदंश की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिससे ग्रामीणों में भय का माहौल है। ऐसे में सतनामी समाज की यह परंपरा एक तरह से सांस्कृतिक समाधान बनकर सामने आई है, जो उन्हें मानसिक राहत और आध्यात्मिक बल प्रदान करती है।
लोक आस्था और पारंपरिक संस्कृति का संगम
स्थानीय लोग इसे केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाने की प्रेरणा भी मानते हैं। उनका मानना है कि इस तरह की पूजा-पद्धतियां हमें जीव-जंतुओं के प्रति सम्मान और सह-अस्तित्व का पाठ पढ़ाती हैं।इस अनोखी परंपरा ने नागपंचमी को एक सांस्कृतिक उत्सव का रूप दे दिया है, जिसमें श्रद्धा, भक्ति और सामाजिक एकता की झलक साफ देखने को मिलती है। देखे वीडियो
